15 Feb 2023 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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नवजात शिशुओं या बच्चों को लेकर पेट संबंधी बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पेट में गड़बड़ी का सीधा असर दस्त पर पड़ता है। कभी वे कई दिनों तक दस्त नहीं करते हैं, तो कभी नॉर्मल दस्त का रंग बदलने लगता है, जैसे पीला, हरा, काला, सफेद, लाल आदि। अगर बच्चे ने दस्त किया लेकिन हरे रंग का तो, जाहिर है माँ का चेहरा खिलने के बजाय स्ट्रेस से भर जाएगा। पर टेंशन करने की जरूरत नहीं है, आज हम बच्चे के हरे दस्त होने के पीछे का कारण और इसके उपचार स्वरूप माँ को क्या करना चाहिए, इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे।
शिशु के मल या पॉटी कलर में बदलाव के मुख्य कारण के पीछे उसका उम्र, खाना और सेहत निर्भर करता है। न्यू बॉर्न बेबी के पॉटी का कलर अक्सर काला ही होता है, लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते हैं उसका रंग पीला या भूरा हो जाता है। इसके अलावा लाल या सफेद रंग का मल स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। वहीं हरे रंग का पॉटी डायट के कारण भी हो सकता है।
असल में ब्रेस्ट मिल्क और फॉर्मूला मिल्क बच्चे के मल के रंग को प्रभावित करते हैं।
बच्चे के हरे रंग का दस्त भी अलग-अलग शेड्स में हो सकता है, लेकिन इससे कारण को समझ पाना बहुत मुश्किल होता है। शिशु के हरे रंग के दस्त के पीछे कई तरह के कारण हो सकते हैं-
-बच्चे ने जो खाना खाया है, वह हरा रंग है।
-डॉक्टर के निर्देशानुसार अगर बच्चे को आयरन सप्लीमेंट दिया जा रहा है तो उसके पूप का कलर ग्रीन हो सकता है।
-वैसे तो पालक और हरे रंग की सब्जियाँ पौष्टिकता से भरपूर होते हैं, लेकिन ये बच्चे के दस्त को हरा कर देते हैं।
– इसके अलावा अगर बच्चे ने बदबूदार हरे रंग का दस्त किया है तो डायरिया होने का अंदेशा हो सकता है।
– अगर बच्चे का डाइजेस्ट स्लो है तो यह समस्या हो सकती है।
– अगर बच्चा ब्रेस्टफीड करता है और माँ ने हरे रंग का खाना खाया है तो बच्चे को हरे रंग का दस्त हो सकता है।
– बच्चे को सर्दी होने पर भी दस्त के रंग पर इसका असर पड़ता है।
– इसके अलावा अगर बच्चे के पेट में वर्म या कीड़ा है तो दस्त का कलर ग्रीन हो सकता है।
– बच्चे को अगर फूड एलर्जी है तो बच्चे के दस्त का रंग हरा हो सकता है।
-जॉन्डिस या पीलिया का इलाज होने पर भी पॉटी का कलर चेंज होता है।
बच्चा का किसी प्रकार का उपचार करने से पहले ये जानने की कोशिश करें कि वह हरे रंग का दस्त क्यों कर रहा है। अगर बच्चे की हालत गंभीर है तो डॉक्टर को दिखाने में देर न करें। इसके अलावा कुछ आम बाते हैं, जिनका ध्यान रखने पर हरे रंग के दस्त को संभाला जा सकता है-
हरे रंग का खाना– अगर बच्चे को पालक या हरे रंग की सब्जी खाने के लिए दी गई है तो यह दस्त का रंग बदल सकता है। लेकिन इसको लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। अगर माँ ने हरे रंग का खाद्य पदार्थ का सेवन किया है तो वह अपने खाने में थोड़ा बदलाव ला सकती हैं, ताकि बच्चे के दस्त का रंग बदल जाए।
डायरिया– अगर बच्चे को एक से ज्यादा दिनों तक हरे रंग का दस्त हो रहा है तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना ही सेफ होता है। ऐसे समय जितना हो सके बच्चे को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करनी चाहिए।
दवा या सप्लीमेंट- अगर आप निश्चित हो रही हैं कि बच्चे के दस्त का रंग दवा या सप्लीमेंट लेने के कारण ही बदल रहा है तो डॉक्टर से सलाह लेकर बदल सकते हैं।
एक्सपर्ट टिप्स: अगर आपके बच्चे के पेट में कीड़ा होने के कारण बार-बार हरे रंग का दस्त हो रहा है तो आपको खाने के चीजों को धोने के बाद पकाना चाहिए या उनको बनाने से पहले और डायपर बदलने के बाद हाथों को धोना नहीं भूलना चाहिए।
इसके अलावा बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स को क्लिन करने के लिए हमेशा सॉफ्ट और नेचुरल चीजों से बना बेबी वाइप्स ही इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे कि बेबीचक्रा का बैंबू वाटर वाइप्स।
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