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एनॉमली स्कैन याअल्ट्रासाउंड लेवल II क्या होता है?

एनॉमली स्कैन याअल्ट्रासाउंड लेवल II क्या होता है?

15 Apr 2019 | 1 min Read

Yogesh Wagh

Author | 1 Articles

एनॉमली स्कैन, जिसे भ्रूण विसंगति स्कैन या स्तर 2 विसंगति स्कैन या भ्रूण विसंगतियों के लिए लक्षित इमेजिंग के रूप में भी जाना जाता है। यह एक अल्ट्रासाउंड स्कैन है, जो गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में किया जाता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 18 से 23 सप्ताह के बीच बच्चे के विकास का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। जब गर्भावस्था दूसरी तिमाही में पहुँचती है, तब तक बच्चे के अंगों का निर्माण पूरा हो जाता है। इस अवधि के दौरान, एनॉमली स्कैन के द्वारा भ्रूण के सभी अंगों को आसानी से देखा जा सकता है। एनॉमली स्कैन से बच्चे के अंगों को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चे के सभी अंग ठीक तरह से विकसित हो रहे हैं या नहीं?

आइए, जानते हैं कि डॉक्टर एनॉमली स्कैन के सुझाव क्यों देते हैं?

एनॉमली (Anomaly scan) स्कैन क्यों जरूरी है ?

जन्म से पहले अपने बच्चे का एनॉमली स्कैन स्कैन करना अति आवश्यक है, ताकि किसी भी तरह के जन्मजात दोष (बर्थ डिफेक्ट) की पहचान हो सके। अगर ऐसे किसी दोष का शुरुआत में पता चल जाता है तो डॉक्टर इससे बचाव के लिए आपको कुछ सुझाव दे सकते हैं। स्वस्थ शिशु और माँ के लिए यह अल्ट्रासाउंड जरूरी माना जाता है।

एनॉमली स्कैन द्वारा नीचे लिखे प्रमुख दोषों का पता लगाया जा सकता है –

एनॉमली (Anomaly scan) स्कैन से पता चलने वाले दोष

एनॉमली स्कैन के जरिए डॉक्टर बच्चे के सही शारीरिक और मानसिक विकास की जांच पड़ताल करते हैं। हालांकि, गर्भावस्था में विसंगति स्कैन द्वारा ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी जैसी आनुवंशिक समस्याओं का पता नहीं लगाया जा सकता है। गुणसूत्र / आनुवंशिक जन्म दोष जिन्हें डाउन सिंड्रोम कहा जाता है, आमतौर पर हृदय और पेट के दोषों से जुड़ा होता है। इनके लिए एमनियोसेंटेसिस, कोरियोनिक विलस सैंपलिंग और नॉन-इनवेसिव, प्रीनेटल टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं। इनके अलावा अनोमली स्कैन के जरिए भ्रूण में नीचे दी गईं विसंगतियों का पता लगाया जा सकता है।

  • स्पाइना बिफिडा (रीढ़ की हड्डी खुली)
  • एन्सैफली (बच्चे के सिर में दोष)
  • हाथ और पैर की असामान्यता
  • पेट, गुर्दे, हृदय (जन्मजात हृदय दोष) आदि अंगों में दोष।
  • डायाफ्राम (डायाफ्राम के हर्निया) के दोष, एक मांसपेशी जो छाती और पेट को अलग करती है
  • मस्तिष्क में अतिरिक्त द्रव का संग्रह (हाइड्रोसिफ़लस)
  • चेहरे और मुंह में दोष (फांक होंठ)

एनॉमली स्कैन

स्रोत: cdc।gov

एनॉमली (Anomaly scan) स्कैन के अन्य फायदे

विकासशील भ्रूण में शारीरिक दोषों की पहचान करने के अलावा, यह अनोमली स्कैन रिपोर्ट निम्नलिखित पहलुओं पर भी प्रकाश डालती है –

