19 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु का टीकाकरण किया जाता है। इनमें कुछ टीका जन्म के कुछ घंटों के बाद ही लगाया जाता है, तो कुछ टीकाकरण बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ लगाने अनिवार्य होते हैं। इन्हीं विभिन्न टीकों में से बच्चों को फ्लू वैक्सीन भी देना अनिवार्य माना जाता है। बता दें कि भारत सरकार, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम “यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम” (Universal Immunisation Programme) के जरिए देश में बच्चों के लिए 12 जरूरी वैक्सीन का टीकाकरण निशुल्क प्रदान करती है, जिनमें बच्चों में संक्रामक रोग एवं उनकी रोकथाम की क्षमता होती है।
बच्चों का टीकाकरण घातक बीमारियों से बचाव व सुरक्षा के लिए कारगर माना गया है। इसी तरह बच्चों को फ्लू वैक्सीन लगाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत किया जा सकता है, जिससे न सिर्फ बच्चों में संक्रामक रोग की रोकथाम की जा सकती है, बल्कि बच्चों में संक्रामक बीमारी का इलाज भी किया जा सकता है।
बच्चों को फ्लू वैक्सीन ओरल दवा या इंजेक्शन दोनों ही रूप से दी जा सकती है। अगर बच्चों के लिए सबसे प्रचलित टीकाकरण की बात करें, तो इसमें सबसे पहला नाम “पोलियो की खुराक” और दूसरा “चेचक का टीकाकरण” हो सकता है।
बच्चों के लिए टीकाकरण एक इमिटेशन इंफेक्शन की तरह काम कर सकता है, यानी यह बच्चों में संक्रामक रोग के विकास को रोकने के लिए शरीर मे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। इस तरह बच्चों का टीकाकरण उनमे कई संक्रामक बीमारियों की रोकथाम कर सकती है और उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में भी मदद कर सकती है।
दरअसल, फ्लू का वैक्सीन या अन्य वैक्सीन लगने के बाद शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं (WBC) का उत्पादन होता है। ये वे रक्त कोशिकाएं होती है, जो बच्चों में संक्रामक रोग से लड़ने व उनसे बचाव करने में मददगार मानी जा सकती हैं। हालांकि, बच्चों के लिए वैक्सीन के प्रभाव शुरू होने में एक सप्ताह तक का समय भी लग सकता है।
टीका का नाम | टीकाकरण की उम्र | टीकाकरण की खुराक | टीकाकरण का तरीका |
शिशुओं के लिए टीकाकरण चार्ट | |||
बीसीजी | जन्म के समय या जन्म के एक वर्ष के अंदर | 0.05 मिली एक माह के शिशु के लिए, 0.10 मिली एक माह से बड़े शिशु के लिए | नसों के जरिए त्वचा के अंदर |
हेपेटाइटिस बी (बर्थ डोज) | जन्म के 24 घंटे के अंदर | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
ओपीवी-0 | जन्म के समय या जन्म के 15 दिनों के अंदर | 2 बूंद | ओरल खुराक |
ओपीवी-1,2,3 | 6, 10 और 14 सप्ताह | 2 बूंद | ओरल खुराक |
डीपीटी-1,2.3 | 6, 10 और 14 सप्ताह | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
हेपेटाइटिस बी-1,2,3 | 6, 10 और 14 सप्ताह | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
खसरा | 9 माह पर | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
विटामिन-ए, पहली खुराक | 9 माह पर | 1 मिली | ओरल खुराक |
छोटे बच्चों के लिए टीकाकरण चार्ट | |||
डीपीटी बूस्टर 1 | 16-24 माह | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
ओपीवी बूस्टर | 16-24 माह | 2 बूंद | ओरल खुराक |
विटामिन-ए, दूसरी से नौंवी खुराक तक | 16 माह पर, इसके बार हर 6 माह के अंतराल पर एक खुराक 5 वर्ष की उम्र तक | 2 मिली | ओरल खुराक |
डीपीटी बूस्टर 2 | 5-6 वर्ष | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
टीटी | 10 व 16 वर्ष | 0.5 मिली | इंजेक्शन |
बच्चों को फ्लू वैक्सीन इन्फ्लुएंजा नामक संक्रामक बीमारी से बचाव करने के लिए दी जाती है। यह एक श्वसन संबंधी बीमारी है, जो इन्फ्लुएंजा (Influenza) वायरस के कारण होती है। सामान्य भाषा में इसे फ्लू या मौसमी सर्दी-जुकाम भी कहा जा सकता है। इसके होने पर बच्चे में बुखार, कंपकंपी, सर्दी-खांसी के साथ ही गले में खराश व बदन दर्द की भी समस्या हो सकती है।
