30 Apr 2019 | 1 min Read
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गर्भावस्था हर महिला के जीवन में एक खुशनमा बदलाव लेकर आती है, लेकिन कई बार कुछ जटिलतायें भी प्रेगनेंसी के साथ चली आती हैं। ऐसी ही एक जटिलता है इंट्रायूटेराइन ग्रोथ रिसट्रिक्शन (Intrauterine growth restriction, IUGR) जिसमें अजन्मे बच्चे का गर्भ के अंदर सामान्य दर से विकास नहीं हो पाता है और उसका कम वजन होता है। बच्चा उतना बड़ा नहीं हो पाता है जितना कि उसे गर्भावस्था में होना चाहिए। बेबीचक्रा के इस लेख में हम IUGR के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगें –
IUGR की शिकायत पैदा होती है क्योंकि भ्रूण को पर्याप्त पोषक तत्व और पोषण नहीं मिल पाता है। इसके होने के कुछ प्रमुख कारण ये भी हो सकते हैं –
IUGR के दो प्रकार होते हैं –
सिमिट्रिकल IUGR: इसमें बच्चे के शरीर के सभी भाग आकार में समान रूप से छोटे होते हैं।
असीमिट्रिकल IUGR: बच्चे का सिर और मस्तिष्क अपेक्षित आकार का होता है, लेकिन बच्चे का शेष शरीर छोटा होता है।
अंतर्गर्भाशयी विकास प्रतिबंध का सही ढंग से निदान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि सभी बच्चे जो छोटे हैं और जन्म के समय कम वजन के हैं , उसका कारण हमेशा यूजीजीआर नहीं है। इसका निदान गर्भावस्था को सही तरीके से जांच कर बच्चे की गर्भकालीन आयु (जेस्टेशनल) निर्धारित करके किया जाता है। एक बार जब डॉक्टर शिशु की सही गर्भकालीन आयु जान लेते हैं, तो वे बच्चे की वृद्धि की सामान्य वृद्धि दर के साथ तुलना करते हैं। यदि विकास दर उम्मीद से धीमी है, तो डॉक्टर विकास की निगरानी करेंगे और IUGR की जांच के लिए कुछ परीक्षण करेंगे। बच्चों के जन्म से पहले, डॉक्टर जघन की हड्डी के ऊपर से गर्भाशय के शीर्ष तक मां के पेट को मापकर उनकी वृद्धि की जांच करते हैं। इसे यूटेराइन फंडल हाइट कहते हैं।
इसके निदान के तरीके कुछ इस प्रकार हो सकते हैं –
नियमित स्कैन और सीटीजी मॉनिटरिंग समय-समय पर बच्चे की वृद्धि पर नज़र रखने में मदद करते हैं। यदि चिकित्सक गंभीर विकास के मुद्दों को नोटिस करता है, तो अतिरिक्त स्कैन आवश्यक हो सकते हैं।
डॉपलर टेस्ट ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है जो गर्भनाल में बहने वाले रक्त और भ्रूण के विकासशील मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं की गति और मात्रा को मापता है।
बच्चे के हलचल के पैटर्न पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। एक बच्चा जो हर दिन हिलता है वह स्वस्थ है, जबकि कम या कोई भी हलचल न होना गंभीर स्थिति का संकेत दे सकता है। एक बच्चे के हलचल पैटर्न में कोई भी बदलाव तत्काल जांच के लिए कहता है।
आईयूजीआर की पुष्टि होने पर डॉक्टर बच्चे को अपनी निगरानी में रखते हैं और माँ को पर्याप्त आराम करने की सलाह देते हैं। अच्छा खान-पान, तनाव मुक्त दिनचर्या और बेडरेस्ट ही IUGR की स्थिति में उपचार है। आईयूजीआर के गंभीर मामलों में, माँ और बच्चे की भलाई सुनिश्चित करने के लिए अर्ली डिलीवरी की आवश्यकता हो सकती है।
बच्चों में IUGR होने की वजह से वो कमजोर हो जाते हैं, ऐसे में जन्म के बाद बच्चों को नीचे लिखे हेल्थ रिस्क का सामना करना पड़ सकता है।
आपने जाना कि IUGR गर्भस्थ शिशु और माँ पर क्या असर कर सकता है। इस असामान्यता के होने पर बच्चे की ख़ास देखभाल ही उसे स्वस्थ किशोर बनने की राह दिखा सकती है। IUGR के बाद बच्चा चाहे फुल टर्म हो या प्री-मैच्योर उसे माँ का दूध पिलाना चाहिए। माँ का दूध बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होता है। जन्म के बाद अगर अपने विकास की रेखा से नीचे रह जाते हैं, उन्हें बाल रोग विशेषज्ञ जाना चाहिए।
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