17 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
सोते समय बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत को पेरेंट्स सामान्य मान सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी स्थितियां हैं जो बच्चों का नींद में पेशाब करने की बीमारी का कारण हो सकती हैं। आपके बच्चे में बिस्तर गीला करने की समस्या कितनी सामान्य है या क्या यह किसी बीमारी के कारण है, इसे जानने के लिए यह लेख पढ़ें। यहां बच्चों में नींद में पेशाब करने की बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया है।
आमतौर पर नवजात बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत देखी जा सकती है। वहीं, अगर बच्चे में बिस्तर गीला करने की समस्या 12 साल की आयु के बाद भी बनी रहती है, तो यह बच्चे में बच्चों में बिस्तर गीला करने की बीमारी का संकेत होता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 से 12 साल के आयु के भारतीय बच्चों में बिस्तर गीला करने की समस्या आम मानी जा सकती है। खासतौर पर लड़कों में।
आंकड़े यह भी बताते हैं कि लड़कियों के मुकाबले लड़के सोते समय बीस्तर गीला अधिक कर सकते हैं। बच्चों में बेड वेटिंग की समस्या को नाइट टाइम इनकंटीनेंस (Nighttime Incontinence) या नॉक्टनल एन्यूरेसिस (Nocturnal Enuresis) भी कहते हैं।
अगर आपके बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत किशोरवस्था में पहुंचने के बाद भी बनी रहती है, तो यह बच्चे में नींद में पेशाब करने की बीमारी की वजह से हो सकती है। नींद में पेशाब करने की बीमारी किन कारणों से हो सकती है, इस भाग में इसी पर चर्चा की गई है, जो निम्नलिखित हैं:
1. हार्मोनल से जुड़ी समस्याएं – हमारे शरीर में आमतौर पर एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (Antidiuretic Hormone), या एडीएच (ADH) नामक एक हार्मोन पाया जाता है, जो शरीर को रात में कम पेशाब उत्पादन करने में मददगार होता है। वहीं, अगर किसी बच्चे या वयस्क में इस हार्मोन का उत्पादन कम हो, तो उन बच्चों में बिस्तर गीला करने की बीमारी हो सकती है।
2. मूत्राशय की समस्या – कुछ किशोरों और वयस्कों में सामान्य से अधिक छोटा मूत्राशय या अविकसित मूत्राशय हो सकता है। जिस वजह से भी बच्चा सोते समय अपने मूत्र को नियंत्रित नहीं पाता है और इस कारण सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी हो सकती है।
इसके अलावा, अगर बच्चे के मूत्राशय की मांसपेशियों में अधिक ऐंठन की समस्या हो, तो यह भी उसके पेशाब रोक पाने की क्षमता को कमजोर कर सकता है। जिस वजह से सोते समय बच्चों को बिस्तर पर पेशाब करने की आदत हो सकती है।
3. आनुवंशिकी स्थिति होने पर – अक्सर माता-पिता के जरिए भी बच्चों में नींद में बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी की आदत मिल सकती है। यानी अगर वयस्क महिला या पुरुष में सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी थी, तो यह बीमारी उसके बच्चों में भी देखी जा सकती है।
4. बच्चे को गहरी नींद की आदत – कुछ किशोर बच्चों को सामान्य से अधिक गहरी नींद में सोने की आदत भी हो सकती है। इस वजह से जब उन्हें पेशाब आता है, तो वे अपनी नींद से जाग नहीं पाते हैं और इस वजह से वे नींद में ही बिस्तर पर पेशाब कर देते हैं।
5. कैफीन का सेवन – अगर बच्चा बहुत अधिक मात्रा में कैफीन का सेवन करना है, तो यह आदत भी उस बच्चे में नींद में पेशाब करने की बीमारी का कारण बन सकती है।
6. बच्चे को स्लीप एपनिया होना – अगर बच्चे में स्लीप एपनिया की समस्या है, तो यह भी उसमे सोते समय बिस्तर पर यूरिन करने की बीमारी का एक कारण हो सकती है।
7. बच्चे को स्वास्थ्य समस्याएं होना – अगर बच्चे में विभिन्न स्वास्थ्य हैं, जो ये भी बच्चों में बिस्तर गीला करने की बीमारी का कारण बन सकती हैं, जैसेः
8. बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं होना – कुछ मामलों में बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्याएं होना भी नींद में पेशाब करने की बीमारी का कारण हो सकती है। उदाहरण के लिए –
इन सब भावनात्मक वजहों से बच्चा अधिक तनाव ले सकता है, जो उसमें मनोवैज्ञानिक स्तर पर नींद में बिस्तार पर पेशाब करने की बीमारी उत्पन्न कर सकता है।
9. बच्चे में मूत्राशय के भरे रहने की पहचान न होना – कुछ बड़े बच्चों में मूत्राशय के भरे रहने या उसके खानी रहने की पहचान करने की क्षमता कम विकसित हो सकती है। इस वजह से भी बच्चा नींद में बिस्तर गीला करना शुरू कर सकता है।
10. बच्चे का यौन शोषण होना – बच्चे का बिस्तर गीला करना यौन शोषण के शिकार हुए बच्चों में भी देखी जा सकती है। इसकी वजह से बच्चा रात में बिस्तर से उठने से डर महसूस कर सकता है या उसे यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन से लेकर यौन रोग होने का भी जोखिम हो सकता है, जो नींद में पेशाब आने की वजह का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
देखा जाए, तो बच्चा का बिस्तर गीला करना सामान्य व गंभीर दोनों ही स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हो सकता है। लेकिन, बच्चे का बिस्तर गीला करना लाइलाज नहीं है। बच्चों में नींद में पेशाब करने की बीमारी का इलाज किया जा सकता है। इसमें पेरेंट्स मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ ही, बच्चे के दिनचर्या से जुड़ी सामान्य गतिविधियों में बदलाव का भी सहारा ले सकते हैं। पेरेंट्स बच्चे में नींद में पेशाब करने की बीमारी का इलाज करने के लिए उनकी स्लीप व रात में उठकर पेशाब जाने की आदत के लिए एक टाइम शेडयूल डायरी भी बना सकते हैं।
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