जब मैं दूसरी बार माँ बनी !

जब मैं दूसरी बार माँ बनी !

14 Mar 2019 | 1 min Read

Vavita Bhardwaj

Author | 44 Articles

माँ बनने की ख़ुशी क्या होती है यह एक औरत से बेहतर भला कौन जान सकता है। ऐसा ही मेरा साथ हुआ था जब पहली बार मुझे पता चला चला था की मैं माँ बनने वाली हूँ। एक दिन सुबह सोकर उठी तो याद आया की मेरी माहवारी आने में दो दिन की देरी हो गयी है। मैंने जब घर पर ही टेस्ट करके देखा ,तब उन दो गुलाबी धारियों ने मेरे दिल की धड़कन बढ़ा दी। मैं खुश भी थी और घबराई हुई भी थी।

 

मेरे पति घर पर नहीं थे , काम के सिलसिले में घर से बाहर थे। वो एक हफ्ते बाद घर लौटने वाले थे , मैं सोच रही थी क्या करूँ , कैसे करूँ ,डॉक्टर से कब जाकर मिलूं ? ये सारे सवालों ने मुझे चारों तरफ से घेर लिया था। मेरा मायका और ससुराल दोनों ही दूर थे। फिर मैंने एक लम्बी सांस भरी और दो मिनट आँख बंद करके बैठ गयी। मेरे कमरे में लगी छोटे बच्चे की तस्वीर में मुझे आने वाले बच्चे की तस्वीर दिखाई दे रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने सबसे पहले अपने पति को फ़ोन लगाया और उनको ये खुशखबरी दी 🙂 बाद में फ़ोन करके अपने दोस्तों और परिवार वालों को उत्साहित होकर बताया।

 

याद करती हूँ वो समय जब तीसरे महीने में मुझे लगातार चक्कर आते थे और मैं कुछ खा नहीं पाती थी , जी ख़राब रहता था सिर हमेशा भारी रहता था। कितना जल्दी घबरा जाते थे मैं और मेरे पति। हर छोटी से छोटी तकलीफ होने पर दिन हो या रात डॉक्टर के पास जाते थे। फिर डरते डरते कब समय बीता और कुछ घंटों के असहनीय दर्द को झेलने के बाद मेरा बेटा मेरी गोद में आया।

 

3 साल कैसे मेरे बेटे के पीछे दौड़ते दौड़ते बीता ,याद नहीं। बेटे को स्कूल भेज कर, एक रोज़ मैं आराम से चाय पीते हुए अखबार पढ़ रही थी की मेरी नज़र तारीख पर गयी। बेटे की परवरिश में इतना मशरूफ रहती की दिन और तारीख का ख्याल नहीं रहता। तारीख देखी तो याद आया की मेरी माहवारी की तारीख 6 दिन पहले जा चुकी है। मैंने जल्दी से टेस्ट किया और एक बार फिर दो गुलाबी धारियों मुझे दिखाई दी। मगर इस बार मैं घबराई हुई नहीं थी , न ज़्यादा उत्साहित थी। पर हाँ मैं खुश थी , हमेशा से हम पति पत्नी यही चाहते थे की हमारे दो बच्चे हों 🙂

 

मगर इस बार जब पता चला तो मैंने इसे अपने तक सीमित रखा। और जब मेरा वजन बढ़ना शुरू हुआ तब बाकि लोगों को पता चला। पहली बार गर्भावस्था के दौरान , मन में बहुत से ख्याल और बेचैनी रहती थी। क्यूंकि खुद का ख्याल अब बहुत अच्छी तरह रखना था। याद करती हूँ जब मेरे पति दफ्तर के काम से कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर जाते थे , तब अकेले खुद के लिए खाना बनाना जैसे नामुमकिन सा था। कभी दूध ब्रेड , तो कभी सैंडविच ,या नूडल्स से काम चला लिया करती थी। पर जब पता चला की अब मेरे खाने पीने का सीधा असर मेरे आने वाले बच्चे पर होगा ,फिर क्या था मैंने कमर कस ली और अपनी सेहत का ख्याल रखने का वादा खुद से किया। रोज़ खाने में सतुंलित आहार का होना , नियमित रूप से हल्का व्यायाम करना या टहलने जाने लगी।

 

पहली बार माँ बनने की उत्सुकता और ख़ुशी ने मेरे वो नौ महीने के सफर को बहुत आसान बनाया। मगर जब मुझे पता चला की मैं दूसरी बार माँ बनने वाली हूँ ,मेरे मन की भावनायें अलग थी, मेरा पहला बच्चा अब 3 साल का था। मेरा खाना ज़्यादातर उसका बचा हुआ खाना होने लगा था। मेरा पहला बच्चा जब गर्भ में था तब मैं थक जाने पर कभी भी आराम कर सकती थी , मगर दूसरे बच्चे के समय ये हो पाना नामुमकिन सा था। शांति से ग़ज़लें और संगीत सुनना अब मेरे 3 साल के बच्चे की कवितायेँ सुनने में बदल गया था। 

