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अगर बच्चे को बोलने में हो परेशानी तो कराएं स्पीच थेरेपी

अगर बच्चे को बोलने में हो परेशानी तो कराएं स्पीच थेरेपी

2 Mar 2020 | 1 min Read

बच्चा गर्भ से ही सुनने लगता है। जन्म लेने के बाद से ही वह अपने आस-पास के लोगों को बोलते हुए सुनकर वह भी बोलना सीखता है। इसलिए बच्चे सबसे पहले अपनी मातृभाषा ही सीखते हैं। बच्चे तुतलाते हुए बोलते हैं तो सुनने में अच्छा लगता है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बच्चे ठीक से बोल नहीं पाते हैं। बोलने में मे कुछ परेशानी होती है। हियरिंग सोल डॉट कॉम के अनुसार अगर कोई बच्चा लंबे समय तक ठीक से नहीं बोल पाता है तो स्पीच थेरेपी के जरिए उसका इलाज किया जा सकता है।

तो आइए विस्तार से जानते हैं कि स्पीच थेरेपी क्या है(Speech therapy in hindi)? यह कैसे आपके बच्चे की मदद करती है? साथ ही स्पीच थेरेपी कैसे की जाती है? तरीके और फायदे भी जानिए।

स्पीच थेरेपी क्या है? – What is Speech Therapy

स्पीच थेरेपी या वाक्-चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत बोलने में कठिनाई की समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों या बच्चों को कई प्रकार की युक्तियों और तकनीकी चिकित्सा के माध्यम से बोलने की क्षमता विकसित करने में लाभ मिलता है। और उनकी वर्तनी (भाषा) या बोलने की क्षमता में सुधार होता है। आइए, इस चिकित्सा प्रक्रिया के बारे में कुछ बिन्दुओं के माध्यम से जानते हैं –

  • स्पीच थेरेपी बोलने में होने वाली परेशानी (स्पीच डिसऑर्डर) से निजात दिलाती है।
  • स्पीच डिसऑर्डर की समस्या एक बीमारी है, जो शब्दों को बोलने की क्षमता को प्रभावित करती है।
  • स्पीच थेरेपिस्ट को स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट या एसएलपी (SLP) भी कहते है। स्पीच थेरेपिस्ट बोलने, भाषा समझने (सुनने), याद रखने और भोजन ग्रहण करने सम्बन्धी परेशानियों की जांच द्वारा करते हैं और यह निर्धारित करते है कि बच्चे को किस स्तर की बोलने में कठिनाई की समस्या है।
  • बोलने की समस्या से निजात दिलाने के लिए डॅाक्टर बच्चे के अनुसार इलाज का चुनाव करते है।

बच्चों के लिए स्पीच थेरेपी कैसे होती है ?

अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए सबसे पहले एसएलपी (SLP) जांच द्वारा यह निर्धारित करता है कि समस्या का प्रकार और स्तर क्या है? फिर वह समस्या के निवारण से जुड़े तरीकों में से बच्चे के आधार पर विशेष तरीको का चयन करता है। जो कि समस्या को बेहतर तरीके से हल कर सकें। इसके लिए वह ऐसे प्रयोगों और खेलों का सहारा लेता है जोकि बच्चों को बहुत मजेदार थोड़े चुनौतीपूर्ण और आनंददायक लगें। जिससे की बच्चा इसमें पूरी तरह से हिस्सा ले और प्रक्रिया के सभी चरणों को पूरा करे।

1. लैंग्वेज इंटरवेंशन एक्टिविटीज़

लैंग्वेज इंटरवेंशन या भाषा में हस्तक्षेप तीन बातों पर निर्भर करती है – शब्दों का ज्ञान, बोलने का कौशल, और सुनने की क्षमता यह कई तरीकों से बच्चों की भाषा को विकसित करती है। जिसमें बच्चे के सही या गलत बोलने पर उन्हें जरूरी प्रतिक्रिया दी जाती है। साथ ही चिकित्सक फोटो और बुक या खेल के माध्यम से भी भाषा को सीखने का प्रोत्साहन दे सकते हैं।

