7 Mar 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 279 Articles
आमतौर पर प्यूबर्टी से लेकर गर्भावस्था व स्तनपान के दौरान भी महिलाओं के स्तनों के आकार, उभार व बनावट में बदलाव आता रहता है। इस दौरान इन बदलावों को सामान्य भी माना जा सकता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में स्तनों में बदलाव गंभीर हो सकता है, इसी स्थिति की पुष्टि के लिए ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन किया जा सकता है। स्व स्तन परीक्षा करने से स्तन कैंसर के लक्षणों की पुष्टि हो सकती है। यही वजह है कि यहां पर हमनें ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन स्टेप्स इन हिंदी में बताए हुए हैं।
स्व स्तन परीक्षा या ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम खुद के स्तनों की जांच करने की प्रक्रिया या परीक्षण को कहा जाता है। स्व स्तन परीक्षा करने के लिए महिला को किसी आइने के सामने खड़े होकर या लेटे हुए या बैठे हुए अपने स्तनों की जांच करनी होती है। इस दौरान वह स्तनों को चारों तरफ से छूकर या हल्का दबाकर उनमें गांठ, सूजन, दर्द या किसी अन्य परेशानी के लक्षणों की जांच करती हैं।
स्व स्तन परीक्षा करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखा जाता हैः
अगर ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम के दौरान ऊपर बताए गए किसी भी स्थिति का अंदाजा होता है या कोई अन्य गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो इस बारे में महिला को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
खुद से ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करने के कई फायदे हैं, जिनमें सबसे बड़ा फायदा है कि इससे समय रहते स्तन कैंसर के लक्षणों के बारे में पता लगाया जा सकता है। आंकड़ों के अनुसार, हर साल डेढ़ लाख से भी अधिक ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आते हैं। इतना ही नहीं भारतीय महिलाओं में सबसे ज्यादा मामले स्तन कैंसर के ही देखे जा सकते हैं।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भारत में ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर यानी गर्भाशय के कैंसर के मामले दूसरे सबसे अधिक देखे जा सकते हैं। इनमें हर साल 1 लाख से अधिक मामले सर्वाइकल कैंसर के देखे जा सकते हैं।
भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले आमतौर पर देरी से ही ज्ञात होते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह है समय रहते इसके शुरुआती लक्षणों की पहचान न हो पाना। इस तरह अगर महिलाएं नियमित रूप से माह में एक बार ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करती हैं, तो इससे वह आसानी से ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों की जांच कर सकती हैं और समय रहते इसके जोखिम से बचाव भी कर सकती हैं।
चलिए, अब ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन स्टेप्स इन हिंदी में पढ़ते हैं। यहां हम स्टेप-बाय-स्टेप ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन का तरीका बता रहे हैं।
वैसे तो प्यूबर्टी शुरू होने के बाद से ही ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन शुरू कर देनी चाहिए। हालांकि, 20 साल की महिलाओं को नियमित तौर पर अपने स्तनों की जांच करनी चाहिए। इसका ध्यान रखें कि मासिक धर्म के दौरान ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम न करें, क्योंकि मासिक धर्म के दौरान आमतौर पर स्तनों में सूजन, लालिमा व हल्के दर्द का अनुभव करना सामान्य हो सकता है। इसलिए, बेहतर होगा अगर मासिक धर्म खत्म होने के एक सप्ताह बाद ही ब्रेस्ट सेल्फ एग्जाम की प्रक्रिया करें।
उम्मीद है कि ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन स्टेप्स इन हिंदी से अब आप खुद से अपने स्तनों की जांच कर पाएंगी। स्व स्तन परीक्षा करते समय बस इसका ध्यान रखें कि अपने लक्षणों की एक डायरी बनाएं। इसी डायरी में हर बार के लक्षणों को नोट करें। इससे आपको भी अपने स्तन में हो रहे बदलावों को समझने में काफी मदद मिलेगी।