6 Nov 2021 | 1 min Read
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दीवाली हो या होली त्यौहारों की तैयारी महीनों पहले से शुरू हो जाती है। दीवाली की बात करें तो, दीवाली पांच दिनों तक चलती है। धनतेरस के पहले से ही मेहमानों का आना-जाना। बाजारों की रौनक, शापिंग, लेकिन त्यौहार बीतते ही थकान महसूस होने लगती है। कुछ अच्छा सा नहीं लगता, मन में एक अजीब सी बेचैनी महसूस होती है। ऐसा महसूस होने का मतलब है मूड स्विंग होना। जी हां त्योहारों के बाद मूड स्विंग होते है।
फेस्टिवल के बाद मूड स्विंग क्यों होते हैं
बहुत ज्यादा काम की वजह से थकान का अनुभव होता है। ऐसा लगता है कि सिर्फ सोते ही रहें, जो उत्साह त्यौहार के एक दो दिन पहले का होता है। वह एकदम से खत्म हो जाता है, जहां रिश्तेदारों और दोस्तों की रौनक रहती है। वही घर में एकदम सन्नाटा सा लगता है। वैसे तो सभी की कोई ना कोई रूटीन फिक्स होती है। लेकिन त्योहारों के दौरान एकदम से रूटीन बदल जाती है। डाइट का असर भी आपके मूड पर पडता है। फेस्टिवल के दौरान हमारी डाइट भी बदल जाती है।
इन मूड स्विंग से कैसे निपटें
त्यौहार या शादी घर में जो रौनक रहती है उसकी बात ही अलग होती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह समय रुक जाए। इसलिए अपने आपको मानसिक तौर से तैयार करना जरूरी होता है। कि इसके बाद और भी बहुत सी चीजें आयेगी, जैसे दीवाली के बाद बहुत से और त्योहार आते हैं। उनके बारे में सोचें कि उन त्योहारों पर कैसे तैयारी करनी है। किसी भी फेस्टिवल के बाद बहुत थकान महसूस होती है। इसलिए अपने आपको आराम दे, क्योंकि इतने दिन की भागदौड़ के बाद फुर्सत भी मिलनी चाहिए।
अपने मूड को अच्छा करने के लिए आप मेडिटेशन करिए। कुछ वक्त स्वयं के साथ बताएं और यह सोचे कि अगली बार इससे भी बेहतर करना है।
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