20 Jun 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
हर माँ खास होती है और उसकी जर्नी भी। इसी वजह से बेबीचक्रा किसी-न-किसी माँ की प्रेरणादायक कहानी लेकर आपके साथ साझा करता रहता है। इस क्रम में आज हम इंन्फ्लुएंसर फिलोनी की जर्नी उनकी जुबानी लेकर आए हैं। यहां उन्होंने खुलकर अपने जीवन और पैरेंटिंग के बारे में बात की है। चलिए, जानते हैं कि कौन हैं इंन्फ्लुएंसर फिलोनी और क्या है इनके जीवन की कहानी।
पेशे से आईटी इंजीनियर फिलोनी छेदा मुंबई में रहती हैं। अब फिलोनी अपना अधिकतर समय अपनी 3 साल की बेटी प्रिंसी और सोशल मीडिया को दे रही हैं। फिलोनी, सोशल मीडिया पर पैरेंटिंग, फैशन और जीवन शैली से जुड़ी वास्तविक जीवन की स्थितियों पर रचनात्मक कंटेंट साझा करती हैं। फिलोनी बताती हैं, “मुझे ऐसा कंटेंट बनाना पसंद है, जिससे मेरे दर्शक जुड़ सकें और आनंद ले सकें। इसके साथ, मुझे संगीत सुनना, खाना बनाना, रंग भरना और मेरे जीवन के बारे लिखना पसंद है।”
फिलोनी ने अपनी ब्लॉगिंग जर्नी साझा करते हुए बताया, “एक इंफ्लुएंसर बनने का ख्याल मेरे दिमाग में कभी नहीं आया। लेकिन मनीष ने मुझे लॉकडाउन के दौरान इंस्टाग्राम पेज शुरू करने का सुझाव दिया। मैंने इसे शौक के रूप में शुरू करते हुए अपना अनुभव साझा करना शुरू किया और मुझे इसको लेकर अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलने लगीं। फिर मैंने इसे फुलटाइम देना शुरू कर दिया। अब मैं अपने जीवन के अनुभवों को पेरेंटिग टिप्स के साथ साझा कर रही हूँ ।”
वो एक फैसला, जिनसे मिनटों को बदला घंटों में
इसी बातचीत के दौरान बेबीचक्रा ने फिलोनी से उनकी प्रेग्नेंसी जर्नी के बारे में पूछा। इसपर फिलोने ने कहा, “मेरी यात्रा बहुत स्मूदली शुरू हुई।” गर्भावस्था के समय को याद करते हुए फिलोनी ने हल्की मुस्कुराहट के साथ बताया, “मुझे बच्चे से बात करने की आदत थी और मैं हमेशा उसकी किक को महसूस करती थी।”
फिर कुछ देर रुकते हुए फिलोनी ने कहा, “एक दिन पूरे 24 घंटे तक मैंने उसकी किक को महसूस नहीं किया। इससे मैं चिंतित हो गई थी। डॉक्टर से बात करने के बाद हम अस्पताल पहुंचे और कुछ टेस्ट के बाद पता चला कि प्लेसेंटा के पीछे खून बहने के कारण मेरे बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है।
मैंने तुरंत ऑपरेशन का फैसला लिया। वो कुछ घंटे मेरे जीवन में अब तक के सबसे लंबे घंटे थे। लेकिन भगवान की कृपा से मैंने अपनी स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। माई मिरेकल बेबी।”
पैरेंटिंग जर्नी
प्रसव के बाद शुरू हुई पैरेंटिंग के सफर से जुड़ी बातों को साझा करते हुए इंफ्लुएंसर फिलोनी बोलती हैं, “मैंने खुद माँ बनने के बाद सीखा है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो मैं नहीं कर सकती। पहले मैंने खुद को कई चीजों तक सीमित रखा, लेकिन माँ बनने के बाद मैंने अपने बारे में बहुत कुछ सीखा है, जैसे मैं खाना बना सकती हूं, हाहाहा। मैंने निस्वार्थता, धैर्य, रचनात्मकता, किसी भी मुश्किल काम को सफलता से करना और बहुत कुछ सीखा है।”
इंफ्लुएंसर फिलोनी ने पैरेंटिंग से जुड़े सवालों पर कहा, “मैं चाहती हूँ कि प्रिंसी खुद जीवन का अनुभव करे। अपने जीवन से वो सही समय पर सही चीजें सीखे, यह मेरी इच्छी है। मैं उसे सही और गलत बताऊंगी, लेकिन मैं चाहूंगी कि हर चीज में आखिरी फैसला उसी का हो। मैं चाहती हूं कि वह हमेशा बड़ों का सम्मान करे, लेकिन किसी तरह के अनादर को कभी स्वीकार न करे। मैं ईमानदारी से कहूं तो और भी बहुत कुछ है, जिसकी सूची कभी खत्म नहीं होगी।”
