1 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
ऑटिज्म बच्चे को कैसे संभालें, यह पेरेंट्स को चिंतित करने वाला विषय होता है। मौजूदा समय में ऑटिज्म ट्रीटमेंट इन हिंदी के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है। सिर्फ बच्चे के साथ बात-चीत करके व उसके आसपास के माहौल में सुधार लाकर बच्चे के ऑटिज्म लक्षणों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
यही वजह है कि ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल करने के प्रति पेरेंट्स को टिप्स देने के लिए ऑटिज्म जागरूकता दिवस भी मनाया जाता है। साथ ही, ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए पेरेंटिंग टिप्स के बारे में आप हमारा यह लेख भी पढ़ सकते हैं।
ऑटिज्म बच्चे को कैसे संभालें या ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए पेरेंटिंग टिप्स क्या-क्या किए जा सकते हैं, इसी के बारे में विस्तार से नीचे बताया गया है। यहां हम ऐसे 10 टिप्स बता रहे हैं, जो ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल में मददगार साबित होंगे।
ऑटिज्म बच्चे को कैसे संभालें, इसके लिए जरूर है कि पेरेंट्स को उनके बच्चे में ऑटिज्म के लक्षणों की पहचान हो। जैसा कि बच्चे में ऑटिज्म के संकेत उनकी बढ़ती उम्र व व्यवहार से स्पष्ट हो सकता है, ऐसे में अगर बढ़ती उम्र के साथ बच्चे के व्यवहार में ऑटिज्म के संकेत दिखाई देते हैं, तो तुरंत बाल मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और ऑटिज्म के लक्षणों के आधार पर बच्चे की देखभाल करें।
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को एक ही बात को कई बार बताना व समझाना होता है। ऐसे में पढ़ाई-लिखाई के लिए ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए दिनचर्या बनाएं। दिन भर में थोड़ी-थोड़ी देर के लिए दो से तीन शेड्यूल निर्धारित करें। पढ़ाई की छोटी अवधि होने से जहां बच्चे का पढ़ने में मन लगेगा, वहीं दिन भर में एक ही बात को दो से तीन बार दोहराने से उसे वह बात याद भी रह सकती है।
भले ही ऑटिज्म ट्रीटमेंट इन हिंदी में उपलब्ध नहीं है, लेकिन बच्चे में ऑटिज्म के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर बाल मनोरोग विशेषज्ञ से मिलते रहना चाहिए। मनोरोग विशेषज्ञ बच्चे में हुए सुधार का आंकलन कर सकते हैं और आगे से ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल में किस तरह के बदलाव करने चाहिए, इस बारे में भी उचित निर्देश दे सकते हैं।
न सिर्फ पढ़ने के लिए, बल्कि खेलने के लिए भी ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए दिनचर्या बनाएं। ऑटिज्म बच्चों का सामाजिक व्यवहार बहुत खराब हो सकता है। ऐसे में बाहर दूसरों बच्चों के साथ रहने व खेलने से उसके सामाजिक व्यवहार में कुछ हद तक सुधार हो सकता है व उसका आत्मविश्वास भी बढ़ सकता है।
ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल करते समय इसका ध्यान रखें बच्चे से कोई बात कहते हुए उससे आंखें जरूर मिलाएं। आंख से संपर्क बनाए रखने से बच्चे के साथ व्यवहार को अच्छा बनाया जा सकता है। इसके अलावा, ऑटिज्म बच्चे को भी अपनी बात करने में आसानी हो सकती है।
ऑटिज्म एक ऐसा विकार है, जो सीधे तौर पर बच्चे के मानसिक रूप को कमजोर करता है। ऐसे में पेरेंट्स को ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल करते समय बहुत धैर्य रखने की आवश्यकता हो सकती है। उनका बच्चा किसी भी नई बात को सीखने में सामान्य बच्चों से अधिक समय ले सकता है। ऐसे में बच्चे से जल्दी से होशियार बनने की उम्मीद भी नहीं रखनी चाहिए और उसके लक्षणों में सुधार होने तक का इंतजार करना चाहिए।
ऐसा नहीं है कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए पेरेंटिंग टिप्स एक दिन, एक हफ्ते या एक महीने में अपना सकारात्मक प्रभाव दिखा सकते हैं। इसका ध्यान रखें कि ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए पेरेंटिंग टिप्स को सालों-साल हर दिन पूरी लगन से करने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए दिनचर्या का हर दिन पालन करें।
परिवार के सदस्यों के साथ ही, करीबी मित्रों व पड़ोसियों से भी अपने बच्चे की स्थिति के बारे में बात कर सकते हैं। ताकि वह भी ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल में पेरेंट्स का सहयोग कर सकते हैं। अगर बच्चे के आस-पास रहने वाले लोग बच्चे की स्थिति से अंजान होंगे, तो वे बच्चे की मानसिक स्थिति का उपहास बना सकते हैं और जाने-अंजाने में उसे परेशान भी कर सकते हैं।
जब भी ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे खेलकर आएं या पढ़ कर आएं, तो उन्हें एक उचित समय के लिए आराम करने दें। ताकि उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बना रहे और सिखाई जाने वाली हर बात पर वो अपना ध्यान लगा सकें।
ऑटिज्म बच्चे को कैसे संभालें, इसका एक जवाब पालतू जानवर भी हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पालतू जानवर होने से बच्चे का रवैया शांत स्वाभाव का बनाया जा सकता है और वह दूसरे लोगों से मिलनसार भी हो सकता है। इसके अलावा, पालतू जानवर होने से वे दूसरे चीजों से लगाव महसूस करना व उनकी हिफायत करना भी सीख सकते हैं।
आशा है कि ऑटिज्म बच्चे को कैसे संभालें, इससे संबंधित यहां दिए गए ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिए पेरेंटिंग टिप्स आपके लिए कामगर साबित होंगे। ध्यान रखें कि ऑटिज्म से ग्रसित बच्चों की देखभाल करने में कई तरह की परेशानी हो सकती है। ये परेशानी सामाजिक से लेकर निजी भी हो सकती हैं। ऐसे में हिम्मत व सकारात्मक विचार बनाए रखें और शांत मन से ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए दिनचर्या का पालन करें।
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