3 Oct 2021 | 1 min Read
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बच्चे अपने अपने माता-पिता से बहुत कुछ सीखते है। पैरेंट्स को भी बच्चों से सीखने को काफी कुछ मिलता है। लेकिन क्या बच्चों के बर्ताव को देखकर हमें अपनी पैरेटिंग बदलनी चाहिए। जवाब है हाँ, बच्चे की परवरिश करते समय अपने आप को थोड़ा बहुत बदलना पड़ता है ताकि समय रहते आपका अपने बच्चे से अच्छे दोस्ताना बर्ताव बना रहें। आइए जानते हैं कि आपको कब अपनी पैरेंटिंग बदलने की जरूरत हो सकती है,
बच्चे की परवरिश करते समय उन्हें हर काम के लिए स्वतंत्र करे। चाहे उनको सारा दिन टीवी देखना हो, खेलना हो जो मन उनका करे, वह कर देने। आप एकदम शांत रहे बच्चों को यह एहसास ही नहीं होने, दे कि आप उनके सामने है। बच्चे की उपलब्धियों की प्रशंसा करें, चाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न हो, यह उन्हें गर्व का अनुभव देती है। बच्चों को स्वतंत्र रूप से काम करने देना उन्हें सक्षम और मजबूत बनाता है। इसके विपरीत, उनके काम और प्रयास को कम आंकना या किसी बच्चे की दूसरे के साथ तुलना करना बच्चे के अंदर हीनभावना पैदा कर सकता है।
दूसरे दिन बच्चों से सुबह उठते ही बहुत प्यार से गुड मॉर्निंग बोले। अपने बच्चे को बताएं कि हम कुछ समय के लिए घर से बाहर जा रहे है। आप घर पर रहो आराम से जो मर्जी हो करो। यह घर आपका है हम कोई रोका टोकी नहीं करेगी। ऐसा नहीं कि आप बच्चे को अकेले छोड़ कर जाए। आप अपने पड़ोसी के घर जाए ताकी आप बच्चे पर नजर रखें। कुछ मिनट बाद एकदम से घर की बेल रिंग करे। फिर अपने बच्चे का रिएक्शन देखें। इसके अलावा हर दिन प्रशंसा करने के लिए कुछ खोजने का प्रयास करें। पुरस्कारों के लिए आपका प्यार, आलिंगन और तारीफ अद्भुत काम कर सकते हैं और अक्सर यही पर्याप्त इनाम होते हैं। जल्द ही आप पाएंगे कि आप जिस व्यवहार को देखना चाहते हैं, उसमें आप सफल हो रहे हैं।
बच्चों को उनकी पसंद की सारी शापिंग कराए लेकिन एक बजट सेट करे,कि तुम्हे जो मर्जी है वो खरीदों लेकिन इतने ही बजट में। अनुशासन का लक्ष्य बच्चों को स्वीकार्य व्यवहार चुनना है और आत्म-नियंत्रण सिखाने में मदद करना है। आप बच्चों को एक दिन में अनुशासित नहीं कर सकते हैं इसलिए उन्हें लगातार बचत की आदत सिखाएं ताकि बड़े होने पर वो अपने बजट का ख्याल रखने वाले व्यक्ति बनें।
बच्चों को वह खाने को दे जो बच्चे खाने में आनाकानी करते है। जैसे कि ग्रीन वेजिटेबल, दाल राइस पूरा दिन सिर्फ हेल्दी खाने को दे। यह भी कहे कि इसके अलावा कुछ भी खाने को नहीं मिलेगा। पालन-पोषण को एक प्रबंधनीय कार्य बनाने का प्रयास करें। बढ़ते हुए बच्चों पर सबसे अधिक खाने-पीने पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
पांचवें दिन बच्चे से कुछ देर बात नहीं करे। बल्कि बच्चों को मौका दे कि, वह स्वयं पूछे कि मां पापा आप ऐसा क्यों कर रहे हो। बच्चे को एहसास होगा कि कुछ तो अलग हो रहा है। शायद बच्चे उस तरह से आपके ऊपर चिल्लाएं नहीं है। हो सकता है कि सारी बात नहीं माने लेकिन कुछ बात जरूर मानेंगे। क्योंकि आजकल के बच्चों को समझाना आसान नहीं है। इसलिए ऐसे चैलेंज कभी कभी खुद को देने पड़ते हैं।
इन पांच दिनों के पैरेटिंग चैलेंज में आपको बच्चे के अंदर काफी परिवर्तन देखने को मिलेगा। आपके लिए तो यही चैलेंज है कि आपको यह करना पड़ेगा जो आप नहीं करना चाहते है। बच्चों को बदलना इतना आसान नहीं है लेकिन हमें स्वयं की पैरेटिंग को बदलना होगा। इस चैलेंज को आप सिर्फ एक बार नहीं बल्कि कई बार अपनाए। क्योंकि पैरेंटिंग के इस सफर में आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
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