पिछले कुछ सालों में लिवर संबंधी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। बड़े और बूढ़ों में ही नहीं, बल्कि बच्चों में भी फैटी लिवर जैसी दिक्कतें सामने आ रही हैं। इसलिए, बचपन से ही लिवर की देखभाल करना काफी जरूरी है। हम यहां बच्चे के लिवर की देखभाल करने और उसे सुरक्षित रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है, इसका जिक्र यहां करेंगे।
सबसे पहले जानते हैं कि लिवर हमारे शरीर में क्या कार्य करता है।
लिवर का महत्व
लिवर शरीर का सबसे ठोस और बड़ा अंग है, जो पेट के अंदर पसली के नीचे होता है। यह शरीर में कई तरह के कार्य करता है। इनमें मुख्य ये तीन हैं।
यह खून को साफ करता है। खून में मौजूद सभी टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है।
लिवर पित्त (Bile) नामक एक महत्वपूर्ण पाचक द्रव्य उत्पन्न करता है।
यह शरीर में ग्लाइकोजन शर्करा के रूप में ऊर्जा का भंडारण (स्टोर) करता है।
बच्चे के लिवर की देखभाल के तरीके
बच्चे के लिवर की देखभाल करने व उसे स्वस्थ बनाए रखने का एक ही तरीका है और वो है पुरानी जीवनशैली में बदलाव और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना। आइए, बच्चे के लिवर को कैसे सुरक्षित रखें (How to maintain Healthy Liver in Children in Hindi), यह विस्तार से जानते हैं।
डाइट में सुधार – बच्चे के लिवर को स्वस्थ कैसे रखें, सोच रही रही हैं, तो उसकी डाइट पर गौर करें। उसे बैलेंस्ड हेल्दी डाइट दें, जिसमें साबुत अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल शामिल हों। डेयरी उत्पाद भी बच्चे को खिलाएं, लेकिन मध्यम मात्रा में।
नियमित शारीरिक गतिविधि – खेल-कूद, योग, नियोजित व्यायाम, पैदल चलना, टहलना, साइकिल चलाना, यह सभी बच्चों के लिए जरूरी है। इससे बच्चों में मोटापे का खतरा नहीं होता है और लिवर स्वास्थ्य बना रहता है। खासकर फैटी लिवर और बच्चों के लिवर में सूजन का जोखिम घटता है। अगर बच्चा छोटा है, तो उसे नियमित रूप से चलाएं।
खुद से बच्चों को दवाइयां देने से बचें – बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कोई भी दवाई अपने मन से देने से लिवर पर बुरा असर पड़ता है। इसी वजह से खुद से ही किसी भी तरह की दवाई बच्चे को देने का फैसला न लें। ऐसा करने पर बच्चों के लिवर में सूजन, इंफेक्शन या अन्य परेशानी हो सकती है।
समय-समय पर हाथ धुलाएं – बच्चे का हाथ समय-समय पर धुलाएं। अगर वो इतना बढ़ा हो गया है कि खुद हाथ धो ले, तो उसे हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे इधर-उधर की चीजों को पकड़ना, मिट्टी में खेलना, जैसी कई चीजें करते हैं और फिर उंगलियां भी मुंह में डाल देते हैं।
ऐसे में शरीर में बैक्टीरिया जा सकते हैं, जो लिवर को हानि पहुंचा सकते हैं। इसी वजह से हाथ धोने की आदत उनमें डालें।
गतिहीन जीवन से बचाएं – स्मार्टफोन, टैबलेट का उपयोग इन दिनों बढ़ता ही जा रहा है। इसके अलावा, टीवी देखना, वीडियो गेम खेलना, लैपटॉप व कंप्यूटर का उपयोग, इन सबके चलते बच्चे अधिक समय तक बैठे ही रहते हैं।
बच्चे के लिवर को सुरक्षित रखने के लिए स्क्रीन टाइम लीमिट करें। साथ ही इस बैठे रहने व लेटे रहने वाले व्यवहार (sedentary behaviour) से बच्चे को बचाएं। इससे फैटी लिवर और अन्य लिवर की बीमारी से बचाव हो सकता है।
अधपका खाना न दें – बच्चे को अधपका अंडा या अन्य खाद्य पदार्थ न दें। इसके अलावा, सलाद और कटे हुए फल जैसे कच्चे खाद्य को अच्छे से धोकर ही उन्हें दें। बरसात के मौसम में हाइजीन और साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। नहीं तो बच्चों के लिवर में सूजन और बच्चे में लिवर खराब होने के लक्षण दिख सकते हैं।
पानी को बनाएं बच्चे का दोस्त – बच्चे के लिवर की देखभाल करने व उसे सुरक्षित रखने के लिए बच्चे को पानी पीने के लिए प्रोत्साहित करें। बच्चे को समझाएं कि दिनभर में पांच से छह गिलास पानी और इसके साथ अन्य स्वस्थ तरल पदार्थ लेना जरूरी है। उसे कहें कि स्वस्थ रखने में पानी से ज्यादा मददगार कुछ नहीं होता है। असल मायने में पानी ही उसका सच्चा दोस्त है।
इनसे बचाएं – लाल मीट, कलेजा, रिफाइंड अनाज जैसे कि मैदा और चीनी देने से बचें। अन्य प्रकार के मांस और मांस से बने उत्पाद उसे कम दें। साथ ही प्रोसेसड फूड – बेकरी प्रोडक्ट, डीफ फ्राइड, फास्ट फूड, पैकेट वाले जूस, एनर्जी ड्रिंक न खुद दें और न ही उन्हें करने दें। सोडा, कैंडी और अन्य आइसक्रीम खाने से बचें।
चिकित्सक से सलाह लें – अगर बच्चे में लिवर की कोई भी दिक्कत है या लिवर खराब होने के लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इससे समय रहते बीमारी को काबू में करने का मौका मिल जाता है।
लिवर शरीर का एक ऐसा अंग है, जो लोगों को उनकी गलती के लिए माफ कर देता है। मतलब इसे हुई क्षति को ठीक करना आसान होता है। समय पर अगर लिवर पर ध्यान दिया जाए, तो लिवर को दोबारा पूरी तरह से स्वस्थ बनाया जा सकता है। ऐसे में समय पर बच्चे के लिवर को स्वस्थ बनाने के लिए इस लेख में बताई गई बातों पर गौर करें। लिवर खराब होने के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से मिलें।
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