ऐसा नहीं था मैं दूसरी बार माँ बनने से खुश नहीं थी। बस फर्क इतना सा था की अभी मैं गर्भावस्था से जुड़ी काफी परेशानियों को अच्छी से समझती थी। छोटी छोटी तकलीफ होने पर डॉक्टर के पास नहीं जाती थी। बाकी दूसरी बार माँ बनने का सुख पहली गर्भावस्था के बराबर ही था। 

आइए, जानते हैं कि दूसरी बार माँ बनने के दौरान कौन-कौन से अलग लक्षण नजर आ सकते हैं ?

 

दूसरी प्रेगनेंसी के लक्षण कई मायनों में अलग देखने को मिलते हैं. जानिए कैसे

 

पहली गर्भावस्था के लक्षण आपको जल्दी नजर आ सकते हैं और आप अधिक थका हुआ महसूस कर सकते हैं। इसके बावजूद सबसे अच्छी खबर यह है कि आप पहले भी इससे गुजर चुके हैं, इसलिए आप कुछ लक्षणों का अनुमान लगा सकते हैं और उन्हें रोक भी सकते हैं। अगर पहला लेबर पेन बहुत निराशाजनक रहा है तो आप इस बार एक अलग बर्थ प्लान अपना सकते हैं। चलिए जानते हैं आपको क्या महसूस हो सकता है? 

 

1. गर्भावस्था का नजर आना 

आपकी पहली गर्भावस्था के बाद, आपका गर्भाशय पूरी तरह से अपने पूर्व गर्भावस्था के आकार में वापस नहीं सिकुड़ता है। इसका मतलब है कि यह गर्भावस्था के लिए तैयार ही है, और आप गर्भावस्था को पहले के मुकाबले ,कुछ समय पहले महसूस कर सकते हैं। 

 

 

2. बेबी किक और मूवमेंट 

आप पहली गर्भावस्था की तुलना में अपने बच्चे को समय से पहले गर्भाशय में लात मारते और हिलते हुए देख सकते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि आपका बच्चा तेजी से बढ़ रहा है या आपके पहले बच्चे की तुलना में ज्यादा तेज है। इसका तात्पर्य यह है कि आप अपने अनुभव के कारण गर्भ में पल रहे बच्चे की माइल्ड मूवमेंट को जल्दी पहचान सकते हैं।  

 

3. पेट का नीचे की ओर होना  

यह काफी संभावना है कि आपकी दूसरी प्रेगनेंसी में आपका पेट, पिछली गर्भावस्था के मुकाबले नीचे हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर मामलों में, पेट की मांसपेशियां पिछली गर्भावस्था से खिंच जाती हैं और पहले जैसी मजबूत नहीं होती हैं। बच्चे को नीचे ले जाने से श्रोणि और मूत्राशय क्षेत्र पर दबाव बढ़ जाता है और मूत्र को अधिक करने की इच्छा बढ़ जाती है। अपने पैल्विक मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए केगेल व्यायाम नियमित रूप से सीखें और अभ्यास करें। 

 

4. प्रेगनेंसी पेन  

दूसरी प्रेगनेंसी में बच्चे के नीचे की ओर झुकाव से पीठ की मांसपेशियों पर अतिरिक्त वजन पड़ता है, जिससे पीठ में दर्द हो सकता है। आपने अपनी पहली गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द महसूस किया हो या नहीं, आपकी दूसरी प्रेगनेंसी के दौरान शुरुआत से ही अपनी पीठ का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है। भारी वस्तुओं को उठाने और ले जाने से बचें। यदि आपको वस्तुओं को उठाना या हिलाना है, तो अपने घुटनों को मोड़कर बैठ जाएं और फिर अपनी पीठ से रोकने के बजाय उन्हें घुटने के बल उठाएं।  

 

 तो आपको पता चल गया होगा कि दूसरी गर्भावस्था, पहली गर्भावस्था से अलग क्यों होती है? उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपको पसंद आएगी। यह सच है कि दूसरी प्रेगनेंसी कभी इतनी आसान नहीं होती, जितना हम सोचते हैं, बल्कि यह थोड़ी मुश्किल कही जा सकती है। परिवार के सहयोग से आप अपनी दूसरी प्रेगनेंसी को आसान बना सकते हैं। इस दौरान अपना ख्याल थोड़ा ज्यादा रखें ताकि आपके दूसरे बच्चे को सही पोषण और सुरक्षित प्रसव दोनों उपलब्ध हो सके।

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बैनर छवि: policybazaar

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