2 Jun 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
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मंकीपॉक्स दुनिया में मंकीपॉक्स वायरस की वजह से फैल रहा है। यह वायरस चेचक (स्मॉल पॉक्स) के वायरस के परिवार का ही एक सदस्य है। लेकिन मंकीपॉक्स (Monkeypox) का वायरस कम गंभीर माना जा रहा है।
यह ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के दूरदराज वाले हिस्सों में होता है। इसलिए इस वायरस को दो भागों में बांटा गया है – पश्चिम अफ्रीकी और मध्य अफ्रीकी। भले ही भारत में इसके मामले अबतक नहीं आए हैं, लेकिन दूसरे देशों में तेजी से बढ़ते इसके मामले देखकर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी पूरी तैयारी कर ली है।
इस लेख में जानिए कि मंकीपॉक्स के लक्षण (Monkeypox symptoms) क्या हैं। साथ ही हम बताएंगे कि मंकीपॉक्स से प्रेग्नेंसी कैसे प्रभावित होती है। यही नहीं, क्या मंकीपॉक्स भी कोरोना की तरह महामारी का रूप ले सकता है या नहीं, इसपर चर्चा की गई है। इन सबके बारे में जानने के लिए इस लेख में बने रहें।
मंकीपॉक्स के लक्षण (Monkeypox symptoms) चेचक के लक्षणों के समान, लेकिन उनसे हल्के होते हैं। शुरुआत में मंकीपॉक्स के लक्षण कुछ इस तरह नजर आते हैं –
मंकीपॉक्स (monkeypox) में बुखार के दो से तीन के बाद दाने (लिम्फ नोड्स) विकसित होने लगते हैं, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होते हैं, फिर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं। आमतौर पर हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों में।
दाने में तेज खुजली और दर्द हो सकता है। दाने विभिन्न चरणों से गुजरते हैं और आखिर में उनमें पपड़ी बनती है और फिर धीरे-धीरे ठीक होने लगते हैं। जहां-जहां पर दाने होते हैं, वहां-वहां पर निशान पड़ सकते हैं।
मंकीपॉक्स (monkeypox) संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिनों के बीच तक रहता है। चेचक और मंकीपॉक्स के लक्षण (monkeypox symptoms) के बीच मुख्य अंतर यह है कि मंकीपॉक्स के कारण लिम्फ नोड्स सूज जाते हैं (लिम्फैडेनोपैथी) जबकि चेचक में ऐसा नहीं होता है।
मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के अधिकांश मामले हल्के होते हैं और कुछ ही हफ्तों में खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं। हालांकि, मंकीपॉक्स कभी-कभी अधिक गंभीर हो सकता है। पश्चिम अफ्रीका में यह कई मौतों का कारण बना है।
सीडीसी में मौजूद जानकारी के अनुसार, मंकीपॉक्स को 10 में से 1 व्यक्ति में मृत्यु का कारण बताया गया है। जो इस बीमारी का अनुबंध करते हैं।
मंकीपॉक्स (monkeypox) मंकीपॉक्स वायरस के कारण (Monkeypox Causes) होता है। यह तब फैलता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में हो। मंकीपॉक्स वायरस चोट लगी हुई त्वचा, खरोंच वाली त्वचा, श्वसन पथ या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है।
इसे पहले यौन संचारित संक्रमण के रूप में वर्णित नहीं किया गया था, लेकिन इसे सेक्स के दौरान सीधे संपर्क से पारित किया जा सकता है। इसलिए मंकीपॉक्स फैलने के कारण (Monkeypox Causes) में यह भी शामिल है। मंकीपॉक्स, संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, चूहों और गिलहरियों या वायरस से दूषित वस्तुओं, जैसे बिस्तर और कपड़ों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
दुर्भाग्य से गर्भवती महिलाओं को मंकीपॉक्स होने का खतरा अधिक है। दरअसल, गर्भावस्था में महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कम हो जाती है। इसके चलते गर्भवती महिलाओं का मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित होने की आशंका ज्यादा रहती है। हो सकता है कि गर्भवती महिला से उसके गर्भस्थ शिशु को भी मंकीपॉक्स हो। रिसर्च में बताया गया है कि गर्भावस्था की पहली तिमाही में होने वाले मंकीपॉक्स से दो महिलाओं का मिसकैरेज हुआ।
मंकीपॉक्स हल्के लक्षणों (Monkeypox symptoms) के साथ 2-4 सप्ताह के बाद स्वयं ठीक होने वाली बीमारी है। लेकिन, इसका उच्च जोखिम बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के कारण कमजोर प्रतिरक्षा वालों को है।
साथ ही स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिनका संक्रमित व्यक्तियों से सामना रोजाना होता है, उन्हें और उनके घर के सदस्यों को भी संक्रमण का अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा, संक्रमित व्यक्तियों या जानवरों या वायरस से दूषित सामग्री के संपर्क में आने वालों को भी मंकीपॉक्स का हाई रिस्क है।
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोन्नी के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सीनियर रेजिडेंट, डॉ सरन्या सीके के अनुसार, “चिकन पॉक्स होने वालों में मंकीपॉक्स के खिलाफ कोई इम्यूनिटी नहीं होती है।” लेकिन स्मॉल पॉक्स का टीका लेने वाले मंकीपॉक्स के संक्रमण से बच सकते हैं।
वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक का टीका दिया जाता है, जिसे मंकीपॉक्स के खिलाफ प्रभावी पाया गया है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इसको लेकर एंटी-वायरल दवाएं भी विकसित की जा रही हैं।
एएनआई को डॉ अपर्णा मुखर्जी, वैज्ञानिक सी, आईसीएमआर ने बताया, “भारत संक्रमण के लिए तैयार है। यह यूरोप, अमेरिका और अन्य जैसे गैर-स्थानिक देशों में तेजी से फैल रहा है, इसलिए हमने इसकी तैयारी कर ली है। हालांकि, भारत में कोई मामला अबतक दर्ज नहीं हुआ है।
अर्पणा मुखर्जी ने बताया कि अगर मंकीपॉक्स के लक्षण (Monkeypox symptoms) दिखते हैं, तो उसका टेस्ट किया जा सकता है। परीक्षण के लिए मंकीपॉक्स के दानों व घाव से निकलने वाले तरल पदार्थ या श्वसन के नमूने लिए जाते हैं। फिर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में इन वायरस के परीक्षण की व्यवस्था है।
डॉ. सरन्या के अनुसार, “मंकीपॉक्स बिल्कुल भी SARS Cov-2 (कोविड) जितनी आसानी से नहीं फैलता, लेकिन कुछ देशों में इसका प्रकोप रहता है। यह उन देशों में एक महामारी हो सकती है। हालांकि, इसके महामारी में बदलने की आशंका कम है।
अब आप जान ही गए हैं कि मंकीपॉक्स क्या है और इसके कारण (Monkeypox Causes) क्या हैं। मंकीपॉक्स के लक्षण व संकेत नजर आते ही, डॉक्टर से संपर्क करें। इसका टेस्ट करके आसानी से इसका इलाज किया जा सकता है। इससे बचाव के लिए समय-समय पर हाथ धोते रहें और जानवरों के क्लोज कॉन्टेक्ट से बचें।
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