9 May 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
होम्योपैथिक दवा (Homeopathic Medicine) के नुकसान बहुत ही दुर्लभ माने जाते हैं। शायद यही वजह भी है कि छोटी-मोटी चोट लगने या शारीरिक परेशानी होने पर पेरेंट्स बच्चों को होम्योपैथिक दवा की खुराक (Homeopathic Medicine for Child Injury in Hindi) प्राथमिक इलाज के रूप में दे देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं, तो होमियोपैथी मेडिसिन से बच्चों की चोट का उपचार करने से पहले इससे जुड़े सुरक्षा के नियम जरूर जानें।
बच्चों को होम्योपैथिक दवा देना (Homeopathic Medicine for Child Injury in Hindi) कितना सुरक्षित हो सकता है, इस पर अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञों की मत भी अलग-अलग देखी जा सकती है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में बच्चों को होम्योपैथिक दवा देना सुरक्षित व लाभकारी दोनों हो सकता है।
इस रिसर्च के अनुसार, बच्चों में एक्यूट ओटिटिस मीडिया यानी मध्य कान संक्रमण (Acute Otitis Media) व अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन यानी ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण (Upper Respiratory Infections) के इलाज के लिए होमियोपैथी मेडिसिन दिया जा सकता है।
ऐसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में बच्चों को होम्योपैथिक दवा एंटीबायोटिक के रूप में प्रभावकारी हो सकती हैं। हालांकि, इसका इस्तेमाल डॉक्टरी सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। साथ ही, इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि होमियोपैथी मेडिसिन छोटी-मोटी, मामूली व शुरूआती लक्षणों के उपचार में ही प्रभावकारी हो सकती है।
दूसरी तरफ, एक रिसर्च में यह बताया गया है कि इसका कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं है कि होमियोपैथी मेडिसिन किसी भी स्वास्थ्य स्थिति के लिए पूर्ण प्रभावी है। यह रिसर्च साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान परिषद (NHMRC) ने जारी किया था।
इस रिसर्च में यह भी बताया गया है कि बेशक होमियोपैथी मेडिसिन का उपयोग पिछले 200 सालों से भी लंबे से किया जा रहा है, लेकिन होमियोपैथी मेडिसिन क्रोनिक व गंभीर बीमारियों के इलाज में अधिक असरदार नहीं हो सकती है।
यही वजह है कि बच्चों को होम्योपैथिक दवा देनी चाहिए या नहीं, यह अभी भी एक विवादस्पद विषय माना जा सकता है। बेहतर होगा कि बच्चों की चोट का उपचार होम्योपैथिक दवा से करने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
होमियोपैथी मेडिसिन या होम्योपैथिक दवा (What Is Homeopathy) है, इसे लेकर शायद लोगों के मन में भ्रांतियां हो सकती हैं। अधिकतर लोग होमियोपैथी मेडिसिन या होम्योपैथिक दवा को भारतीय आयुर्वेद का हिस्सा या प्रकार मानने की गलती कर सकते हैं। पर ऐसा नहीं है।
होमियोपैथी मेडिसिन या होम्योपैथिक दवा एक चिकित्सा प्रणाली है, जिसे जर्मनी में 200 से अधिक साल पहले विकसित किया गया था। इसे दो अपरंपरागत सिद्धांतों पर आधारित है:
यह धारणा कि स्वस्थ लोगों में समान लक्षण पैदा करने वाले पदार्थ से बीमारी ठीक हो सकती है।
यह धारणा कि दवा की खुराक जितनी कम होगी, उसकी प्रभावशीलता उतनी ही अधिक होगी। यही वजह है कि कई होमियोपैथी मेडिसिन या होम्योपैथिक दवा या उत्पाद इतने पतले होते हैं कि उनमें कोई मूल पदार्थ के अणु तक नहीं रहते हैं।
होमियोपैथी मेडिसिन या होम्योपैथिक दवा विभिन्न रूप में मौजूद हैं, जिनमें शामिल हैंः
होम्योपैथिक दवा विभिन्न औषधीय पौधों, जानवरों और खनिजों और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से बनाई जाती हैं। विभिन्न परेशानियों व चोट की होम्योपैथिक दवा की खुराक अंतरराष्ट्रीय फार्माकोपिया में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किया जाता है। चोट की होम्योपैथिक दवा अमूनन प्राकृतिक स्रोतों से ही बनाई जाती हैं, यही वजह हो सकती है कि इस दवा को सुरक्षित माना जा सकता है और इसके गंभीर दुष्प्रभाव भी कम देखे जा सकते हैं।
चोट की होम्योपैथिक दवा या बच्चों की चोट का उपचार करने में होमियोपैथी मेडिसिन (Chot Ke Liye Homeopathic Medicine Kitni Effective Hai) कितनी प्रभावकारी हो सकती है, यह बच्चे के चोट के लक्षण के साथ ही, उसके सामान्य स्वास्थ की स्थिति व उसके मानसिक, भावनात्मक, आध्यात्मिक जैसे अन्य लक्षणों पर भी आधिरत कर सकती है।
होम्योपैथिक दवा से उपचार को लेकर ऐसा माना जाता है कि यह न सिर्फ शारीरिक समस्याओं के लक्षणों को कम कर सकता है, बल्कि मनोदशा को बेहतर करने में भी मदद कर सकता है। वहीं, दूसरी तरफ यह विभिन्न औषधियों व अन्य प्राकृतिक स्रोतों से बनाया जाता है, जिस वजह से यह चोट के घाव भरने व दर्द दूर करने में भी प्राभवकारी हो सकते हैं।
कंसल्टिंग होमियोपैथ एंड क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉक्टर श्रुति श्रीधर का कहना है कि “होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग महिला के गर्भवती होने के समय से और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद किया जा सकता है। हालांकि, 6 महीने की उम्र तक के शिशु को किसी भी तरह की दवा देने से परहेज करना चाहिए, क्योंकि छोटे शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो रही होती है, जिसे विकसित होने में कुछ समय लगता है।”
“इसके अलावा, कुछ परिस्थितियों में 6 माह से छोटे बच्चों को भी दवाओं की खुराक दी जा सकती है, जो पूरी तरह से डॉक्टर का ही निर्णय होना चाहिए। अगर स्वास्थ्य चिकित्सक को बच्चे में किसी तरह के लक्षण नजर आते हैं, तो डॉक्टर बच्चे के लक्षणों के आधार पर उसके लिए होम्योपैथिक दवाएं देने की खुराक निर्देशित कर सकते हैं।”
कुछ मामलों में बच्चों को होम्योपैथिक दवा देने के साइट इफेक्ट के लक्षण भी हो सकते हैं, जैसेः
यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि अगर बच्चे को छोटी-मोटी घाव या चोट है, तो उसके इलाज के लिए बच्चों को होम्योपैथिक दवा (Homeopathic Medicine For Child Injury in Hindi) देना एक सुलभ व प्रभावकारी तरीका हो सकता है। हालांकि, खुद से चोट की होम्योपैथिक दवा का चुनाव न करें। हमेशा किसी अनुभवी व होमियोपैथी मेडिसिन की जानकारी रखने वाले चिकित्सक से ही बच्चे को होम्योपैथिक दवा की खुराक दें।
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