18 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
हर महिला की प्रेग्नेंसी से लेकर प्रसव तक की कहानी ढेर सारी यादों, बातों और भावनाओं से लिपटी होती है। फिर पैरेंटिंग के सफर में महिला खुद के बारे में वो नई बातें जानती है, जिससे वो सालों तक बेखबर थी। इसलिए, हर मदरहुड जर्नी से हमें कुछ नया सीखने को मिलता है। यही कारण है कि आज हम मॉम इंफ्लूएंसर रूपल शरद बजाज का इंटरव्यू खास आपके लिए लेकर आए हैं।
रूपल शरद बजाज 19 महीने के बेटे येधंत की माँ और असम में रहने वाली एक मॉम ब्लॉगर हैं। लगभग दो साल से ब्लॉगिंग कर रहीं रूपल एक सर्टिफाइड लाइफ कोच और पैरेंट कोच भी हैं। शादी से पहले, रूपल ने गुड़गांव की एक एमएनसी में विश्लेषक के रूप में काम किया था।
रूपल शरद बजाज की लाइफ के उतार-चढ़ाव, उनके अनुभव और पैरेंटिंग टिप्स को आप आगे पढ़ सकते हैं। चलिए, जानते हैं रूपल बजाज की प्रेग्नेंसी से लेकर पैरेंटिंग तक का सफर।
मैं लॉकडाउन शुरू होने से ठीक पहले जनवरी 2020 में गर्भवती हुई। मैं पहली तिमाही में बेड रेस्ट पर थी। मैंने इस दौरान गर्भावस्था, प्रसव और बच्चों की परवरिश के बारे में पढ़ना और शोध करना शुरू किया। इन सबके चलते इस क्षेत्र में मेरी रुचि जगी और मुझे ब्लॉगिंग जर्नी शुरू करने के लिए प्रेरणा मिली।
मेरे अधिकांश वीडियो वास्तविक जीवन की उन स्थितियों पर आधारित होते हैं, जिनका मैं एक माँ के रूप में सामना करती हूँ। मुझे ट्रेंड के साथ जाना भी पसंद है।
पहली और आखिरी तिमाही मेरे लिए बहुत मुश्किल थी। मैंने अपनी अधिकांश गर्भावस्था COVID 19 की पहली लहर के दौरान बिताई। मैं अस्पताल के दौरे को छोड़कर पूरे चरण में एक बार भी घर से बाहर नहीं निकली।
इसके अलावा, मुझे सबकरोइनिक हैमरेज के कारण स्त्री रोग विशेषज्ञ ने पूरी तरह आराम करने की सलाह दी थी। मैं दवाओं और हार्मोनल इंजेक्शन पर भी थी। यह भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक सभी स्तरों पर एक चुनौतीपूर्ण चरण था।
अंतिम तिमाही में, जिन स्त्री रोग विशेषज्ञ को मैं दिखा रही थी, उन्हें COVID 19 हुआ और उनका पूरा अस्पताल बंद कर दिया गया था। COVID 19 दिल्ली में कम हो रहा था, लेकिन असम में जंगल की आग की तरह फैल रहा था। मेरे पति ने फैसला किया कि हमें डिलीवरी के लिए दिल्ली जाना चाहिए। मेरे माता-पिता का घर दिल्ली में है। इसलिए हमने 36वें सप्ताह के अंत से ठीक पहले डॉक्टर से सलाह और प्रमाण पत्र लेकर हवाई यात्रा की।
अगले ही दिन मुझे पता चला कि मैं COVID पॉजिटिव हूं। हालांकि, मुझमें कोविड के लक्षण नहीं थे, लेकिन चिंता का स्तर बढ़ता ही जा रहा था। हमें चिंता थी कि कभी भी लेबर पेन शुरू हो सकता है और फिर मुझे बच्चे के साथ अलग आइसोलेशन में रहना पड़ सकता है।
सौभाग्य से मेरी कोविड रिपोर्ट 16 दिनों के बाद नेगेटिव आई। फिर हमने सी-सेक्शन के माध्यम से अपने बच्चे को दुनिया में लाने का फैसला किया। क्योंकि गर्भनाल उसके गले में थी और एमनियोटिक द्रव भी कम था। प्रसव के बाद हम दोनों सुरक्षित और स्वस्थ थे और मैं इसके लिए आभारी हूं।
मेरी अब तक की पैरेंटिंग जर्नी अद्भुत रही है। मुझे एक माँ होने के हर पहलू से प्यार है। माँ बनने से पहले मैंने सोचा था कि मैं बहुत कम धैर्य वाली हूं। लेकिन जब से मैं माँ बनी हूं, मुझे लगता है कि मेरे धैर्य का स्तर कई गुना बढ़ गया है। मैं ज्यादातर अपने बच्चे के साथ शांत रहती हूँ। मैं उसके साथ जितना हो सके उतना सौम्य रहने की कोशिश करती हूँ।
