28 Apr 2018 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
स्वस्थ बच्चे के जन्म के बाद उसकी पर्याप्त देखभाल और पोषण के साथ ही बीमारियों से बच्चे की रक्षा भी महत्वपूर्ण है। इसलिए जन्म के बाद बच्चे का टीकाकरण किया जाता है। विभिन्न आयु वर्ग के आधार पर शिशु का टीकाकरण किया जाता है। टीकाकरण के बारे में आप टीकाकरण चार्ट के माध्यम से अधिक जान सकते हैं। इस लेख में हमने टीकाकरण किसे कहते हैं, टीकाकरण के लाभ और किस उम्र में कौन-सा टीका लगना चाहिए, इसकी पूरी जानकारी दी है।
सबसे पहले जानते हैं कि टीकाकरण किसे कहते हैं।
टीकाकरण इंजेक्शन या मुंह के माध्यम से शरीर तक पहुंचाई जाने वाली दवाई है। इसे इंग्लिश में वैक्सीनेशन कहा जाता है। टीकाकरण से जानलेवा बीमारियों से बचने में मदद मिलती है। क्योंकि, टीकाकरण के दौरान लगाई जाने वाली दवाई हमारी इम्यूनिटी को बीमारी से लड़ने की क्षमता और मजबूती देती है।
टीके संक्रमण की नकल करके (Imitating an infection) कुछ बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। ये भविष्य के संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करता है।
आगे समझते हैं कि टीकाकरण क्यों किया जाता है।
बच्चे का टीकाकरण बेहद महत्वपूर्ण है। टीकाकरण के लाभ बहुत हैं। टीकाकरण से बच्चे को जानलेवा बीमारियों से बचाने में मदद मिलती हैं। जैसे कि पोलिया और लकवा के केस धीरे-धीरे टीकाकरण से इनके मामले कम होते गए हैं।
बच्चे व नवजात शिशु का टीकाकरण एकदम सुरक्षित होता है। बस टीका लगाने के बाद उन्हें हल्का दर्द हो सकता है, जो बीमारी की वजह से होने वाले गंभीर परिणाम से बचा सकता है।
टीकाकरण के लाभ सिर्फ बच्चे को ही नहीं, बल्कि उसकी आने वाली पीढ़ी को भी बीमारियों से बचाया जा सकता है।
समय पर नवजात शिशु का टीकाकरण करने से बीमारी के इलाज में पैसों को खर्च होने से बचाया जा सकता है। साथ ही शिशु के बीमार होने से उसकी पढ़ाई में होने वाली हानि से बचाया जा सकता है।
आगे हम नवजात शिशु टीकाकरण चार्ट 2022 लेकर आए हैं। इनकी मदद से आपको बच्चे का टीकाकरण किस उम्र में होता है और कौन-सा टीका उसे लगता है, इसे समझने में मदद मिलेगी।
आयु | बीमारी के लिए टीका |
6 सप्ताह | डिप्थीरिया, पेट्यूसिस या काली खांसी और टेटनस जैसी बीमारियों के लिए संयोजित डीटीपी टीके की पहली खुराक।इंजेक्शन पोलियो टीका (आईपीवी) या मौखिक पोलियो टीका (ओपीवी) की पहली खुराकहेपेटाइटिस बी टीका की दूसरी खुराक (हेप-बी)इन्फ्लूएंजा के खिलाफ हिब (हैमोफिलस इन्फ्लूएंजा प्रकार बी) की पहली खुराक।रोटावायरस की वजह से गंभीर दस्त जैसे बीमारियों के खिलाफ रोटावायरस टीका की पहली खुराक।बच्चों में निमोनिया के खिलाफ पीसीवी (न्यूमोकोकल संयुग्मित टीका) की पहली खुराक। |
10 सप्ताह | डीटीपी, आईपीवी या ओपीवी, हिब, रोटावायरस और पीसीवी की दूसरी खुराक। |
14 सप्ताह | डीटीपी, आईपीवी या ओपीवी, हिब, रोटावायरस और पीसीवी की तीसरी खुराक। |
6 महीने | ओपीवी की खुराक और हेप-बी की तीसरी खुराक |
9 महीने | ओपीवी की खुराक और एमएमआर की पहली खुराक। एमएमआर टीका मम्प्स, खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा के लिए है (जर्मन खसरा)। टायफाइड के खिलाफ टाइफाइड कंजुगेट टीका (टीसीवी) एमएमआर टीका के 4 सप्ताह बाद दी जाती है। बच्चे की उम्र के 12 महीने तक दिया जा सकता है। |
1 साल | हेपेटाइटिस ए के लिए जिम्मेदार वायरस के खिलाफ हेप–ए की पहली खुराक |
नवजात शिशु टीकाकरण चार्ट 2022 के बाद टीकों के प्रकार पर एक नजर डालते हैं।
वैक्सीन के प्रकार में इनएक्टिवेटेड टीके, अटेन्यूऐटेड टीके, टॉक्साइड टीके और सबयूनिट टीके शामिल हैं। इनके अंतर्गत कौन-से टीके आते हैं उनके बारे में हम आगे टेबल के माध्यम से बता रहे हैं –
अटेन्यूऐटेड टीके | इनएक्टिवेटेड टीके | टॉक्साइड टीके | सबयूनिट कॉन्जुगेट टीके |
चेचक | पोलियो (IPV) | डिप्थीरिया | हेपेटाइटिस-बी |
खसरा, मम्प्स, रूबेला (MMR वैक्सिन) | हेपेटाइटिस-ए | टेटनस | इंफ्लुएंजा |
चिकन पॉक्स | रेबीज | – | हेमोफिलस इंफ्लुएंजा टाइप-बी |
इंफ्लुएंजा | – | – | काली खांसी |
रोटावायरस | – | – | न्यूमोकोकल |
जोस्टर | – | – | मेनिंगोकोक्सल |
– | – | – | ह्यूमन पैपिलोमा वायरस |
टीके के दुष्प्रभाव शिशु को बचाने के लिए आप निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए।
बच्चे टीकाकरण के बाद लक्षण के रूप में कुछ दुष्प्रभाव से गुजरते हैं। आगे जानते हैं कि बच्चे टीकाकरण के बाद लक्षण के रूप में किन दुष्प्रभावों का सामना कर सकते हैं –
बीमारियों की जटिलताओं से बचने के लिए बच्चों का टीकाकरण बहुत जरूरी है। अगर वैक्सीन न लगाई जाए, तो क्या होगा यह हम आगे बता रहे हैं।
टीकाकरण बच्चे को कई हानिकारक बीमारियों से बचाने के लिए सबसे सस्ता और प्रभावी तरीका है। टीकाकरण से जुड़ी लापरवाही से शिशु का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। इसलिए, शिशु का टीकाकरण समय पर करवाते रहें।
ध्यान दें कि लेख में दी गई जानकारी पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। समय-समय पर बच्चे के टिकाकरण के लिए डॉक्टर से संपर्क करते रहें।
शिशु के जन्म के बाद तीन वैक्सीन लगती हैं। फिर धीरे-धीरे 12 से 14 टीके लगते हैं।
2 महीने, 4 महीने, 6 महीने और एक साल की उम्र में शिशु को कई तरह की वैक्सीन लगती हैं।
नवजात शिशु को बीसीजी, हेपेटाइटिस बी 1,आईपीवी जैसी अनेक वैक्सीन दी जाती है।
बच्चों को टीका दो तरह से लगता है। एक इंजेक्शन के माध्यम से दूसरा पीने वाली बूंदें, जैसे पोलियो ड्रॉप्स।
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