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माँ नहीं बन पा रही हैं? आयुर्वेदिक डिटॉक्स से बढ़ाएं फर्टिलिटी पावर

माँ नहीं बन पा रही हैं? आयुर्वेदिक डिटॉक्स से बढ़ाएं फर्टिलिटी पावर

5 May 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

माँ बनने की ख्वाहिश पूरी होने में अड़चनें आ रही हैं, तो आयुर्वेद आपकी मदद कर सकता है। आयुर्वेदिक तरीके से बॉडी को डिटॉक्स करने से फर्टिलिटी बढ़ती है, जिससे बहुत-सी महिलाओं की माँ बनने की चाहत पूरी हुई है। किस तरह से संतान प्राप्ति में आयुर्वेदिक डिटॉक्स सहायता कर सकता है, इसका जिक्र हम लेख में आगे विस्तार से कर रहे हैं। 

दरअसल, व्यस्त दिनचर्या और दिनभर एक ही जगह बैठे-बैठे काम करने से शरीर में अंदरुनी तरीके से कई बदलाव होते हैं। कई बार इसके चलते हम बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं, तो कभी तनाव। इन सभी के कारण प्रजनन क्षमता पर खराब असर पड़ता है। 

चाहे महिला हो या पुरुष इसकी चपेट में कोई भी आ सकता है। इससे स्वस्थ बच्चे को जन्म देना ख्वाब-सा लगने लगता है। इसके चलते सरोगेसी या कृत्रिम तरीकों की मदद लेनी पड़ती है। मगर कुछ मामलों में आयुर्वेद भी आपकी मदद कर सकता है।

विषाक्त पदार्थ, डिटॉक्सिफिकेशन और प्रजनन क्षमता

पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता को कम कर देते हैं। महिलाओं में खराब अंडे की गुणवत्ता के कारण शुक्राणु का अंडे को फर्टिलाइज करना और फर्टिलाइज अंडे को गर्भाशय की दीवार में प्रत्यारोपित करना कठिन हो जाता है।

यही नहीं, पर्यावणीय विषाक्त के कारण शुक्राणुओं की संख्या (Sperm Count) कम हो सकती है। साथ ही कम गतिशील वाले जीवन के चलते स्पर्म की अंडे को सफलता पूर्वक फर्टिलाइज करने की संभावना कम हो जाती है। 

ऐसे में कम गुणवत्ता वाले अंडे और शुक्राणु के कारण बच्चे में जन्म दोष या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।  यही नहीं, गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं के कारण गर्भपात का खतरा भी बढ़ रहा है। 

यूं तो रोजमर्रा में हमारा शरीर सभी विषाक्त चीजों को बाहर निकालने का काम करता है। लेकिन, इनकी अतिभारिता यानी ओवरलोड होने से  टॉक्सिन हमारे ऊतकों में जमा होने लग जाते हैं। 

नतीजतन, इन पर्यावरणीय और अन्य विषाक्त पदार्थों के लगातार संपर्क से हमारी प्रजनन क्षमता कम होती जाती है। इससे होने वाले शिशु के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में डिटॉक्सिफिकेशन से शरीर को पूरी तरह साफ कर प्रजनन क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जाती है।

फर्टिलिटी डिटॉक्स की तैयारी

  • डिटॉक्स प्रक्रिया शुरू करने से कुछ दिन पहले से ही शराब, चीनी और कैफीन का सेवन बंद कर दें।
  • डिटॉक्स प्रक्रिया से पहले और बाद में भी ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रमुखता दें। इससे शरीर का टॉक्सिन लोड कम होगा।
  • डिटॉक्स की योजना तब बनाएं जब आपके पास आराम करने के लिए पर्याप्त समय हो और सामाजिक कार्यों, भोजन और पार्टियों से बच सकें।
  • पानी की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें।

आयुर्वेद के अनुसार फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए शरीर को डिटॉक्स करने के तरीके

पूर्वाकर्मा – प्री-डिटॉक्स

सबसे पहले प्री-डिटॉक्स प्रक्रिया करनी होती है। इससे शरीर की बाहरी और अंंदरूनी दोनों गंदगी को पसीने की मदद से निकाला जाता है। 

इस दौरान महिला को तीन से पांच तक घी खाने का प्रावधान है। माना जाता है कि इससे शरीर की अंतर की गंदगी साफ हो जाती है।

