नवजात शिशु की सुरक्षा कैसे करें ?

नवजात शिशु की सुरक्षा कैसे करें ?

7 Nov 2021 | 1 min Read

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एक छोटा शिशु होना किसी भी मनुष्य के स्वास्थ्य का सबसे पहला और नाजुक पड़ाव होता है। रज और वीर्य के मिलन से भ्रूण और भ्रूण से विकसित हो कर शिशु बनने का नौ महीने लंबा सफ़र तय करने के बाद प्रसव की प्रक्रिया होती है। इसके बाद शुरू होता है माता-पिता का इम्तेहान यानी नन्हे शिशु के रखरखाव का क्रम। यह थोड़ा मुश्किल काम तो है लेकिन इसमें हम आपकी थोड़ी मदद जरूर कर सकते हैं, जानिए  नवजात शिशु की सुरक्षा कैसे करें और नवजात शिशु की देखभाल कितनी जरूरी है।

प्रायः नवजात शिशु का वजन 2.5-4.3 किग्रा तक एवम् लंबाई 48-56 से. मी होती है। हालांकी, वजन और लंबाई का अनुपात कुछ शिशुओं में भिन्न भी हो सकता है, परंतु इसका यह अर्थ नहीं की शिशु का विकास सही तरह से नहीं हुआ। इस संबंध में बाल चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। सही वजन और लम्बाई के बाद नवजात शिशु की सुरक्षा के लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है  –

छोटे बच्चों के लिए रिस्क फैक्टर क्या होते हैं ?

नवजात शिशुओं के जीवन की सबसे अधिक संवेदनशील अवधि,उनके जन्म और जीवन के पहले सप्ताह के बीच का समय होता है। नवजात शिशुओं की मृत्यु के प्रमुख कारण सेप्सिस, न्यूमोनिया, दस्त, टिटेनस संक्रमण और जन्म के समय होने वाला एस्फिक्सिया आदि हैं। आंकड़ों के अनुसार न्यूमोनिया से 16% तो संक्रमण से 12% मौतें होती हैं, इसके साथ एस्फिक्सिया (दम घुटना) के कारण 23% मौतें होती हैं। इसके अलावा शिशुओं में कुपोषण और पीलिया भी सामान्य रूप से पाई जाने वाली समस्याएं हैं। उन्नत तकनीक और स्वास्थ्य सेवाओं के कारण इन समस्याओं का उपचार या रोकथाम संभव है। 

सडन इन्फैंट डेथ क्यों होती हैं ?

SIDS (Sudden Infant Death Syndrome) का कारण अज्ञात है, कई चिकित्सक और शोधकर्ता मानते हैं कि SIDS बच्चे की नींद से जागने की कम क्षमता के कारण होता है, बच्चे जब मुंह के बल सोते हैं तो वे उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड को दोबारा सांस के जरिए अंदर ले लेते हैं। इससे उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। यह सडन इन्फैंट डेथ का कारण बन सकता है। इसलिए सोते समय बच्चे का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए जरूरी टिप्स

नवजात शिशु की देखभाल करते समय आपको बहुत शांत और सतर्क रहना चाहिए, कोई भी परेशानी हो या बच्चा रो रहा हो तो परेशान न हों बल्कि ठंडे दिमाग से निर्णय लें शिशु की किसी भी असामान्य हरकत पर, चिकित्सक से सलाह लेकर ज़रूरी इलाज़ करवाना चाहिए। कुछ टिप्स अपनाने की सलाह हम दे रहे हैं – 

1. नवजात शिशु को कराएं स्तनपान

जन्म के तुरंत बाद शिशु को मां के पास ही रखा जाना चाहिए, तभी पहला स्तनपान भी पूर्ण होना चाहिए। मां का दूध ही शिशु के पोषण और सुरक्षा के लिए सर्वोत्तम है, विश्व स्वास्थ्य संगठन शिशु को जन्म के पहले छः महीनों तक केवल स्तनपान कराने की सलाह देता है। स्तनपान शिशु की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि मां का दूध सुपाच्य होने के साथ दस्त, छाती का संक्रमण, मोटापा,श्वसन तंत्र में संक्रमण आदि के जोखिमों को भी कम करता है। मां के दूध में प्राकृतिक एंटीबॉडीज, जीवन प्रतिरक्षा कोशिकाएं, एंजाइम्स,आदि होते हैं जो कि समय रहते संक्रमण का जोखिम कम करते हैं।

2. तापमान रखें सामान्य

मां और नवजात शिशु को एक साथ गर्म कमरे में रखा जाना चाहिए, मौसम अनुरूप नवजात शिशु को उपयुक्त कपड़े पहनाए जाने चाहिए, साथ ही साथ इस बात का भी ध्यान रखा जाए की शिशु के हाथ पैर और पेट गरम हों, और बगल का तापमान 36.5 से 37.5 सेंटीग्रेड हो। जन्म के तुरंत बाद शिशु को नहलाना नहीं चाहिए, पहला स्नान जन्म के 7-10 दिन बाद या नाडू गिरने के बाद ही करवाना चाहिए। शिशु के केवल गुनगुने पानी से स्नान करवाना चाहिए और ठीक से पोंछने के बाद तुरंत कपड़े पहना कर स्तनपान करवाना चाहिए।

3. टीकाकरण है जरूरी

बच्चे के जन्म से कुछ वर्ष तक टीकाकरण होना जरूरी होता है जो शिशु को विभिन्न बीमारियों से बचाते हैं। शिशु को जन्म से निर्धारित समय तक निर्देश अनुसार टीका लगवाते रहना चाहिए। बीसीजी, हेपेटाइटिस बी, पोलियो का टीका/खुराक जन्म के साथ ही शिशु को दी जानी चाहिए ताकि शिशु की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सके। साथ ही साथ अन्य टीकाकरण एवम् खुराकें निर्धारित समय पर शिशु को दिलवाते रहना चाहिए।

नवजात शिशु की सुरक्षा की जिम्मेदारी मां के गर्भ से ही शुरू होती है। गर्भावस्था की पहली तिमाही से लेकर तीसरी तिमाही तक मां को अपनी हेल्थ का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। नवजात के जन्म के बाद शिशु को प्राथमिक टीकाकरण किया जाता है। उसके बाद गहन चिकित्सा कक्ष में रखा जाता है। ताकि नवजात पूरी तरह से बाहर के वातावरण में सहज हो सके। उसके बाद माता-पिता की जिम्मेदारी होती है कि शिशु को कैसे सुरक्षित रखना है। पहली बार माता पिता बनने के बाद शुरुवात में नवजात की देखभाल करना थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन यकीनन यह दुनियां के सबसे खूबसूरत एहसासों में से एक होता है। कुछ ही समय में आपको इसकी आदत पड़ जाएगी और आप इस समय को सहजता से पूरा कर लेंगे। हमें आशा है की उपर्युक्त जानकारी आपके नन्हे मुन्ने की देखरेख में सहायक होगी।

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