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शिशु की तेल मालिश करने का क्या है सही तरीका?

शिशु की तेल मालिश करने का क्या है सही तरीका?

7 Mar 2022 | 1 min Read

Mona Narang

Author | 163 Articles

अक्सर घर के बड़े-बुजुर्ग शिशु की तेल मालिश करने की सलाह देते हैं। उनका मानना है कि शिशु की मालिश करने से उनकी मांसपेशियां मजूबत होती हैं। मालिश शिशु को शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह से लाभ पहुंचाती है। यही नहीं मालिश शिशु और मां के बीच प्यार और एहसास का रिश्ता भी कायम करती है। शिशु के लिए मालिश उतनी ही जरूरी है, जितना बुढ़ापे में खाने के लिए दांत। मालिश ना सिर्फ शिशु के रोम-रोम को आराम पहुंचाती है, बल्कि इससे उसका शारीरिक विकास भी तेजी से होता है।

मालिश का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि शिशु को नींद जबरदस्त आती है। मालिश के लिए इस बात का ध्यान रखना होता है कि आप शिशु की मालिश सही समय और सही तरीके से कर रहे हैं या नहीं। क्या मालिश करते वक्त शिशु ज्यादा रो तो नहीं रहा है, क्योंकि कई मामलों में ऐसा होता है कि माँ को सही तरीके से मालिश करना नहीं आता है।

गलत तरीके से मालिश करने के चलते शिशु को आराम की जगह दर्द हो सकता है। क्या आपका बच्चा मालिश कराते समय रोता है? क्या आप शिशु की मालिश करते समय कोई गलती तो नहीं कर रही हैं? इस आर्टिकल में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि शिशु की मालिश करने का आखिर सही तरीका क्या है।

नवजात शिशु की तेल मालिश के फायदे

शिशु की तेल मालिश
मालिश के बाद शिशु अच्छी नींद ले पाते हैं/चित्र स्रोत: फ्रीपिक

नवजात शिशु के तेल से मालिश करने के कई सारे फायदे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  1. पाचन में सहायक: शिशु की नियमित रूप से तेल से मालिश करने से कब्ज व गैस की समस्या से राहत मिलती है। 
  2. मांसपेशियों व हड्डियों को बनाए मजबूत: मालिश करने से शिशु की हड्डी फ्लेक्सिबल व मजबूत होती हैं। 
  3. शिशु को प्यार का एहसास: मां जब बच्चे की मालिश करती है, तो मां और शिशु के बीच एक बॉन्ड बनता है। 
  4. वजन बढ़ाने के लिए: मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे शिशु के शरीर की अच्छी वृद्धि होती है। साथ ही मां के प्यार भरे स्पर्श से शिशु फलते-फूलते हैं।
  5. शिशु को आराम मिलता है: बच्चा चिड़चिड़ा रहता है, तो तेल से मालिश करके उसका मूड अच्छा हो सकता है। दरअसल, मालिश करने से शरीर में फील गुड हार्मोन रिलीज होते हैं, जो शिशु को शांत करने के साथ आराम भी महसूस कराता है।  

नवजात शिशु की मालिश के लिए तेल

नवजात शिशु की मालिश के लिए हमेशा आईएसआई और एगमार्क प्रमाणित प्रतिष्ठित ब्रांड के तेल चुनने चाहिए। बेबी मालिश के लिए निम्नलिखित तेलों को इस्तेमाल किया जा सकता है, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  1. नारियल तेल- नारियल तेल काफी लाइट होता है व त्वचा में आसानी से समा जाता है। यह त्वचा को पोषण देने के साथ ठंडक प्रदान करता है।
  2. सूरजमुखी के बीज का तेल- लिनोलिक एसिड से भरपूर सूरजमुखी के बीज का तेल बच्चों की मालिश के लिए सुरक्षित व बेहद फायदेमंद माना जाता है। भारत में ही नहीं विदेशों में भी बच्चों की मालिश के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
  3. ग्रेपसीड ऑयल- यह भी लिनोलिक एसिड से भरपूर होता है, जिस वजह से बेबी मालिश के लिए ग्रेपसीड ऑयल का इस्तेमाल उपयोगी माना जा सकता है।
  4. बादाम का तेल- मालिश के लिए बादाम के तेल का इस्तेमाल सालों से किया जा रहा है। विटामिन-ई से भरपूर यह तेल बच्चे की त्वचा को सॉफ्ट बनाता है। इस तरह नवजात शिशु की मालिश के लिए बादाम का तेल एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

नवजात शिशु की मालिश के लिए इनमें से किसी भी तेल का चुनाव करते समय यह ध्यान दें कि हमेशा शुद्ध व मालिश के लिए तैयार किए गए तेल का ही चुनाव करें।

शिशु की तेल मालिश करने की विधि

सबसे पहले जानते हैं तेल मालिश के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होती है:

  • बादाम या अन्य कोई तेल
  • चादर
  • तौलिया

अब तेल मालिश करने की विधि जान लेते हैं:

स्टेप 1- बच्चे को मालिश के लिए करें तैयार

  • सबसे पहले बच्चे को मालिश के लिए तैयार करें। यदि बच्चा मालिश करते समय रोता रहेगा, तो आपको सही से मसाज नहीं करने देगा।
  • इसलिए शुरुआत हथेलियों में तेल लेकर बच्चे के पेट व कानों के पीछे लगाने से करें।
  • इससे आपको अंदाजा लग जाएगा कि बच्चा मालिश कराना चाहता है या नहीं।
  • यदि बच्चा रोने लगता है तो वह मालिश नहीं कराना चाहता है। 
  • बच्चा शांत रहता है तो मालिश शुरू कर सकते हैं।