1. प्लेसेंटा की स्थिति

प्लेसेंटा गर्भाशय की सामने की दीवार पर या पीछे की दीवार या गर्भाशय के शीर्ष पर स्थित हो सकता है। कभी-कभी प्लेसेंटा की स्थिति थोड़ी नीचे हो सकती है और बच्चेदानी के मुहं (सर्विक्स) को कवर कर सकता है। ऐसे मामले में, आपको 20 सप्ताह के बाद या तीसरी तिमाही में एनॉमली स्कैन को दोहराने के लिए कहा जाएगा। इसके जरिए देखा जाता है कि प्लेसेंटा बढ़ते बच्चे की हलचलों के कारण स्थान बदल रहा है या नहीं।

2. बच्चे का लिंग

एनॉमली (Anomaly scan) का उपयोग करके भ्रूण के लिंग की पहचान की जा सकती है। हालाँकि, भारत में लड़कियों से ज्यादा लड़के के जन्म को वरीयता देने से अवैध गर्भपात में वृद्धि देखी गई। इसका नतीजा लैंगिक असंतुलन के रूप में सामने आ सकता था इसलिए अजन्मे बच्चे के लिंग का खुलासा करना, अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट बॉय और गर्ल का समर्थन करना, कानून द्वारा दंडनीय अपराध बना दिया गया है। इसलिए अजन्मे बच्चे के लिंग परिक्षण के लिए विसंगति स्कैन का उपयोग नहीं करना चाहिए।

3. अम्बिलिकल कॉर्ड

अम्‍बिलिकल कॉर्ड एक लचीली ट्यूब होती है जो गर्भावस्‍था के दौरान भ्रूण को मां से जोड़ती है। अम्‍बिलिकल कॉर्ड के जरिए शिशु को मां के जरिए पोषण मिलता है। गर्भस्थ शिशु के शरीर से विषाक्‍त पदार्थ भी इसी अम्‍बिलिकल कॉर्ड के जरिए बाहर निकल पाते हैं। अम्‍बिलिकल कॉर्ड एक धमनी और दो नसों से बनी होती है। एनॉमली (Anomaly scan) के जरिए अम्‍बिलिकल कॉर्ड की संरंचना और स्थिति जानी जा सकती है।

4. एमनियोटिक द्रव

एमनियोटिक द्रव वह लिक्विड है जिसमें बच्चा तैरता है। गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए इस तरल का सही मात्रा में होना बहुत जरूरी है। एनॉमली (Anomaly scan) के जरिए एमनियोटिक फ्लूड की मात्रा पता की जा सकती है।

5. EDD (डिलीवरी की संभावित तिथि)

एनॉमली (Anomaly scan) विभिन्न अंगों की वृद्धि, विकास और परिपक्वता के आधार पर बच्चे की गेस्टेशनल एज की गणना भी करता है। इसके आधार पर, शिशु के जन्म की तिथि का अनुमान लगाया जा सकता है। एनॉमली (Anomaly scan) के बारे में आपके मन में और भी अधिक प्रश्न हों सकते हैं, आइए उनका समाधान करने की कोशिश करते हैं।

एनॉमली स्कैन (Anomaly scan) से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल

एनॉमली स्कैन (Anomaly scan), विसंगति टेस्ट या अल्ट्रासाउंड लेवल II एक ही तरह की जांच है इसलिए नाम को लेकर संदेह न करें। अक्सर गर्भवती के मन में नीचे लिखे सवाल आते हैं जैसे –

  • मुझे एनॉमली स्कैन या अल्ट्रासाउंड लेवल II की जरुरत क्यों है?

एनॉमली स्कैन (Anomaly scan) की जरूरत हर गर्भवती महिला को होती है ताकि यह जाना सके कि गर्भ में शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास सही तरह से हो रहा है या नहीं?

  • क्या मुझे एनॉमली स्कैन के लिए तैयारी करनी होगी?

कुछ विशेष तैयारी नहीं, यह टेस्ट बिल्कुल आम अल्ट्रासाउंड की तरह होता है। पेट का यह अल्ट्रासाउंड अच्छे और सरल तरीके से हो सके, इसके लिए सुविधाजनक कपड़े पहनें। विसंगति स्कैन के लिए महिला का ब्लैडर फुल होना जरूरी नहीं है, इसके बारे में निश्चिन्त रहें।

  • स्कैन किस तरह किया जाएगा?

