22 May 2018 | 1 min Read
Aritra Raj
Author | 14 Articles
अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाना, हर मां-बाप की Priority होती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप इसे अपनी लाइफ़ का एकमात्र Motive बना लें। अपने बच्चे के लिए एक अच्छा प्रीस्कूल ढूंढने की जद्दोजहद में हैं, तो सबसे पहले इस बात को अपने दिमाग़ से निकल दें कि कोई सबसे अच्छा प्रीस्कूल होता है। बच्चे के लिए प्रीस्कूल फ़ाइनल करने से पहले इन ज़रूरी बातों को ध्यान में रखे –
प्रीस्कूल चुनते समय आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना है, ऐसा नहीं है कि सिर्फ महंगे और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर वाले प्रीस्कूल ही बेहतर होते हैं। एक अच्छे प्रीस्कूल में नीचे लिखी खासियत होनी चाहिए –
प्रीस्कूल देखते समय, ये देखना भी ज़रूरी है कि आपके घर के पास कोई प्री-स्कूल है या नहीं, आप इन्टरनेट पर सर्च कर सकती हैं – Preschool near me। इससे आपको अपने बच्चे को लेने-ले जाने में दिक्कत नहीं होगी और टाइम भी बचेगा। अगर आप एक वर्किंग मदर या पेरेंट हैं, फिर ये और ज़्यादा ज़रूरी फ़ैक्टर हो जाता है, क्योंकि आप आसानी से अपने ऑफ़िस और उसके स्कूल के बीच तालमेल बैठा पाएंगी।
प्रीस्कूल आपके बच्चे के लिए घर के बाद दूसरी वो जगह होगी, जहां वो सबसे ज़्यादा टाइम बिताएगा। इसलिए इस जगह की सेफ़्टी, वहां की सुविधाएं और Infrastructure देखना भी ज़रूरी है। उसे वहां खेलने, चलने की पर्याप्त जगह मिल रही है या नहीं? स्कूल में CCTV कैमरे हैं या नहीं? इमरजेंसी सिचुएशन से निपटने का प्रबंध है या है? ये सभी सवाल पूछने ज़रूरी हैं। एक बार आपके इन सवालों के जवाब संतोषजनक हों, तो आप उस प्रीस्कूल के बारे में सोच सकते हैं।
किसी भी स्कूल में एक बच्चे को होशियार बनाने की ज़िम्मेदारी उसके अध्यापकों के सिर होती है। ख़ास कर एक प्रीस्कूल में बच्चे पर ध्यान देना ज़रूरी है। इसलिए बच्चे के स्कूल के टीचर्स से मिलें, उनसे बातचीत करें, उनके काम करने का तरीका समझें। ये ज़रूर देखें कि टीचर बच्चों के साथ कैसे पेश आ रहे हैं। अगर वो हर बच्चे को अलग तरह से ट्रीट कर रहे हैं, तो ये एक अच्छे टीचर की निशानी है। हर बच्चा अलग होता है और उसे समझाने का तरीका भी अलग होना चाहिए।
हर स्कूल तीन तरह के पाठ्यक्रम की फॉलो करते हैं। इनमें प्रमुख हैं:
अगर आप इनके बारे में न भी जानती हों, तो स्कूल से डिटेल में ये पता कर लें कि वो किस तरह से पढ़ाई करवाते हैं। ये भी चेक करना ज़रूरी है कि कहीं स्कूल का सिलेबस बच्चे की उम्र के हिसाब से है न नहीं।
एक स्कूल की आइडियोलॉजी बहुत हद तक बच्चे के विकास के लिए ज़रूरी होती है और उसे अफ़ेक्ट भी करती है। इसलिए ये जानना बेहद ज़रूरी है कि स्कूल को चलाने वाले/ प्रिंसिपल किस तरह के व्यक्ति हैं और उनकी स्कूल के प्रति सोच क्या है। बेहतर हो, एडमिशन से पहले आप उनसे मिलें और सभी सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करें। पूरी तरह से संतुष्ट होने पर ही आगे बढ़ें –
किसी भी स्कूल में एक बच्चे को बनाने की ज़िम्मेदारी उसके अध्यापकों के सिर होती है। ख़ास कर एक प्रीस्कूल में बच्चे पर ध्यान देना ज़रूरी है। इसलिए बच्चे के स्कूल के टीचर्स से मिलें, उनसे बातचीत करें, उनके काम करने का तरीका समझें। ये ज़रूर देखें कि टीचर बच्चों के साथ कैसे पेश आ रहे हैं। अगर वो हर बच्चे को अलग तरह से ट्रीट कर रहे हैं, तो ये एक अच्छे टीचर की निशानी है। हर बच्चा अलग होता है और उसे समझाने का तरीका भी अलग होना चाहिए।
कोई भी बच्चा चीज़ें कर के जल्दी सीखता है। इसलिए स्कूल में भी उसे ‘मज़े-मज़े’ में नयी चीज़ें सिखाने पर फ़ोकस होना चाहिए। यहीं पर वो शिष्टाचार, अनुशासन और रोज़मर्रा की चीज़ें सीखते हैं। ध्यान दें कि उसके स्कूल में ये सब सिखाने के तरीके मज़ेदार हों। घर आने पर उसकी दिनचर्या के बारे में पूछें और उसे वो सब घर पर भी करने को कहें।
प्रीस्कूल का आईडिया बच्चे के समग्र विकास और जीवन में आगे बढ़ने से जुड़ा है। वो इन चीजों को हल्के-फुल्के तरीकों से समझेगा, तो जल्दी सीखेगा। ये सभी बातें ध्यान में रख कर ही उसके लिए एक ऐसे प्रीस्कूल का चुनाव करें, जहां वो सही लोगों के बीच हो। आप इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने में हमारी मदद करें।
Related Articles :
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.