कुछ महिलाएं कई कारणों से माँ नहीं बन पाती हैं। अगर आप माँ बनना चाहती हैं, तो इस आयुर्वेदिक डिटॉक्स से फर्टिलिटी पावर को बढ़ा सकते हैं।
घी का कांच का जार और चम्मच / स्रोत – पिक्साबे

इसके बाद भाप के माध्यम से शरीर की बाहरी गंदगी को निकाला जाता है। इस प्रक्रिया को सही से करने के लिए विशेषज्ञ या पंचक्रम केंद्रों से ही संपर्क करें।

मुख्य कर्म – विरेचन

विरेचन के दौरान कुछ जड़ी-बूटियां दी जाती हैं। इससे कुछ देर बाद मल त्यागने की इच्छा होती है। यह प्रक्रिया तकरीबन 5 से 6 बार तक दोहराई जाती है। इस मुख्य कर्म से गर्भाशय अच्छे से साफ होता है। 

तेल की मालिश

तनाव और थकान भी फर्टिलिटी घटाने के कारक माने जाते हैं। ऐसे में तेल की मालिश काम आएगी। इससे शरीर रिलेक्स होगा और स्ट्रेस दूर होगा। इसी वजह से तेल की मालिश अच्छी होती है।

सात्विक भोजन

आयुर्वेद के अनुसार, सात्विक भोजन शरीर के लिए सबसे अच्छा होता है। शरीर को डिटॉक्स करने के बाद फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए सात्विक भोजन को ही तवज्जो दें। सात्विक भोजन में ताजी सब्जी, फल और खाना शामिल है। मांस-मछली और लहसुन–प्याज सात्विक भोजन का हिस्सा नहीं हैं, इसलिए इन्हें खाने से बच सकते हैं।

स्वस्थ वसा 

स्वस्थ वसा भी आयुर्वेद के अनुसार फर्टिलिटी के लिए अच्छा होता है। आप आहार में बादाम, काजू, हेजलनट, सूरजमुखी के बीज, कद्दू के बीज, हेजलनट्स को आहार में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, घी का सेवन करना भी अच्छा है। 

फर्टिलिटी और प्रजनन विषाक्तता से बचने के तरीके

यह हम समझ ही गए हैं कि विषाक्तता के चलते प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। ऐसे में प्रजनन विषाक्तता से बचने के तरीकों को अपना सकते हैं। 

• जब भी संभव हो जैविक (Organic) उत्पाद और डेयरी उत्पाद को चुनें। 

• यदि आप परंपरागत रूप से उगाए गए फल और सब्जियां खाते हैं, तो उन्हें अच्छे से धोना और छीलना सुनिश्चित करें।

• फास्ट फूड खाना बंद कर दें। ये फेथलेट्स का एक ज्ञात स्रोत है। फेथलेट्स, नेल पॉलिश जैसे उत्पादों में इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्लास्टिसाइजर होता है। 

• धूम्रपान छोड़ें और सेकेंड हैंड स्मोक यानी धूम्रपान के धुएं के संपर्क में आने से बचें।

• छाना हुआ पानी पिएं और छने हुए पानी से नहाने पर भी विचार करें।

ऐसे पर्सनल प्रोडक्ट खरीदें, जो फेथलेट्स और पैराबेंस से मुक्त हों।

• बिस्फेनॉल ए (BPA) युक्त प्लास्टिक में पैक खाद्य और पेय पदार्थ खरीदने से बचें। भोजन को कभी भी प्लास्टिक के कंटेनर में माइक्रोवेव न करें।

• अपने लॉन और बगीचे के लिए गैर-विषैले कीटनाशकों का  विकल्प चुनें।

माना जाता है कि डिटॉक्स प्रोग्राम से नवजात शिशु को बीमारियों के जोखिम से भी बचाया जा सकता है। यह शुक्राणु या अंडे की गुणवत्ता में सुधार करने में अच्छी भूमिका निभा सकता है। इससे गर्भधारण करने की सफलता दर उच्च हो सकती है। 

ऐसे में इस उम्मीद की किरण की तरफ भी माता-पिता बनने के इच्छुक कपल एक नजर डाल सकते हैं। बस इसके लिए किसी विशेषज्ञ से संपर्क जरूर करें, ताकि प्रक्रिया सही तरीके से हो सके।

यह भी पढ़ें – प्रजनन क्षमता के लिए कितना प्रभावी है एक्यूपंक्चर

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