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World Olympic Day -बच्चे के लिए खेलना है वरदान, बस पैरेंट्स को देना होगा ध्यान

World Olympic Day -बच्चे के लिए खेलना है वरदान, बस पैरेंट्स को देना होगा ध्यान

14 Jun 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

समय के साथ चलना जरूरी है। वक्त जैसे-जैसे बदलता है चीजों के प्रति नजरिये को भी बदलना पड़ता है। कुछ ऐसा ही बच्चे के खेल-कूद के साथ भी है। बहुत-से माता-पिता आज भी बच्चे को खेल-कूद में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित नहीं करते। कुछ तो ऐसे भी हैं, जो खेलने की इच्छा रखने वाले बच्चे को सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान लगाने की सलाह देते हैं। क्या आप जानते हैं कि बच्चों के लिए खेलना वरदान से कम नहीं है? 

हर उम्र के बच्चे को खेल-कूद से फायदा मिलता है। बस अगर पैरेंट्स थोड़ा-सा ध्यान दें और खेलकूद के प्रति अपना नजरिया बदल दें, तो बच्चे को खेलने के फायदे मिल सकते हैं। जी हां, बच्चे के विकास में खेलकूद का अहम योगदान है। यहां तक की बीमारियों से बचने और मस्तिष्क स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी खेल महत्वपूर्ण हैं। इसके बारे में अधिक जानने के लिए स्क्रॉल करके लेख में आगे बढ़ें।

बच्चे के विकास के लिए खेल की भूमिका क्या है?

खेल में शामिल होकर ही बच्चे नई चीजें सीखते और समझते हैं। यहां तक की सोशल स्किल्स सिखाने में भी खेल काम आते हैं। खेल से बच्चे में प्रॉब्लम सोल्विंग स्किल पैदा होती है। वो रिस्क लेना, हार को स्वीकार करना, जीतने के लिए आखिर तक कोशिश करना, साथियों के साथ सहयोग करना, जैसी अनेक बातें सीखते हैं। ये सब सीखने में शायद ही कोई किताब मदद कर पाए। 

ये तो छोड़िए गणित जैसे कठिन विषय को समझने में भी खेल मददगार हो सकते हैं। मोटे तौर पर कहें तो एक बच्चे के शारीरिक, बौद्धिक और सामाजिक विकास में हर तरह से खेल मदद करता है। इस बात को हम आगे कुछ बिंदुओं के माध्यम से समझा रहे हैं।

World Olympic Day - बच्चे के लिए खेलना यानी खेल-कूद के फायदे
खेल चाहे किसी भी तरह का हो, बस जरूरी है, तो बच्चे के लिए खेलना। बच्चे के लिए खेलने के फायदे बहुत हैं। स्रोत- पिक्सेल्स

खेलने से बच्चों को होने वाले फायदे | बच्चे के लिए खेलना कितना जरूरी है?