2. आर्टिकुलेशन थेरेपी

अभिव्यक्ति चिकित्सा या आर्टिकुलेशन थेरेपी द्वारा स्पीच-लैंग्वेज पैथोलोजिस्ट बच्चों को उन शब्दों और ध्वनियों को बोलने का अभ्यास बार-बार करवाते है जिन ध्वनियों को बोलने में बच्चे को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके लिए वह मॉडल तैयार कर सकते हैं। जिसमें किसी आवाज को कैसे निकालना है? और उस समय जीभ कैसे हिलती है? यह सभी क्रियाएं बच्चों को करके दिखाते हैं।

3. फीडिंग एंड स्वालोइंग थेरेपी

खाने और निगलने की चिकित्सा द्वारा चिकित्सक बच्चों को भोजन चबाते समय और निगलते समय होने वाली जरूरी क्रियाओं को मजेदार तरीके से समझते हैं। ऐसे अभ्यास करवाते हैं जिनसे मुंह की मांसपेशियों को मजबूत किया जा सके। जिससे बच्चे खाने और निगलने के समय सजगता से काम लें। भोजन के आधार पर उन्हें खाने के नियम बताते है।

स्पीच थेरेपी के प्रकार क्या है? – What are the types of speech therapy?

स्पीच थेरेपी कई प्रकार से होती है। यह व्यक्ति और बच्चों के लिए भी अलग होती है, जिससे कि हर उम्र का हर व्यक्ति स्पीच थेरेपी से लाभ प्राप्त कर सके। वह बोलने, सुनने, समझने सम्बन्धी सभी विकारों से निजात पा सके, साथ ही अपने आत्मविश्वास को फिर से बढ़ा सके। जिससे कि उसे शिक्षा, व्यवसाय और सामाजिक क्षेत्र में उचित सम्मान और लाभ प्राप्त हो सके।

देर से बोलने वाले बच्चे के लिए चिकित्सा

छवि स्त्रोत : spectrumspeech

ऐसे बच्चे या नवजात शिशु जोकि सामान्य से अधिक समय बाद बोलन शुरू करते हैं या फिर बोलने में सक्षम नहीं होते है। उनके लिए भी स्पीच थेरेपी बहुत सहायक होती है। इसमें चिकित्सक आपके बच्चे को हर संभव प्रयास द्वारा बोलने के लिए उत्साहित करता है जिससे कि वह बोलने की कोशिश करे।

चिकित्सक बच्चे से दोस्ती करता है। उसे उसकी पसंद की चीजों को दिखाकर उत्साहित करता है, जिससे बच्चा उन्हें पाने के लिए बोले, या फिर उन्हें बहुत सी तस्वीर और चित्र दिखाकर बोलने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। साथ ही वह आपके बच्चे की सुनने की क्षमता का परिक्षण भी कर सकता है।

1. अप्रेक्सिया ग्रस्त बच्चे के लिए चिकित्सा

अप्रेक्सिया (Apraxia) की बीमारी दिमाग से जुड़ी समस्या है और इससे ग्रस्त बच्चे कुछ प्रकार के शब्दों और ध्वनियों के उच्चारण में कठिनाई महसूस करते है। उन्हें शब्दों का सही ज्ञान होने पर भी उन्हें बोलते समय गलतियां होती है। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सक या स्पीच थेरेपिस्ट कुछ जरूरी जांच करता है, जिससे की समस्या का सही रूप से मूल्यांकन किया जा सके।

यदि आपका बच्चा अप्रेक्सिया (Apraxia) की समस्या से ठीक भी हो जाये तब भी उसे स्पीच थेरेपी की आवश्यकता पड़ती ही है। जिसके अंतर्गत चिकित्सक आपके बच्चे को शब्दों के उच्चारण और उनकी ध्वनियों को समझने के लिए उन्हें देखकर या छू कर समझने में सहयोग करता है। इसके अतिरिक्त आपके बच्चे को बोलते समय आईने में खुद को देखकर, या बोले गए शब्दों को रिकार्ड कर के वापस सुनने से मदद मिलती है। ऐसे अभ्यास बच्चे के विकास में सहायक होते है।

2. हकलाने के लिए चिकित्सा

हकलाने की समस्या एक प्रकार का विकार है, जो की ज्यादातर बचपन से ही दिखाई देने लगता है। पर कभी-कभी किसी मानसिक आघात के कारण व्यस्क व्यक्तियों में भी हकलाने के समस्या उत्पन्न हो सकती है। किसी भी उम्र वर्ग के व्यक्ति को जो इस समस्या से पीड़ित है स्पीच थेरेपी की आवश्यकता होती है।