मैं खुशकिस्मत हूं कि एक ब्लॉगर होने के नाते मुझे काम करने का समय चुनने की स्वतंत्रता है। कई स्थितियों में मुझे येधंत को कुछ समय के लिए छोड़ना पड़ता है। लेकिन, मैं एक संयुक्त परिवार में रहती हूँ, इसलिए जब तक मैं अपना काम करती हूँ, तब तक कोई-न-कोई उसकी देखरेख के लिए उसके साथ रहता है। हालांकि ज्यादातर मौकों पर मेरा बेटा हमेशा मेरे आसपास रहता है।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि समान पालन-पोषण (इक्वल पैरेंटिंग) बहुत महत्वपूर्ण है और एक बच्चे के जीवन में पिता और माता दोनों की अपनी अनूठी भूमिकाएं होती हैं। केवल माँ ही बच्चे की देखभाल करे, ऐसा नहीं होना चाहिए। मेरे पति बहुत सपोर्टिव हैं। गर्भावस्था के दौरान, मेरे साथ अस्पताल के हर दौरे पर जाने से लेकर बेटे येधंत के चेकअप और टीकाकरण के समय वो साथ रहे। अगर मैं काम में व्यस्त रहूं, तो वह येधंत को सुलाने में मेरी मदद करते हैं।
मैं चाहती हूँ कि मेरा बच्चा शुरू से ही इस बात से अवगत हो जाए कि जीवन इतना आसान नहीं है। सिर्फ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने वालों और सब्र रखने वालों के जीवन में ही अच्छा समय व चीजें आती हैं। मैं यह भी चाहती हूँ कि वह बड़ा होकर सहानुभूति रखने वाला व्यक्ति बने। मैं हमेशा उसके सपनों को हासिल करने में उसका साथ देने की पूरी कोशिश करूंगी।
टॉडलर्स का दिमाग विकासशील होता है। अक्सर, उनका दिमाग बड़ी भावनाओं और भावनाओं से निपट नहीं पाता है। इसलिए, माता-पिता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों से उनकी भावनाओं को प्रबंधित करने की अपेक्षा करने से पहले अपनी भावनाओं को प्रबंधित करना सीखें।
हम दिन भर छोटी-छोटी बातों पर अपना आपा खो देते हैं, लेकिन बच्चे से उम्मीद करते हैं कि वो ऐसा कुछ न करे। यह संभव नहीं है और एक तर्कहीन अपेक्षा है। बच्चों को अपनी भावनाओं को दबाने या नियंत्रित करने के लिए कहने के बजाय, उन्हें अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से प्रबंधित व पेश करना सिखाएं और स्वयं भी इसका अभ्यास करें।
हां, किताबें और खेल दोनों ही बच्चों के मस्तिष्क विकास के लिए अहम हैं। ये गेम्स सेंसरी और मोटर स्किल विकसित करने में और किताबें अच्छी आदतें सिखाती हैं, दयालु बनाती हैं और नई चीजों व पदार्थों को पहचानने में मदद करती हैं।
गेम्स
किताबें
“अनुशासन” पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करने के बजाय, मुझे लगता है कि माता-पिता के लिए समय-समय पर अपने बच्चों के साथ सीमाएं निर्धारित और उन्हें सुदृढ़ करना महत्वपूर्ण है। बच्चे, विशेष रूप से टॉडलर्स, अपनी सीमाओं को धकेलते और उन्हें टेस्ट करते हैं, क्योंकि वो अपनी स्वतंत्रता पसंद करते हैं।
हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को कुछ स्वतंत्रता दें, लेकिन उन सीमाओं के भीतर जो हम उनके लिए निर्धारित करते हैं। प्रत्येक माता-पिता की अपनी सीमाएं और सहनशीलता के स्तर होते हैं। इन सीमाओं का निर्णय हमेशा परिवार के विचार और अन्य बातों पर निर्भर होना चाहिए, न कि दूसरे लोग क्या सोचते हैं इस पर।
बच्चा होने के बाद वर्क लाइफ बैलेंस बनाए रखना कठिन है। हां, एक पिता अपने बच्चे के लिए उपलब्ध होते हैं। लेकिन बायलॉजिकली कहें तो शिशु के कम-से-कम पहले कुछ वर्षों तक एक माँ ही प्राथमिक देखभाल करने वाली होती है।
आप जरूरत पड़ने पर दोस्तों और परिवार से मदद मांगें। यदि आप नैनी, रसोइया, आदि रख सकती हैं, तो इन्हें रख लें। इस बात को लेकर किसी तरह का संकोच न करें। यदि आप पर जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा हैं, तो अपने जीवनसाथी को मदद के लिए कहें। घर के कामों को आपस में विभाजित करें, ताकि बोझ किसी एक पर न हो।
शांत रहें। अपने पैरेंटिंग से जुड़े फैसले पर भरोसा रखें और उस पर बनी रहें। इस बात की परवाह न करें कि दुनिया आपकी पैरेंटिंग तकनीक के बारे में क्या कहती है। अनचाही सलाह से दूर रहें, क्योंकि यह आपको मानसिक रूप से निराश कर सकती हैं। सलाह तभी स्वीकार करें, जब आपको लगे कि इससे वास्तव में आपकी स्थिति में सुधार होगा।
सबसे बढ़कर बात यह है कि आप अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छी माँ हैं और आप अपने बच्चे के लिए उसका ब्रह्मांड हैं!
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