  • खेलने से बच्चे की मांसपेशियों पर सकारात्मक असर पड़ता है। इससे मांसपेशियां मजबूत होती जाती हैं। 
  • छोटे बच्चों में प्रारंभिक उम्र में सकल मोटर विकास होता है। जैसे संतुलन बनाना, मूवमेंट और चीजों को उठाना यानी लिफ्टिंग। खेल के दौरान इन सबका एक साथ विकास होता है। इतना ही नहीं गतिविधियों में भाग लेने से उनकी हड्डियां मजबूत होती जाती हैं। 
  • टॉडलर अपने जीवन में फाइन मोटर स्किल्स  गेम से ही सीखते हैं। एक समान चीजों को एक साथ रखना या छंटाई और बीडिंग जैसी गतिविधियां, बच्चों के फिंगर मूवमेंट को बेहतर करती हैं। 
  • तर्क देना, चीजों को याद रखना, बातों को सोचना, रणनीति बनाना, ये सब बच्चा खेल से सीखता है। जी हां, हर खेल में ये सारी बातें शामिल होती हैं। इसलिए बच्चा इनमें धीरे-धीरे माहिर होता जाता है। चीजों को गिनना हो, आकार को पहचानना हो या कल्पना के दायरे को बढ़ाना हो। हर चीज में खेल मददगार है।
  • समाज सबके लिए जरूरी है। बच्चा अपना सामाजिक सर्कल खेलकूद से बनाता है। वो लोगों से नई बातें सीखता व समझता है। वो दोस्तों की फिक्र करना, समाज में सभ्य तरीके से रहना और दूसरों से खुलकर बातचीत करना सीखता है।
  • आउटडोर खेल से बच्चे की एक्सरसाइज हो जाती है, जो उसके दिमाग और शरीर दोनों को स्वस्थ रखता है। जी हां, इससे उसके सभी सेंस व्यस्त रहते हैं और उसका स्वास्थ्य बेहतर होता है। 
  • आउटडोर गेम बच्चे के गतिहीन समय (Sedentary time) को कम करते हैं। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि सेडेंटरी लाइफ स्वास्थ्य समस्याओं के लिए न्योता है।
  • आउटडोर गेम से बच्चे का मूड बेहतर होता है और उसकी क्रिएटिविटी व गेम स्किल्स भी खुलकर सामने आते हैं। अगर बच्चा छोटा है, तो वो नए गेम सीखता और समझता है। 
  • खेलने से बच्चे में संज्ञात्मक (Cognitive) प्रदर्शन में सुधार होता है। मतलब बातों को समझने, अपने विचार को प्रकट करने, चीजों को मस्तिष्क में प्रोसेस करने की क्षमता बेहतर होती है।
  • किसी भी तरह के स्ट्रेस से बच्चा गुजर रहा हो, तो खेलने से कुछ समय तक वो स्ट्रेस से दूर हो जाता है। क्योंकि, उसका दिमाग पूरी तरह से गेम में ही लग जाता है। 
  • आउटडोर खेल से बच्चे की एक्सरसाइज हो जाती है, जो उसके दिमाग और शरीर दोनों को स्वस्थ रखता है। जी हां, इससे उसके सभी सेंस व्यस्त रहते हैं और उसका स्वास्थ्य बेहतर होता है। 
  • आउटडोर गेम बच्चे के गतिहीन समय (Sedentary time) को कम करते हैं। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि सेडेंटरी लाइफ स्वास्थ्य समस्याओं के लिए न्योता है।
  • आउटडोर गेम से बच्चे का मूड बेहतर होता है और उसकी क्रिएटिविटी व गेम स्किल्स भी खुलकर सामने आते हैं। अगर बच्चा छोटा है, तो वो नए गेम सीखता और समझता है। 
  • खेलने से बच्चे में संज्ञात्मक (Cognitive) प्रदर्शन में सुधार होता है। मतलब बातों को समझने, अपने विचार को प्रकट करने, चीजों को मस्तिष्क में प्रोसेस करने की क्षमता बेहतर होती है।
  • किसी भी तरह के स्ट्रेस से बच्चा गुजर रहा हो, तो खेलने से कुछ समय तक वो स्ट्रेस से दूर हो जाता है। क्योंकि, उसका दिमाग पूरी तरह से गेम में ही लग जाता है।
  • आउटडोर गेम के फायदे में विटामिन-डी मिलना भी शामिल है। अक्सर बच्चों को विटामिन-डी की कमी हो जाती है। इस कमी को रोजाना बाहर कुछ देर खेलकर कम किया जा सकता है। 
  • इस बात से कोई इनकार नहीं करेगा कि हर खेल में एकाग्रता की आवश्यकता होती है। इसलिए, खेलने से बच्चे की एकाग्रता भी बढ़ती है।
  • खेल बच्चे को चीजें देखना का एक अलग नजरिया देता है। घर की चहारदीवारी से निकलकर बच्चा लोगों को समझता है और उनके हाव-भाव से परिचित होता है। उसे सच-झूठ में फर्क समझ में आता है। अगर कभी खेल में चीटिंग से कोई जीते, तो उसे इंसाफ और नाइंसाफी समझ आती है।  
  • बच्चे को खेलकूद से एक अलग नजरिया ही नहीं, एक अलग मुकाम हासिल करने का भी हौंसला मिलता है। वो किसी गेम को अपने करियर की तरह चुन सकता है। खेल जगत में तरक्की करके बच्चा ओलंपिक पहुंच सकता है। इससे दुनिया में वो अपने देश का नाम रोशन करेगा। बस इस दौरान माता-पिता को उसे समझाना होगा कि किसी खेल को अपना भविष्य चुनने के लिए शुरुआती शिक्षा को दाव पर नहीं लगान चाहिए।

ऐसे आवश्यक नहीं है कि खेल संबंधी गतिविधियां घंटों लंबी ही हों। जरूरत बस इतनी है कि दिनभर में थोड़ा समय बच्चे को खुलकर खेलने के लिए मिले। बच्चा छोटा है, तो आप उससे घर के कामों को खेल की तरह करा सकती हैं। उदाहरण के लिए, तकिए को उठाना, खाली टेबल से उठाकर आपको देना। इन सबसे बच्चे के हाथों की ग्रिप भी मजबूत होगी।

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