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शिशुओं में टीथिंग रैश (Teething rash) : कारण, लक्षण, घरेलू उपचार 

शिशुओं में टीथिंग रैश (Teething rash) : कारण, लक्षण, घरेलू उपचार 

1 Aug 2022 | 1 min Read

Mousumi Dutta

Author | 387 Articles

बच्चों के चाँद से मुखड़े पर एक दाग भी असहनीय हो जाता है, लेकिन जब उनके प्यारे से चेहरे पर लाल-लाल रैशेज या चकत्ते नजर आने लगते हैं तो माँ का क्या, सबका दिल बैठ जाता है। असल में दाँत निकलते समय बच्चों के लार से इंफेक्शन के कारण जो चर्म रोग होता है, उसको टीथिंग रैश (Teething rash) या ड्रूल रैश कहते हैं।

वैसे तो शिशु के मुँह से लार टपकना आम बात होती है, लेकिन जब 6 महीने के बाद लार हद से ज्यादा बहने लगे तो यह दाँत निकलने का संकेत हो सकता है। शिशु की संवेदनशील त्वचा जब लार के संपर्क में ज्यादा रहने लगती है तो ड्रूल रैश (Drool rash) या टीथिंग रैश की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

टीथिंग रैश (Teething rash) क्या होता है?। What is Teething Rash in Hindi

आम तौर पर बच्चों में 6 से 24 महीने के बीच मसूड़ों से दाँत निकलने की प्रक्रिया चलती रहती है। इसके कारण बच्चों के मुँह से लार बहुत ज्यादा टपकने लगती है। बच्चों के लार से इंफेक्शन होने के कारण बच्चों के स्किन पर एलर्जी के रूप में लाल-लाल दाने या रैशेज निकलने लगते हैं, जो मुँह, गले या छाती में फैल जाते हैं। सेंसिटिव स्किन पर इन रैशेज के कारण जो जलन और बेचैनी होती है, उससे बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। 

टीथिंग या ड्रूल रैश (Teething rash) के लक्षण । Symptoms of Teething Rash

जैसा कि आप जानते ही हैं कि शिशु की स्किन बहुत सेंसिटिव होती है। लार हद से ज्यादा टपकने के कारण या दाँत निकलते समय मुँह से लार ज्यादा निकलने की वजह से रैशेज या दाने चेहरे और गर्दन पर ज्यादा नजर आने लगते हैं। वैसे ये रैशेज समय के साथ एक-दो हफ्तों में ठीक भी हो जाते हैं।

इसके अलावा पैसिफायर का इस्तेमाल करने पर या नए दाँत निकलने के कारण चीजों को चबाने की वजह से भी मुँह, गला, छाती या किसी भी जगह पर रैशेज नजर आ सकते हैं। ये दाने लाल-लाल चकत्तों के रूप में, सूखे और फटे-फटे नजर आ सकते हैं।  इन रैशेज के कारण जलन और बेचैनी के कारण बच्चे चिड़चिड़े भी हो सकते हैं।

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टीथिंग या ड्रूल रैश (Teething rash) के कारण । Causes of Teething Rash

शिशुओं का लार टपकना तो आम होता है लेकिन नए दाँत निकलने के समय चीजों को काटने या चबाने के समय और पैसिफायर का इस्तेमाल करते समय सैलिवरी ग्लैंड्स या लार ग्रंथियाँ ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं। लार में जो डाइजेस्टिव एंजाइम होता है, वह बच्चों के लार से इंफेक्शन का कारण बन जाता है। इसके अलावा-

मुँह में ज्यादा देर तक खाना रखना- अक्सर बच्चों की आदत होती है मुँह में दूध या खाना जमा करके रखना। इसके कारण मुँह से लार बहने लगता है, जिसके कारण ड्रूल रैशेज (Drool rash) नाम का चर्म रोग हो जाता है। इससे बचने के लिए खाना को मुँह में जमा करके रखने न दें और नेचुरल बैम्बू वाटर वाइप्स से मुँह के लार को साफ करते रहें। बैम्बू वाटर वाइप्स एलोवेरा, आलमंड ऑयल, विटामिन ई से बने होते हैं और ये स्किन रैशेज से राहत दिलाने में पूरी तरह से कारगर होते हैं। 

पैसिफायर चूसने के कारण- पैसिफायर चूसने के कारण मुँह में लार एक ही जगह पर जमा हो जाता है और वहाँ पर बच्चों के लार से इंफेक्शन हो जाता है। इसलिए पैसिफायर का इस्तेमाल कम से कम करें और बैम्बू वाटर वाइप्स से मुँह को पोंछते रहें। इससे त्वचा के रोग से होने वाली बेचैनी से भी राहत मिल सकती है।

नए दाँत आना- मुँह से लार टपकने का एक मूल कारण नया दाँत आना भी होता है। इसके कारण भी मुँह में बार-बार हाथ देते हैं, चीजों को चबाने और काटने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण लार मुँह, छाती और गले में जमा होने लगता है। इसलिए टीथिंग रैश (Teething rash) से बचने के लिए इन जगहों को हमेशा साफ करते रहें।

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टीथिंग रैश या ड्रूल रैश (Drool rash) के लिए घरेलू उपाय। Home remedies for Drool Rash in Babies in Hindi

टीथिंग रैश या ड्रूल रैश से बचने के टिप्स/ चित्र स्रोत: फ्रीपिक
  • बच्चों को बिब्स पहनाकर रखने की आदत डालें। इससे त्वचा के साथ संपर्क कुछ कम होगा।
  • अगर ड्रूल रैश या टीथिंग रैश के कारण ड्राई स्किन में जलन आदि की परेशानी हो रही है तो उस जगह पर शिशु को ऑर्गैनिक कोकोनट ऑयल लगा सकते हैं। नारियल तेल का एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण लक्षणों से राहत पाने में मदद कर सकता है।
  •  नए दाँत आने के कारण बच्चों के मसूड़ों में हल्का दर्द या बेचैनी होती है। आप नैचुरल फोमिंग हैंडवाश से अपना हाथ भी धो सकते हैं और बेबी का हाथ भी धुला सकते हैं, जिससे कि किसी प्रकार का इंफेक्शन मुँह में न हो। उसके बाद मसूड़ों को उंगलियों से सहला सकते हैं, इससे बच्चों को आराम मिलेगा।
  • अक्सर रैशेज शिशु के दूसरें अंगों में भी फैलने लगते हैं, इसलिए माइल्ड बेबी वॉश से लार को दिन में एक दो बार साफ जरूर करें। मॉइश्चराइजिंग बेबी वॉश में पंपकीन सीड ऑयल और ऑर्गैनिक मॉरिंगा होता है, जो सेंसिटिव स्किन के लिए बहुत लाभकारी होता है।
  • एक बात का और ध्यान रखें कि लार के कारण अगर बच्चों के कपड़े भींग जाते हैं तो उन्हें जल्द बदल दें।

डॉक्टर से कब मिलें 

टीथिंग समस्या नहीं है बल्कि लार टपकने के कारण बच्चों के लार से इंफेक्शन से जो टीथिंग रैश होता है, वह बच्चों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है। इसलिए जब चर्म रोग त्वचा में फैलने लगे या लक्षण का प्रभाव भी बढ़ जाए तो डॉक्टर से तुरन्त संपर्क करें।

नोट: ऊपर जो भी जानकारी हमने आपसे शेयर की है, वह न ही डॉक्टर की राय है और न ही प्रतिस्थापन है। कोई भी उपाय को करने के पहले डॉक्टर से जरूर परामर्श कर लें।

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