30 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
हर महिला के लिए प्रेग्नेंसी उसके जीवन के उन खास लम्हों में से एक है, जिसे वो संजोकर रखना चाहती है। अपनी इस खास जर्नी के बारे में मॉम ब्लॉगर गर्विता अग्रवाल ने बेबीचक्रा से खुलकर बातचीत की। यहां उन्होंने अपने गर्भावस्था के सफर के साथ ही पैरेंटिग लाइफ की भी चर्चा की। चलिए, आगे बढ़ते हुए गर्विता के बारे में और जानते हैं।
गर्विता दो बच्चों की मॉम हैं। पेशे से गर्विता एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और उद्यमी हैं। इन सबके साथ ही गर्विता मॉम ब्लॉगर भी हैं। इन्हें संगीत में काफी दिलस्पी है। हाल ही में इन्होंने एक पैकिंग बिजनेस शुरू किया है, जो काफी फल-फूल रहा है। आगे गर्विता की मदरहुड जर्नी से लेकर मॉम ब्लॉगर बनने तक के सफर को जानते हैं।
मेरी दोनों गर्भावस्था का सफर अच्छा रहा। बस मुझे कुछ उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। लो प्लेसेंटा होने के कारण मुझे अत्यधिक देखभाल की आवश्यकता पड़ती थी। उस दौरान “गर्भ संस्कार” कक्षाओं ने मेरी बहुत मदद की। खासकर जब आप अपने अंदर हार्मोनल परिवर्तनों के बीच सकारात्मकता की ओर बढ़ रहे हों, अपने साथ की गर्भवती महिलाओं को देख रहे हों, उनकी समस्याओं को समझ रहे हों और अपनी भी साझा कर रहे हों।
शुरुआत में मैंने अपने बच्चों की यादों को सजोने के लिए एक इंस्टा अकाउंट खोला था। बाद में मुझे बहुत-सी मांओं से प्रेरणा मिली, जिससे इस यात्रा की शुरुआत हुई। इस यात्रा की शुरुआत के लिए मिलने वाली प्रेरणा में मोनिका शाह (@monikablends), रिद्धि देवराह (@riddhi_deorah), आदि मॉम शामिल हैं।
मैं लाइफ में आगे बढ़ने और कुछ भी नया शुरू करने के लिए सभी को तीन मंत्रा देना चाहूंगा।
मेरे लिए पैरेंटिंग एक रोलर कोस्टर राइड रही है, जिसमें हर दिन बहुत सारी नई चुनौतियां होती हैं। लेकिन यकीन मानिए, बच्चे का लालन-पोषण करना दुनिया का सबसे अच्छा एहसास है। जब आपको “मिनी यू” का सामना करना पड़ता है और उन्हें सर्वोत्तम संभव तरीके से बड़ा करने की कोशिश, ये सब बेहतरीन एहसास है। पैरेंटिंग के इस सफर ने मुझे जिम्मेदार होना सिखाया है।
समानता एक सफल वैवाहिक जीवन की कुंजी है। यूं तो मेरे पति हमेशा से ऐसे नहीं थे, लेकिन उन्होंने मेरी दूसरी प्रेग्नेंसी में बहुत मदद की। गर्भावस्था में मेरा हाथ बटाने के लिए बेटी को नहलाने से लेकर स्कूल के लिए तैयार करने तक हर काम उन्होंने किया है। कभी-कभी वो मुझे आराम देने के लिए बेटी को अपने ऑफिस लेकर तक चले जाते थे।
आज बच्चे अपने पापा को ऑफिस से वापस आते देख उनके पास दौड़े चले जाते हैं। उन्हें अपने पिता के साथ समय बिताना काफी पसंद है।
सबसे महत्वपूर्ण सीख कि जीवन आपको जो देता है उसे ग्रेसफुली स्वीकार करें। सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन विनम्रता जरूरी है।
जब बच्चे बुरे मूड में हों या टैंट्रम दिखा रहे हों, तो उन पर चिल्लाना या वॉशरूम में बंद करना मदद नहीं करेगा। मेरा विश्वास कीजिए, मैंने यह सब करने की कोशिश की है। उस समय उनसे बात न करना, धीरे-धीरे उनका ध्यान भटकाना और बाद में गुस्सा करने के दुष्प्रभावों के बारे में बात करना ही एकमात्र रास्ता है।
बच्चों को अटेंशन की जरूरत होती है और करियर के लिए प्रयास की। लेकिन, दोनों को छोड़ा नहीं जा सकता। इसलिए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश जारी है। मैं स्थिति के अनुसार अपनी प्राथमिकताओं को बदलने का प्रयास करती हूं। जैसे – जिस दिन बच्चों को मेरी जरूरत होगी, मैं काम से जल्दी छुट्टी ले लूंगा। इसी तरह, अगर बच्चे मेरी सास के साथ जाते हैं, तो मैं अतिरिक्त काम कर लेती हूं।
हां, बहुत बार होता है कि मैं पूरी तरह से थक जाती हूं और मेरा धैर्य जवाब देने लगता है। तो यही ‘Me time’ मुझे फिर से जीवंत करता है। मैं जब बच्चे सो रहे होते हैं या घर में नहीं होते, तो खुद के लिए समय निकालती हूं।
मैं अपने आप को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करती हूं। ईमानदारी से कहूं, तो मैं बहुत स्वस्थ खाने वालों में से नहीं हूं, लेकिन जंक फूड से होने वाले गिल्ट को कम करने के लिए इसे कुछ फलों और सलाद के साथ संतुलित करती हूं।
वीनिंग उतनी आसान नहीं है, जितना लगती है। इसमें बच्चे को खिलाने की योजना बनाना, खाने को तैयार करना और सबसे कठिन उन्हें खिलाना शामिल है। वीनिंग के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स-
बच्चे के मस्तिष्क विकास और उन्हें नई चीजें सिखाने के काम गेम आ सकते हैं। मैं इन गेमों का नाम सजेस्ट करना चाहूंगी –
अच्छी आदतें बचपन से ही डालनी चाहिए। हमें बच्चों में आत्मसात करना चाहिए –
मदद लेने की कोशिश करें- चाहे वह आपके पति के रूप में हो, आपकी सास के रूप में हो या एक केयर टेकर के रूप में हो। कार्यभार को साझा करने से आपके काम जल्दी पूरे होने लगेंगे और आपके दिमाग के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा रहेगा।
खुद को शांत रखें ; अपनी मातृत्व यात्रा का “आनंद” लेना न भूलें। बच्चे बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं ; खुद पर ज्यादा बोझ न डालें – प्रवाह के साथ चलें – गो विद फ्लो। इनके अलावा, हमेशा बच्चे को प्रोत्साहित करने वाली माँ बनें और उनकी दोस्त बनने की कोशिश करें। कभी बच्चों पर खुद के विचार न थोपें।
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