ऐसे में बच्चे का शरीर इन्फ्लुएंजा वायरस से सुरक्षित बना रहे और उसका शरीर इस संक्रामक बीमारी से लड़ सके, इसके लिए ही बच्चों को फ्लू वैक्सीन क्यों दी जाती है। इसके अलावा फ्लू वैक्सीन बच्चे के शरीर को अन्य संक्रामक बीमारियों से बचाव करने में भी कुछ हद तक मदद कर सकती है।
बच्चों को फ्लू वैक्सीन देने के निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैंः
जन्म के दौरान नवजात बच्चों में इम्यूनिटी नहीं होती है। वे धीरे-धीरे रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करते हैं। ऐसे में बच्चों में संक्रामक रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है, इसलिए संक्रामक रोग एवं उनकी रोकथाम के लिए बच्चों के लिए वैक्सीन लाभकारी हो सकती है।
बच्चों के लिए टीकाकरण न सिर्फ सुरक्षित है, बल्कि इसे पूरी तरह से प्रभावकारी भी माना गया है। यही वजह है कि बच्चे को जन्म से लेकर अगले कुछ वर्षों तक बच्चों का टीकाकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है। कोई आर्थिक तंगी की वजह से इससे वंचित न रहे, इसलिए भारत सरकार इन्हें निशुल्क मुहैया भी करा रही है।
फ्लू का वैक्सीन या अन्य बच्चों के लिए वैक्सीन बच्चे के साथ ही, भविष्य में उसकी आने वाली संतान को भी सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
अगस सही समय पर बच्चों का टीकाकरण न किया जाए, तो यह बच्चे के लिए घातक हो सकता है। इसके अलावा, विभिन्न संक्रामक रोग एवं उनकी रोकथाम के लिए परिवार का समय और पैसों दोनों ही अधिक खर्च हो सकता है। ऐसे में घर-घर पर स्वाइन फ्लू टीकाकरण और अन्य टीके को फ्री में भारत सरकार ने उपलब्ध करवाया जाता है।
हां, अन्य दवाओं की तरह ही बच्चों के लिए वैक्सीन के भी कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जिनके लक्षण गंभीर होना दुर्लभ हो सकते हैं, जैसेः
वैसे ये सभी लक्षण सामान्य ही माने जा सकते हैं, हालांकि अगर कुछ गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास बच्चे को ले जाना चाहिए।
हां, अगर कोई बच्चा सरकारी कैंप में जाने से वंचित रह जाता है, तो इसकी चिंता न करें। नर्स या डॉक्टर घर-घर जाकर स्वाइन फ्लू टीकाकरण करने की पुष्टि करते हैं। ऐसे में अगर कोई बच्चा इन्फ्लूएंजा वायरस का पहला शॉट नहीं ले पाया है, तो उसका घर पर स्वाइन फ्लू टीकाकरण हो सकता है।
फ्लू का वैक्सीन कितना प्रभावकारी है, यह हर बच्चे में अलग-अलग देखा जा सकता है। अगर किसी बच्चे में पहली बार में फ्लू का वैक्सीन कारगर साबित नहीं होता है, तो वह फ्लू का वैक्सीन कुछ अंतराल के बाद दोबारा से भी ले सकता है, जिसे बूस्टर वैक्सीन कहा जा सकता है। हालांकि, हेपेटाइटिस जैसे फ्लू का वैक्सीन दो खुराक में लेना अनिवार्य है।
मौजूदा समय में बच्चों को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। हालांकि, अगर किसी बच्चे को कोरोना नहीं हुआ है या किसी अन्य वजहों से बच्चों को कोरोना वैक्सीन नहीं दी जा सकती है, तो ऐसी स्थिति में इन्फ्एलुंजा यानी फ्लू का वैक्सीन भी बच्चे की इम्यूनिटी को सुरक्षित रखने में कारगर माना जा सकता है। इन्फ्लूएंजा (फ्लू) का टीका बच्चे सीजनल के तौर पर लगवा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, बारिश के दिनों में होने बच्चों में संक्रामक बीमारी का इलाज फ्लू शॉट से किया जा सकता है।
एक तरह से देखा जाए, तो न सिर्फ शारीरिक विकास के तौर पर, बल्कि मानसिक विकास के लिए बच्चों का टीकाकरण कराना जरूरी है। अगर कोई पेरेंट्स टीकाकरण के प्रति लापरवाही बरतते हैं, तो यह भविष्य में बच्चे के लिए घातक साबित हो सकती है।
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