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गर्भावस्था की पहली तिमाही में इन पोषक तत्वों को भूलकर भी न करें नज़रअंदाज़

गर्भावस्था की पहली तिमाही में इन पोषक तत्वों को भूलकर भी न करें नज़रअंदाज़

29 Nov 2019 | 1 min Read

Soma Sur

Author | 5 Articles

जिस दिन महिला गर्भधारण करती है उसी दिन से उसके शरीर में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं, भले ही गर्भावस्था की पुष्टि बाद में हो। आजकल हमारी दिनचर्या और लाइफस्टाइल के कारण हमारा शरीर एक स्वस्थ बच्चे को इस दुनिया में लाने के लिए 100% फिट नहीं रह गया है। इसलिए जरूरी है कि गर्भधारण करने के साथ ही महिलाओं को अपने स्वास्थ्य और पोषण पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

गर्भवती महिला के लिए पहली तिमाही यानी कि गर्भधारण के पहले 3 महीने सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय गर्भ में भ्रूण विकास के महत्वपूर्ण बदलावों से गुजरता है। गर्भवती में हार्मोनल और शारीरिक बदलाव शुरू होने लगते हैं। इसलिए होने वाली माँ पर अपने और शिशु के पोषण की दोहरी जिम्‍मेदारी होती है। संतुलित और पौष्टिक भोजन खाने से गर्भावस्था के ये बदलाव सुचारू रूप से होते हैं।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को सामान्यतया 40% से 60% ज्यादा पोषण की आवश्यकता होती है। प्रसव कालीन पूरक आहार (सप्लीमेंट फूड) इस कमी को पूरा करने में सहायक होते हैं। मदर्स हॉर्लिक्स गर्भवती महिलाओं की इस अतिरिक्त पोषण की जरूरतों को पूरा कर सकता है। मदर्स हॉर्लिक्स में गर्भवती महिला के लिए 25 महत्वपूर्ण पोषक तत्व और रोजाना की जरूरतों के 50% पोषक तत्व जैसे विटामिन ए और ई शामिल हैं। जो यह सुनिश्चित करता है कि मां तथा शिशु को सही विकास के लिए उचित पोषण मिलता रहे।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में ये पांच पोषक तत्व जिन्हें आपको अपने भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए-

फॉलिक एसिड-
शिशु के स्नायु तंत्र के मुख्य भाग जैसे कि मस्तिष्क, मेरुदंड तथा स्नायु ऊतकों का विकास पहली तिमाही में होता है। लाल रक्त कणों के निर्माण में तथा बच्चे के न्यूरल ट्यूब जैसे कि मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड के विकास में फॉलेट महत्वपूर्ण होता है। यह प्रमाणित हो चुका है कि जिन महिलाओं ने गर्भधारण से 1 वर्ष पूर्व फॉलिक एसिड लेना शुरू कर दिया होता है उनमें समय से पहले बच्चे को जन्म देने की संभावनाएं 50% तक कम हो जाती हैं। होने वाले बच्चे में मस्तिष्क तथा स्नायु विकार होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है।

गर्भधारण के पूर्व और पहली तिमाही में प्रतिदिन 400 ग्राम फोलिक एसिड का सेवन अवश्य करना चाहिए।

 

ओमेगा-3 फैटी एसिड डीएचए तथा ईपीए-

गर्भावस्था की पहली तिमाही में बच्चे के स्नायु तंत्र का अधिकतर विकास हो जाता है। आंखें, नाक, मुंह तथा कान का अलग-अलग विकास होना शुरू हो जाता है। गर्भधारण की पहली तिमाही में गर्भवती के लिए जरूरी तत्वों में जरूरी ईपीए यानी ओमेगा-3 है जो कि हृदय, प्रतिरोधक क्षमता तथा इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस के लिए आवश्यक है। डीएचए मस्तिष्क, आंखों तथा मुख्य स्नायु तंत्र के विकास के लिए आवश्यक है। गर्भवती के भोजन में ईपीए तथा डीएचए की सही मात्रा शिशु के सुचारू विकास में सहायक होती है।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में भोजन में अथवा सप्लीमेंट के रूप में प्रतिदिन 300 मिलीग्राम ओमेगा-3 का सेवन अवश्य करना चाहिए।

 

 

कॉलिन-
ऐसा माना जाता है कि 95% महिलाएं गर्भधारण के समय जरूरत से कम कॉलिन का सेवन करती हैं। पहली तिमाही में हार्मोनल बदलाव के कारण जी मिचलाना, मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन जैसे शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं जो कि प्रीमेंसट्रूअल सिंड्रोम की तरह होते हैं। मेटाबॉलिज्म को सुचारू रूप से चलाने में कॉलिन सहायक होता है। यह याददाश्त, मूड, मांसपेशियों, मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को नियंत्रित करता है। बच्चे के स्पाइनल कॉर्ड के विकास तथा प्रारंभिक मस्तिष्क विकास में भी काॅलिन सहायक होता है।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में प्रतिदिन 450 ग्राम कॉलिन का सेवन अवश्य करना चाहिए।

 

 

कैल्शियम-
गर्भावस्था के चौथे सप्ताह से शिशु का हृदय धड़कना शुरू हो जाता है। सभी आवश्यक अंग जैसे कि सर्कुलरी, नर्वस, डाइजेस्टिव तथा यूरिनरी सिस्टम बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। स्वस्थ हृदय, तंत्रिका तथा मांसपेशियों के विकास के साथ ही हृदय की सामान्य धड़कन और खून के थक्के बनने की प्रक्रिया के लिए कैल्शियम आवश्यक तत्व है। गर्भावस्था में कैल्शियम की कमी के कारण माँ की हड्डियों में से बच्चा कैल्शियम की खुराक खींचने लगता है जो कि माँ के शरीर के लिए हानिकारक है।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन अवश्य करना चाहिए।

 

विटामिन-बी12-
गर्भावस्था की पहली तिमाही में ही शिशु के मस्तिष्क तथा स्पाइनल कॉर्ड का विकास होता है। विटामिन-बी12, फॉलिक एसिड के साथ मिलकर जन्मजात विकृति जैसे स्पाइना बिफ़िडा, अन्य स्नायु-तंत्रिका तंत्र की विकृतियों को दूर करता है। गर्भावस्था में प्रोगेस्टेरॉन लेवेल के बढ़ जाने के कारण सीने में जलन, अपच, कब्ज़ तथा गैस की समस्या अधिक होने लगती है। विटामिन-बी12 फैट, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन के मैटाबॉलिज्म को बढ़ाता है जिससे शरीर में एनर्जी लेवल बढ़ता है। जो मूड के बदलाव और स्ट्रैस लेवल को कम करता है।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में प्रतिदिन 2.6 माइक्रो मिलीग्राम विटामिन-बी12 का सेवन आवश्यक है।

 

 

स्वस्थ भ्रूण के निर्माण के लिए पहली तिमाही में स्वस्थ खान-पान आवश्यक है। इस समय भले ही होने वाली माँ के शरीर में बाहरी बदलाव न दिखें परंतु उसका शरीर भीतरी बदलावों की प्रक्रिया से गुजर रहा होता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में इन आहारों के अलावा आयरन, प्रोटीन और जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर स्वस्थ और संतुलित आहार शिशु के उचित विकास और गर्भवती की सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं।

 

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