9 Nov 2021 | 1 min Read
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हम सभी चाहते हैं कि बच्चे हँसते-खेलते और मुस्कुराते रहें लेकिन कुछ समस्याएँ बच्चों को बहुत परेशानी में डाल देती हैं जिसमें से एक है साइनोसाइटिस (Sinus in Children)। बच्चों में सर्दी जुकाम होना सामान्य होता है। लेकिन अगर बार-बार खांसी, जुकाम हो तो यह साइनस का कारण बन जाता है। बच्चों का यह जुकाम अगर लंबे समय तक बना रहता है तो काफी गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं। इसकी वजह से बच्चों को सिरदर्द, बुखार की समस्या बन जाती है। बेबीचक्रा के इस लेख में आज हम इस पर विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं –
साइनस क्यों होता है और ये साइनस बीमारी क्या है, ये जानकारी हम आगे देने वाले है, आप ध्यानपूर्वक पढ़ें और बच्चों में गंभीर लक्षण दिखाई दें तो घर पर उपचारित करने से बचें, किसी भी तरह से घरेलू उपचार, मेडिकल हेल्प का विकल्प नहीं बन सकते हैं। जानते है सबसे पहले कि बच्चों में साइनस इंफेक्शन क्या है?
हर व्यक्ति में नाक व चहरे के आस पास खोखली हड्डियों में चार ख़ाली जगह(नलियां) होती हैं। इन्हें मैक्जिलरी साइनोसाइटिस, एथमोइड साइनोसाइटिस, फ्रंटल साइनोसाइटिस और स्फेनोइड साइनोसाइटिस कहते हैं। जहां मैक्जिलरी साइनोसाइटिस गाल की हड्डियों के पास होता है, एथमोइड साइनोसाइटिस नाक के पिछले हिस्से में होता है, फ्रंटल साइनोसाइटिस माथे की तरफ़ और स्फेनोइड साइनोसाइटिस नाक की गहराई के अंदर वाले हिस्से में होता है।
जब इन नलियों में किसी तरह के बाहरी कणों का जमाव या किसी तरह के बैक्टीरिया के कारण इन्फेक्शन हो जाता है तो इन जगह पर सूजन आ जाती है जिसे साइनोसाइटिस इन्फेक्शन कहते हैं। आम भाषा में इसे ही साइनस संक्रमण (Sinus infection) भी कहते हैं।
अभी आपने जाना कि साइनस क्यों होता है, आगे पढ़ें इसके विभिन्न प्रकार क्या हैं?
बच्चों में साइनस या साइनोसाइटिस तीन प्रकार होता है।
1. एक्यूट साइनस (Acute Sinusitis in Children in Hindi)
Acute Sinusitis in children एक सामान्य साइनस है। किसी व्यक्ति के वायरस, बैक्टीरिया या एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों के संपर्क में आने की स्थिति में एक्यूट साइनस हो जाता है। यह प्रायः चार या चार से कम हफ्तों तक रहता है।
2. क्रोनिक साइनस (Chronic Sinusitis in Children in Hindi)
इस स्थिति में नाक के आस पास की कोशिकाएं सूज जाती हैं और बच्चे को दर्द भी होता है। यह साइनस प्रायः एक महीने से तीन महीनों तक रहता है।
3. रिकरेंट साइनस ( Recurrent Sinusitis in Children in Hindi)
इस स्थिति में संक्रमण बार बार वापस आ जाता है। प्रायः इस स्थिति में बच्चे को साल में तीन या तीन से ज्यादा साइनस के दौरे (Sinusitis in children) आ सकते हैं। आमतौर पर रिकरेंट साइनस की समस्या अस्थमा या बहुत जल्दी एलर्जी से प्रभावित होने वाले बच्चों में ज्यादा होती हैं।
साइनस बीमारी क्या होती है हमें पता है, लेकिन साइनस के लक्षण कैसे पहचानें ये पता होना भी जरूरी है। साइनस का सबसे पहला लक्षण सिरदर्द है। साइनस में सूजन की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है जिस कारण सिर की नसों पर दबाव पड़ता है और सिर का दर्द होने लगता है। इसके अन्य लक्षण हैं –
छोटे बच्चों में साइनोसाइटिस के कई कारण हो सकते हैं जिनमें से प्रमुख कारण हैं –
1. एलर्जी का होना – जिन बच्चों को किसी तरह की नाक से संबंधित एलर्जी की शिकायत रहती है उनमें साइनस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के संपर्क में आने और पहले से मौजूद एलर्जी की शिकायत के कारण साइनस संक्रमण गंभीर हो जाता है।
2. अस्थमा – अस्थमा सांस संबंधी बीमारी है, जो फेफड़ों और सांस नलियों को प्रभावित करती है। अस्थमा से ग्रसित मरीज़ ठीक से सांस नहीं ले पाता, जिस कारण मरीज़ को साइनस संक्रमण होने के आसार बढ़ जाते हैं।
3. फैमिली हिस्ट्री – किसी भी अन्य बीमारी की तरह ही साइनस का संक्रमण फैमिली हिस्ट्री की वजह से भी हो सकता है। यदि किसी बच्चे के परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को साइनस संक्रमण की समस्या है तो उस बच्चे को भी साइनस संक्रमण होने के आसार बढ़ जाते हैं।
4. नाक की असामान्य संरचना का होना – जब किसी बच्चे की नाक की संरचना असामान्य होती है उस स्थिति में भी साइनस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
इन सब के अतिरिक्त दातों में इन्फेक्शन, कुपोषण, साफ़ सफ़ाई का आभाव, प्रदूषण के संपर्क में रहना, डिहाइड्रेशन आदि भी बच्चों में साइनस संक्रमण के कारण हो सकते हैं।
डॉक्टर एक बार साइनस की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर नीचे लिखे ट्रीटमेंट सुझा सकते हैं –
बच्चों को तत्काल राहत देने के लिए कुछ घरेलू उपचार भी अपनाए जाते हैं लेकिन ये मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्प नहीं हो सकते हैं। अगर बच्चे की स्थिति गम्भीर हो तो उसे डॉक्टर को ही दिखाना चाहिए, कुछ हल्के फुल्के ट्रीटमेंट जो दिए जा सकते हैं वो हैं –
1. शहद- यह आपको या आपके बच्चे को होने वाली सर्दी-खांसी को रोकता है, और गले के संक्रमण का सफाया करता है, जिससे बच्चे को आराम पहुँचता है।
2. तरल पदार्थ– इस समस्या में शरीर में पानी का स्तर गिरने लगता है इसलिए शरीर में नमी बनाये रखने के लिए बच्चों को खूब सारा तरल पदार्थ व गर्म सूप (शोरबा) दें यह बच्चे को तुरंत राहत देगा।
3. साफ सफाई- संक्रमण-जनित किसी भी बीमारी से निपटने के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। और बच्चों को धूल, व गंदगी से भरे वातावरण में बिलकुल न जाने दें।
इस प्रकार हमें उम्मीद है कि आपके लिए इस लेख को पढ़ना उपयोगी साबित हुआ होगा क्योंकि हमने इसमें साइनस संक्रमण (sinus infection) की पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है। यदि बच्चे को साइनस (Sinusitis in children) है और उसमें ऊपर बताए हुए लक्षण दिखाई देते हैं तो आप डॉक्टर से तुरंत मिलें। इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
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