1 Apr 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
चैत्र मास की पहली तारीख भारत के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग तरीके और नाम से मनाई जाती है। कुछ जगहों पर इसे गुड़ी पड़वा के रूप में, तो कुछ हिस्सोंं में उगादी या युगाडी के नाम से मनाया जाता है। भले ही तरीके अलग हों, लेकिन इन दोनों त्योहार में गुड़ और नीम खाने की परंपरा है।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत दोनों ही इलाके में इस दिन नीम और गुड़ खाने का रिवाज है। सुबह-सुबह उगादी और गुड़ी पड़वा के दिन लोग पहले नीम के पत्ते खाते हैं और फिर गुड़। इसे खाने के पीछे दो तीन तरह के कारण हैं।
पहला कारण तो यही है कि जीवन में कड़वाहट और मिठास दोनों ही होती है। तभी जीवन असल मायने में जीवन कहलाता है। इसी तरह सुख और दुख भी जीवन में लगे रहते हैं, इसलिए दुख में हताश नहीं होना चाहिए और सुख के समय घमंड नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा, गुड़ी पड़वा व उगादी के समय मौसम बदल रहा होता है। चैत्र मास की शुरुआत से ही तबियत बिगड़ने का डर ज्यादा होता है। इसी वजह से माह के शुरुआत में ही गुड़ और नीम खाने का रिवाज है।
इस दौरान नीम और गुड़ खाने से स्वास्थ्य को भी खूब लाभ मिलता है। दोनों ही सामग्रियां अपने आप में कई औषधीय गुणों से भरपूर हैं। आगे हम गुड़ी पड़वा और उगादी पर नीम खाने के फायदे और गुड़ खाने के फायदे अलग-अलग बताएंगे।
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में जिस दिन उगादी और गुड़ी पड़वा मनाया जाता है, उसी दिन हिंदू नव वर्ष भी शुरू होता है। इस जश्न के दिन स्वास्थ्य के लिए आप भी नीम और गुड़ खाकर स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। चलिए, जानते हैं उगादी और गुड़ी पड़वा के दिन नीम खाने के फायदे।
उगादी और गुड़ी पड़वा पर नीम के बाद गुड़ खाने के फायदे भी होते हैं। सबसे पहले तो गुड़ नीम खाने के बाद मुंह की कड़वाहट को कम करता है। इसके अलावा गुड़ के फायदे कुछ इस प्रकार हैं –
उगादी और गुड़ी पड़वा पर नीम और गुड़ खाने के पारंपरिक महत्व के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी महत्व भी हैं। भारतीय परंपराओं की यह खासियत है कि इनमें कहीं-न-कहीं स्वास्थ्य लाभ जरूर छुपा होता है। बस तो इस त्योहार में नीम और गुड़ खाकर परंपरा भी निभाएं और खुद के स्वस्थ्य रखने के लिए एक कदम भी बढ़ाएं। उगादी और गुड़ी पड़वा की मंगलकामनाएं।
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