इसके अंतर्गत चिकित्सक आपके बच्चे या किसी व्यक्ति को उसके व्यवहार सम्बन्धी कुछ अभ्यास देकर इस समस्या का उपचार करने की कोशिश करता है। इसके लिए वह आपसे बोलते समय तीव्रता के स्थान पर धीरे-धीरे बोलने को कह सकता है, क्योंकि गति से बोलने पर बीच में अटकने और हकलाने की समस्या उत्पन्न होती है। पर धीरे, सही उच्चारण से, धाराप्रवाह में बोलना, अधिक फायदेमंद रहता है। अपनी श्वास पर नियंत्रण भी लाभ पहुंचता है।

3. स्वरहानि के लिए चिकित्सा

अफेजिया (aphasia) स्वरहानी या बोलते समय शब्दों का लोप हो जाना अथवा भूल जाना एक दिमागी विकार है। इससे ग्रस्त बच्चा बोलते हुए ही अचानक शब्दों को भूलकर स्तब्ध हो जाता है। इसमें बच्चे को पढ़ने, सुनने, और लिखने में भी समस्या होती है। यह समस्या व्यस्क व्यक्तियों में भी हो सकती है, पर इसका कारण किसी प्रकार का मानसिक आघात होता है।

इस समस्या में स्पीच थेरेपिस्ट आपकी सहायता कर सकता है। वह बच्चे को दूसरे के द्वारा बोले गए शब्दों को समझने, अपने विचार सही प्रकार से जाहिर करने, और निगलने सम्बन्धी समस्याओं का उपचार करता है। जिसके अंतर्गत आपको समूह में लोगों से बात करने, भाषा सम्बन्धी कुशलता विकसित करने, और लिखकर चीजों को याद रखने सम्बन्धी अभ्यास करवाता है।

4. निगलने में कठिनाई के लिए चिकित्सा

कभी-कभी किसी कारणवश आपका बच्चा भोजन निगलने सम्बन्धी विकार से ग्रस्त हो सकता है। इसमें भी स्पीच थेरेपिस्ट आपके बच्चे की सहायता कर सकता है। चिकित्सक आपके बच्चे को अभ्यास द्वारा जबड़े और मुँह की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहयोग कर सकता है। जिससे की उसे चबाने और जीभ की गतिविधियों द्वारा भोजन को बेहतर तरीके से निगलने में मदद मिलती है।

स्पीच थेरेपी से लाभ – Benefits of speech therapy

स्पीच डिसऑर्डर (वाणी विकार) की समस्या होने पर या अन्य समस्याओं में बोलने से सम्बंधित अन्य समस्याओं में भी स्पीच थेरेपी या वाक्-चिकित्सा से काफी लाभ मिलता है जैसे –

  • बच्चे की साफ बोलने की क्षमता बढ़ना, उसमें आत्मविश्वास का आना।
  • बच्चे का धाराप्रवाह में बोलना, उसे बोलते समय परेशानी न होना।
  • बोलते समय डर, चिंता, भय समाप्त होना, उसमें निराशा और मायूसी समाप्त होना।
  • उसकी पढ़ाई में सुधार होना, सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ना, भावनात्मक रूप से मजबूत होना।
  • ध्वनियों को पहचानने में सक्षम होना, लिखने और पढ़ने में सुधार होना।
  • उत्साह में वृद्धि होना, मानसिक स्तर में सुधार होना, शब्दों के उच्चारण में कुशलता आना।
  • बातचीत में सक्षम होना, भाषा की जानकारी बढ़ना, सोचने और समझने में आसानी, तर्क शक्ति बढ़ना, सुनने की शक्ति में सुधार होना।
  • शब्दों के बीच फर्क समझना आदि लाभ होता है।
  • सबसे बड़ी बात बच्चा अब ठीक से बोलने पर खुश रहता है।

तो इस लेख में आपने जाना कि बच्चे स्पीच डिसऑर्डर से उबरने के लिए स्पीच थेरेपी का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं ? उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार साबित होगा और आप अपने बच्चे को सही उच्चारण और बातचीत की ट्रेनिंग देने में कामयाब रहेंगें। अगर आप स्पीच थेरेपी से जुड़ी अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो आपको चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह मशवरा लेनी चाहिए।

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