23 Feb 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही का चरण बहुत ही नाजुक होता है। यह वह समय होता है, जिसके बाद शिशु का जन्म होता है। यही वजह है कि गर्भावस्था का तीसरा त्रैमासिक गर्भवती के शरीर में हो रहे बदलावों के प्रति अधिक संवेदनशील भी बन जाता है। ऐसे में इस दौरान होने वाली सामान्य व गंभीर बदलावों के लक्षणों की पहचान करनी जरूरी हो जाती है। गर्भावस्था के अंतिम तीन महीने किसी तरह के शारीरिक व मानसिक बदलाव के साथ सामने आते हैं, इसे समझने में यह लेख आपके लिए मददगार हो सकता है।
गर्भावस्था का पूरा काल 9 महीनों का होता है। यानी एक गर्भवती महिला लगभग 40 सप्ताह तक गर्भ में अपने शिशु की देखभाल करती है। इस पूरे गर्भावस्था के चरण को तीन तिमाही में बांटा गया है। हर एक तिमाही में तीन-तीन महीने होते है।
1. गर्भावस्था की पहली तिमाही – गर्भधारण करने से लेकर 12वें सप्ताह तक का समय यानी पहला, दूसरा और तीसरा महीना।
2. गर्भावस्था की दूसरी तिमाही – 12 से 24वें सप्ताह तक का समय यानी चौथा, पांचवा और छठा महीना।
3. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही – 24 से 40वें सप्ताह तक का समय यानी सातवां, आठवां और नौवां महीना।
जैसे ही गर्भवती प्रेग्नेंसी के छह माह पूरे करके सातवें माह के चरण में आती है, तो उसी सप्ताह से प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही शुरू हो जाती है। गर्भावस्था के अंतिम तीन महीने पूरे होते ही शिशु के जन्म का समय आ जाता है। यही वजह है कि गर्भावस्था का तीसरा त्रैमासिक बहुत ही खास होता है। इस दौरान गर्भवती में दिखाई देने वाले हर लक्षणों की बारीकी से देखभाल करनी चाहिए, जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
पहले और दूसरे त्रैमासिक की ही तरह गर्भावस्था का तीसरा त्रैमासिक भी कई लक्षणों से भरा होता है। इस दौरान गर्भवती महिला के शरीर में शारीरिक बदलाव के साथ ही मानसिकर बदलाव भी देखा जा सकता है। इन लक्षणों और बदलावों के बारे में नीचे हमने गर्भावस्था के अंतिम तीन महीने दर महीने से जानकारी दी है।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही यानी सातवें महीने में निम्नलिखित शारीरिक व मानसिक बदलाव हो सकते हैंः
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के आठवें महीने में निम्नलिखित शारीरिक व मानसिक बदलाव हो सकते हैंः
गर्भावस्था का तीसरा त्रैमासिक नौवें महीने में निम्नलिखित लक्षणों से भरा हो सकता है, जैसेः
यह बात तो साफ है कि गर्भावस्था के अंतिम तीन महीने कई शारीरिक व मानसिक बदलावों से भरे हो सकते हैं। ऐसे में गर्भवती को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि वह इन स्थितियों के लक्षणों को सामान्य बना सके और खुद की सेहत का ध्यान रख सके।
उम्मीद है कि प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही को समझने में यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा। साथ ही,
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान सूखे मेवे व अन्य पोषक तत्वों से भरे खाद्य को अपने आहार में शामिल करें, ताकि माँ व बच्चे को जरूरी पोषक मिल सके। इसके अलावा, यह भी ध्यान रखें कि तीसरी तिमाही में गर्भावस्था के दौरान सफेद स्राव जैसी समस्या अगर अधिक होती है, तो बिना देरी के डॉक्टर से परामर्श करें।
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