14 Feb 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
Author | 45 Articles
दूध नलिकाओं के बंद होने और स्तन के संक्रमण के कारण मास्टिटिस होता है। असल में ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को मास्टिटिस होने की ज्यादा संभावना होती है। हालांकि यह उन पुरूषों और महिलाओं को भी हो सकता है, जो नर्सिंग नहीं कर रहे हैं।
मास्टिटिस क्या है?
मास्टिटिस ब्रेस्ट के टीशू में सूजन होने के कारण होता है। स्तनशोध के कारण ब्रेस्ट में दर्द, सूजन, गर्मी और लाली जैसा महसूस होता है। इन लक्षणों की वजह से बुखार या ठंड जैसा महसूस हो सकता है। लैक्टेशन मास्टिटिस के कारण शिशु की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है। मास्टिटिस एक ब्रेस्ट में नहीं, दोनों ब्रेस्टों में भी हो सकता है। मास्टिटिस एक प्रकार का गैर कैंसरयुक्त स्तन रोग होता है।
स्तनपान के दौरान मास्टिटिस होने का खतरा किनको रहता है?
वैसे तो मास्टिटिस ब्रेस्टफीडिंग करवाने के पहले 6 से 12 हफ्ते के दौरान होता है। लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता है, जो पुरूष स्तनपान नहीं करवाते हैं, उन्हें भी यह हो सकता है-
स्तनपान के दौरान मास्टिटिस के लक्षण क्या होते हैं?
मास्टिटिस के लक्षण अचानक सामने आते हैं। इनमें ये लक्षण शामिल होते हैं-
स्तनपान के दौरान मास्टिटिस कितने प्रकार के होते हैं?
सामान्य रूप से मास्टिटिस दो प्रकार के होते हैं-
लैक्टेशन (Lactation)- ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं में इस तरह का इंफेक्शन होने की संभावना रहती है। इसे प्यूपरल मास्टिटिस (puerperal mastitis) भी कहा जाता है।
पेरिडक्टल (Periductal)- पेरिडक्टल और पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं और धूम्रपान करने वालों में पेरिडक्टल मास्टिटिस होने का खतरा अधिक होता है। इसे मैमरी डक्ट एक्टेसिया (mammary duct ectasia) भी कहा जाता है, इस स्थिति में दूध की नलिकाएं मोटी हो जाती हैं।
स्तनपान के दौरान मास्टिटिस किन कारणों से होता है?
मास्टिटिस होने पर स्तन में दूध अवरूद्ध हो जाता है। इसके दूसरे कारण है-
मिल्क डक्ट का ब्लॉक हो जाना- जब शिशु को दूध पिलाने के बाद स्तन पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता है, तब बचे हुए दूध से नलिका अवरूद्ध हो जाती है। दूध के ब्लॉकेज के कारण ब्रेस्ट में इंफेक्शन हो जाता है।
ब्रेस्ट में बैक्टीरिया का प्रवेश करना- बच्चे के मुँह से या त्वचा के माध्यम से बैक्टीरिया निप्पल की त्वचा में हुए दरार के माध्यम से मिल्क डक्ट के खुलने पर प्रवेश कर जाता है। और यह बैक्टीरिया स्तन में जो दूध जमा हुआ रहता है, उसमें पनपने लगता है।
गलत लैचिंग का तकनीक- स्तनपान कराने के दौरान गलत लैचिंग कराने का तकनीक या एक ही पोजिशन में ब्रेस्टफीड कराने के कारण,
टाइट-फिटिंग ब्रा- टाइट फिटिंग वाला ब्रा पहनने के कारण दूध का प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है।
स्तनपान के दौरान मास्टिटिस से कैसे बचा जा सकता है?
मास्टिटिस होने का खतरा कम करने के लिए जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है वह है सही तरह से शिशु को ब्रेस्टफीड करवाना। इसके अलावा जिन चीजों को फॉलो करने से खतरा को कम किया जा सकता है, वह है-
– स्तनपान कराने के दौरान ब्रेस्ट से दूध पूरी तरह से खत्म हो जाना चाहिए।
– एक ब्रेस्ट का दूध पिलाने के बाद शिशु को दूसरे ब्रेस्ट से दूध पिलाने के पहले ब्रेस्ट का दूध खत्म हो जाना चाहिए।
-एक पोजिशन में ब्रेस्टफीड करवाने के बाद दूसरे ब्रेस्ट से फीडिंग करवाने के पहले पोजिशन, में बदलाव जरूर लाएं।
– ब्रेस्टफीड करवाने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा सही तरीके से पिएं।
– यदि आप धूम्रपान करती हैं तो इसके लिए डॉक्टर से जरूर सलाह ले लें।
स्तनपान के दौरान मास्टिटिस होने पर क्या शिशु को दूध पिलाया जा सकता है?
जी हाँ, बिल्कुल पिला सकते हैं। आपके ब्रेस्ट मिल्क के द्वारा बच्चे को किसी भी प्रकार का इंफेक्शन नहीं होगा। असल में ब्रेस्टमिल्क में एंटीबैक्टीरियल गुण होता है जो बच्चे को इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। मास्टिटिस होने पर दूध पिलाना माँ के लिए मुश्किल हो सकता है, लेकिन स्तनपान करवाने पर दूध के नलिकाओं से दूध को निकालने में मदद मिलती है। जमे हुए दूध को मिल्क डक्ट में रहने न दें, इसलिए उसी ब्रेस्ट से शिशु को पहले दूध पिलाएं।
यह बात तो आपको क्लियर हो ही गई होगी कि मास्टिटिस न हो, इसके लिए आपको क्या करना चाहिए। और मास्टिटिस होने पर बच्चे को दूध पिलाने पर बच्चे को किसी भी प्रकार का इंफेक्शन नहीं होता है।