स्टेप 2- पैरों की मालिश

बेबी मालिश
शिशु की मालिश/चित्र स्रोत: फ्रीपिक
  • मालिश पैरों से शुरू करेंगे। सबसे पहले हथेलियों में तेल की कुछ बूंदे लेंगे और अंगूठे की मदद से शिशु के एड़ियों व तलवों की मसाज करें।
  • इसके बाद अंगूठे से गोल-गोल घुमाते हुए पैरों के नीचे व पंजों पर मालिश करें।
  • अब बच्चे की जांघों को हल्के हाथों से दबाएं।

स्टेप 3- हाथों की मालिश

  • अब बारी आती है हाथों की मालिश की। इसका तरीका भी पैरों की मालिश से मिलता-जुलता है।
  • हाथों की मालिश के लिए सबसे पहले शिशु की हथेलियों पर हल्का हाथ फेरें।
  • अब शिशु की हथेलियों से उंगली के पोरों तक मसाज करें।
  • हल्के से हाथों पर दबाव करते हुए कलाई तक के हिस्से की मालिश करें।
  • अब बच्चे की कलाई पर जैसे चूड़ी पहनाते है, उस तरह से मालिश करें।
  • बांह के ऊपर वाले हिस्से की मालिश करें।

स्टेप 4- सीने और कंधों की मालिश

  • बच्चों के दोनों कंधों से सीने तक हल्के हाथों से दबाव पैदा कर मालिश करें।
  • इसके बाद हाथों को फिर से कंधों पर ले जाएं।
  • इस प्रक्रिया को 4 से 5 बार करें।
  • अब अपने दोनों हाथ शिशु के सीने में रखें और हल्के हाथ से गोल-गोल घुमाते हुए बाहर की ओर मालिश करें।

स्टेप 5- पेट की मसाज

  • अब पेट की मसाज करेंगे। पेट की मसाज एहतियात बरतते हुए करनी है, क्योंकि यह मानव शरीर के नाजुक हिस्सों में से एक है।
  • सीने के नीचे वाले हिस्से से पेट की मसाज शुरू करेंगे। ध्यान रखें हल्के हाथों से ही पेट की मालिश करनी है।
  • अब हाथों को गोल-गोल घुमाते हुए पेट और नाभि के आस-पास वाली जगह की मालिश करें।
  • बच्चे की नाभी बहुत संवेदनशील होती है। इसलिए बहुत आराम से पेट व नाभि की मालिश करें।

स्टेप 6- सिर और चेहरे की मालिश

  • बच्चे सिर और चेहरे की मालिश करते समय बहुत हिलते हैं, जिस वजह से यह बहुत मुश्किल हो सकता है।
  • इसकी शुरुआत माथे से करेंगे। अपनी तर्जनी उंगली को माथे पर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे पूरे चेहरे पर हल्का दबाव देते हुए मालिश करें।
  • गालों की सर्कुलर यानी गोल-गोल व धीरे-धीरे मालिश करें। ऐसा दो से तीन बार करेंगे।

स्टेप 7- बच्चे की पीठ की मालिश

  • पीठ की मालिश शिशु काफी इंजॉय करते हैं। इसके लिए शिशु को पीठ के बल लेटाने की जरूरत होती है। 
  • बच्चे के पीठ के ऊपरी हिस्से से शुरुआत करें। अपनी उंगलियों के पोरों के पीठ पर रखें और धीरे धीरे पीठ के ऊपरी हिस्से से नीचले हिस्से तक मालिश करें।
  • पीठ की मालिश करते समय जिस बात का आपको ध्यान रखना है वो यह कि गलती से भी बच्चे की रीढ़ की हड्डी पर अपनी उंगली न रखें।
  • हमेशा तर्जनी और मध्य उंगली को शिशु की रीढ़ की हड्डी के दाएं और बाएं तरफ रखें।

नवजात शिशु की मालिश करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

नवजात शिशु जब आरामदायक महसूस करे, तब उसकी मसाज कर सकते हैं। कभी भी जबरदस्ती बच्चे की मसाज न करें। मालिश करते समय निम्न बातों का खास ख्याल रखें। 

  • शिशु को दूध पिलाने के करीबन एक घंटे बाद मालिश कर सकते हैं। दूध पिलाने के तुरंत बाद कभी भी बच्चे की मसाज नहीं करनी चाहिए।
  • शिशु की मालिश हमेशा साफ, एकांत और खुली जगह पर करें। 
  • रोजाना नियमित रूप से शिशु की मालिश करने से बच्चे को इसकी आदत हो जाती है, जिससे वे कुछ दिनों बाद मालिश करते समय रोना बंद कर देते हैं।
  • शिशु की जो भी मालिश करे, उसके हाथ के नाखून ट्रिम होने चाहिए।

तो, अगली बार शिशु की मालिश करते समय उपरोक्त दी गई जानकारी का विशेष ख्याल रखें। यदि आपको बच्चे की मालिश करते समय खुद पर जरा भी संदेह है, तो मालिश करने से परहेज करें। ऐसी स्थिती में दाई से मसाज कराना बेहतर होगा। 

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