जीवन में पति का रोल
गर्भावस्था और पैरेंटिंग के सफर में अपने पति का जिक्र करते हुए फिलोनी ने बेबीचक्रा से कहा, “मेरे पति मनीष मेरे लिए चट्टान रहे हैं। मैं हमेशा कहती हूं कि आज मैं जो भी हूं वो अपने पति मनीष के कारण हूँ। मेरे जीवन में मनीष का बहुत बड़ा रोल है। वे हमेशा मेरे साथ थे।”
“मेरा ख्याल रखना, मेरे बदलते मिजाज यानी मूड स्विंग्स को सहना, मेरी प्रेग्नेंसी क्रेविंग्स को पूरा करना, ये तो छोटी-छोटी बातें हैं लेकिन जो चीज मुझे वास्तव में छूती है वो मनीष का प्रिंसी के लिए प्यार और देखभाल है। वह उसे जगाने, स्कूल, गतिविधियों, उसे खिलाने, उसे बिस्तर पर रखने से लेकर सभी दैनिक गतिविधियों का समान रूप से हिस्सा हैं।”
सबसे कठिन चुनौती
“मेरी पूरी फैमिली ससुराल वाले सब बहुत सपोर्टिव है। पहले उन्हें मेरे ब्लॉगिंग के काम को लेकर थोड़ा संदेह था, लेकिन जब मैंने उन्हें समझाया तो उनका मुझे बड़ा सहारा मिला।” – फिलोनी ने आगे बताया।
कामकाजी माँ होने के चलते घर और काम को संभालना कितना मुश्किल है इस बारे में फिलोनी ने खुलकर बात की। उन्होंने बेबीचक्रा को बताया, “परिवार और काम को संभालना हमेशा से ही एक कठिन काम रहा है। मैं अपना 200% हर रोज देने की कोशिश करती हूं। लेकिन सबसे कठिन चुनौती इस क्षेत्र को लेकर लोगों की सोच है कि यह सब कुछ समय की बर्बादी है।”
“पेट में क्या जाना चाहिए, उसे फिल्टर करना महत्वपूर्ण”
इन सबके बीच बेबीचक्रा ने फिलोनी से पूछा कि वो परिवार और बच्चे के लिए समय निकालते हुए खुद के खानपान पर कैसे ध्यान देती हैं। फिलोनी ने बेहतरीन जवाब देते हुए कहा, “सच कहूं तो मैं किसी डाइट को फॉलो करने पर विश्वास नहीं रखती हूं। लेकिन पेट में क्या जाना चाहिए, उसे फिल्टर करना महत्वपूर्ण है।”
आगे फिलोनी कहती हैं, “मैं कोशिश करती हूं और स्वस्थ या घर की बनी चीजें खाऊं क्योंकि मुझे घर में नई रेसिपी बनाना बहुत पसंद है। हां, हमारे खाने का समय खराब हो जाता है, लेकिन हम आमतौर पर निश्चित समय अवधि में अपना भोजन करते हैं।”
“नई माताओं को मेरी सलाह होगी कि घर में ही नए स्वस्थ व्यंजनों को आजमाएं ताकि बच्चे इसे पसंद करें और कैंडी व जंक फूड की मांग न करें।”
जेंटल पैरेंटिंग है जरूरी
फिलोनी सभी पैरेंट्स को जेंटल पैरेंटिंग फॉलो करने की सलाह देती हैं। “बच्चे के साथ हमेशा धैर्य रखते हुए शांत मिजाज से बात करनी व सुननी चाहिए। साथ उनके और अपने बीच एक हल्की बाउंड्री रखें।” – फिलोनी ने बताया।
बेबीचक्रा से बातचीत के दौर के अंत में फिलोना ने कहा, “मैं हर महिला को कहूंगी कि अपने हर पल में मौजूद रहें और हर मिनट को पूरी तरह से जिएं। ये दिन वापस नहीं आएंगे।”
उन्होंने आखिर में कहा, “बेबी बंप से लेकर जन्म तक, यह सब एक प्रक्रिया है और आपका सुनहरा समय भी। अपने आप को तनाव न दें और हमेशा सुनिश्चित करें कि आप उन चीजों को समय दे रही हैं, जो आपको करना पसंद है।”
आपको फिलोनी का इटरव्यू कैसा लगा, हमें जरूर बताएं। आप नीचे कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक अपने विचार पहुंचा सकती है। अगली बार हम फिर दूसरी मॉम के जिंदगी और प्रेग्नेंसी का सफर आपके साथ साझा करेंगे।
ऐसी रियल मॉम्स की लाइफ की मोटिवेटिंग स्टोरी पढ़ने के लिए आप इंडिया का नंबर-1 पैरेंटिंग एप बेबीचक्रा को प्ले स्टोर और एप स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.