आम तौर पर, गर्भ में बढ़ते बच्चे के बहुत से अंगों की पूर्व निर्धारित माप होती है। स्कैन के दौरान बच्चे का साईज दिशानिर्देशों में निर्धारित एज के अनुरूप होना चाहिए। जिन अंगों की माप होती है वो हैं –

  • सिर की गोलाई (HC)
  • बाय-पार्शियल डायामीटर (BPD)
  • पेट की गोलाई (AC)
  • फीमर की लंबाई (FL)

पेट पर एक जेल लगाया जाता है जो अन्दर की साफ़ तस्वीरें लेने में मदद करता है और उसके बाद रेडियोलाजिस्ट अल्ट्रासाउंड पूरा करते हैं।

  • एनॉमली स्कैन से मेरे गर्भस्थ शिशु के बारे में क्या पता चलेगा?

एनॉमली स्कैन (Anomaly scan) गर्भस्थ शिशु के बारे में बहुत सी जानकारी पता चलती हैं, जैसे उसके अंगों का विकास सही तरीके से हो रहा है या नहीं। गर्भस्थ शिशु के वृद्धि में कुछ असामान्यताएँ होती है तो इस प्रक्रिया से उसका पता चल जाता है।

  • लेवल II स्कैन में क्या असामान्यताएं देखी जा सकती हैं?

लेवल II स्कैन में शिशु के शरीर की बाहरी असामान्यताएँ जैसे हाथ,पैर,पेट और मुहं की संरंचना में कमी का होना दिखाई देता है। इसके अलावा अंदरूनी शारीरिक बनावट भी देखी जा सकती है।

  • अल्ट्रासाउंड सॉफ्ट मार्कर क्या हैं?

सॉफ्ट मार्कर शिशु के स्वास्थ्य को दर्शाने वाले पूर्व निर्धारित मापदंड हैं। स्कैन के दौरान इनमें थोड़ा बहुत उतार चढ़ाव देखा जा सकता है लेकिन एक या दो से अधिक सॉफ्ट मार्कर देखे जाते हैं, तो यह गुणसूत्र दोषों के संदेह को बढ़ाता है। ये दोष हो सकते हैं –

  • नुचाल कॉर्ड मोटा होना (बच्चे की गर्दन के पीछे तरल पदार्थ का संग्रह)
  • कोरॉइड प्लेक्सस सिस्ट (मस्तिष्क में पुटी)
  • गुर्दे की पैल्विक फैलाव (गुर्दे में असामान्यता)
  • इकोोजेनिक सोसाइटी (पेट में या हृदय के पास एमनियोटिक द्रव का संग्रह)
  • गर्भनाल में एकल धमनी- आमतौर पर गर्भनाल में दो धमनियां और एक नस होती है।
  • हाइड्रोसिफ़लस (मस्तिष्क में द्रव संग्रह)

अगर मेरे स्कैन में किसी समस्या का पता चले तो क्या होगा?

अगर लेवल II स्कैन में किसी भी तरह की असमान्यताएं देखने को मिलती हैं तो घबराना नहीं चाहिए, ऐसे मामलों में डॉक्टर दोबारा स्कैन करने की सलाह दे सकते हैं। अगर स्थिति गंभीर होती है तो आपसे विशेषज्ञ से मिलने की सिफारिश की जाती है।

क्या दूसरी तिमाही में मुझे और भी अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने होंगे?

यह पूरी आपके और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। कई बार डॉक्टर दूसरी तिमाही में ज्यादा स्कैन करवाने के लिए कहते हैं तो वो कोई विशेष स्थिति हो सकती है जैसे जुड़वां बच्चे या प्लेसेंटा का नीचे होना। अगर आपको गर्भपात होने की पुरानी समस्या है तो भी अधिक अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने पड़ सकते हैं।

अल्ट्रासाउंड लेवल

डिस्क्लेमर: लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य व्यावसायिक चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह लें।

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डॉक्टर क्यों करते हैं एनोमली स्कैन? – कुछ बर्थ डिफेक्ट ऐसे होते हैं जिनका अगर समय पर पता चल जाए तो उन पर काबू पाया जा सकता है इसलिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड स्कैन का सुझाव देते हैं, जानिए इसके और फायदे क्या हैं?

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