16 Nov 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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बेबी स्किन की बीमारियों में से डायपर रैश बहुत ही आम स्किन डिजीज है। गीलापन और घर्षण डायपर रैश होने के सबसे आम कारण हैं और इससे बचा भी नहीं जा सकता। इस मामले में डायपर रैश क्रीम ही एक ऐसा विकल्प है जो इन रैशेज से बेबी को राहत दिला सकता है। पर ध्यान देने वाली बात यह है कि डायपर रैश क्रीम खरीदते समय इंग्रेडिएंट्स जरूर चेक कर लेनी चाहिए ताकि बच्चों के स्किन को नुकसान होने से बचाया जा सके।
डायपर द्वारा कवर किए गए क्षेत्र के दाने को डायपर रैश कहा जाता है। आम तौर पर यह बच्चों में होता है। डायपर रैश बच्चे की त्वचा को लाल, कोमल और पपड़ीदार बना देते हैं। डायपर रैश को कुछ सावधानियों और डायपर पहनाने के रूटीन में बदलाव करके बचाया जा सकता है। अगर दाने फुंसी, फफोला या घाव का रूप धारण कर रहे हैं तो यह इंफेक्शन होने का संकेत हो सकता है।
डायपर रैश के मुख्य कारण नमी और घर्षण होता हैं। मूत्र और दस्त त्वचा में जलन और नुकसान पहुँचाते हैं। एलर्जी भी डायपर रैश का कारण बन सकती है। हो सकता है कि बच्चा डिटर्जेंट, डायपर में डाई, बेबी वाइप्स, साबुन या आपके द्वारा उपयोग किए जा रहे किसी भी अन्य उत्पाद के प्रति संवेदनशील हो सकता है।
अगर डायपर रैश लंबे समय तक ठीक नहीं होते हैं तो यह फंगल इंफेक्शन के कारण होते हैं। अगर देर तक डायपर गीला रह जाए तो कैंडिडा नाम का यीस्ट परिस्थिति को और भी बदतर बनाता है।
डायपर रैश क्रीम बैरियर विधि का उपयोग करके डायपर रैशेज को निकलने से रोकती हैं। वे त्वचा पर एक अवरोध बनाते हैं जो मूत्र और मल को छूने और इसे नुकसान पहुंचाने से रोकता है।
अधिकांश डायपर क्रीम जिंक ऑक्साइड युक्त पेस्ट या क्रीम होती हैं। यह पदार्थ त्वचा पर जलरोधी परत बनाता है। जिंक ऑक्साइड त्वचा के उपचार में भी सहायता करता है।
वैसे तो बाजार में बहुत ब्रैंड के डायपर रैश क्रीम पाए जाते हैं, लेकिन न्यू मॉम को हमेशा लेबल में इंग्रेडिएंट्स पढ़कर ही खरीदनी चाहिए। कुछ इंग्रेडिएंट्स बेबी स्किन को नुकसान पहुँचाते हैं, इसलिए उन चीजों को देखकर ही क्रीम खरीदनी चाहिए।
फेनोक्सीथेनॉल (Phenoxyethanol): फेनोक्सीथेनॉल प्रिजर्वेटिव है जो एक्जिमा, एलर्जी प्रतिक्रियाओं जैसे पित्ती और त्वचा की जलन को ट्रिगर करने का कारण बन सकता है। इसके अलावा यह तंत्रिका तंत्र पर कुछ अन्य नकारात्मक प्रभाव भी डालता है और आपके बच्चे के डायपर रैशेज में मौजूद नहीं होना चाहिए क्योंकि त्वचा में अवशोषित होने पर यह बेबी स्किन के लिए हानिकारक हो सकता है।
पैराबेन प्रिजर्वेटिव (Paraben Preservatives): बच्चे के डायपर रैश क्रीम में पैराबेन रहने से क्रॉनिक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। यह विकासात्मक विषाक्तता के साथ-साथ एलर्जी की प्रतिक्रिया, हार्मोन में बाधा उत्पन्न भी कर सकता है। यह भी बताया गया है कि छोटे बच्चे की त्वचा में घुसने पर परबेन शिशुओं में अत्यधिक वजन बढ़ने का कारण बन सकता है।
सिंथेटिक सुगंध: ऐसे डायपर रैश क्रीम से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि त्वचा में अवशोषित होने पर ये बच्चे के हार्मोनल सिस्टम के काम में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसमें हार्मोन-विघटनकारी थैलेट्स भी होते हैं और इससे शिशुओं में असमान सांस लेने और अस्थमा की समस्या हो सकती है।
मिनरल ऑयल: सस्ता पेट्रोलियम बाय-प्रोडक्ट, मिनरल ऑयल का इस्तेमाल कई डायपर क्रीम में किया जाता है। यह बच्चे के डायपर रैश क्रीम में मिनरल की तलाश करने की सिफारिश की जाती है क्योंकि यह छोटे बच्चे की त्वचा पर एक लेप के रूप में काम करता है और छिद्रों और त्वचा की प्राकृतिक सांस लेने की प्रक्रिया को रोकता है।
पेट्रोलियम जेली: लैनोलिन से बना, पेट्रोलियम जेली (जिसे पेट्रोलाटम भी कहा जाता है) खनिज तेलों और मोम का मिश्रण होता है और एक अर्ध-ठोस जेली जैसा पदार्थ बनाता है जो बच्चे के डायपर रैशेज के अवस्था को और भी खराब कर देता है और फंगल या जीवाणु संक्रमण का कारण बन सकता है।
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि क्यों ये सारे इंग्रेडिएंट्स डायपर रैश क्रीम में नहीं होनी चाहिए। इसके जगह पर नॉन-नैनो जिंक ऑक्साइड, ऑर्गेनिक नीम ऑयल,ऑर्गेनिक मोरिंगा ऑयल, कैलेंडुला ऑयल,ऑर्गेनिक शीया बटर आदि डायपर रैश क्रीम में होनी चाहिए। इसीलिए न्यू मॉम से यह अनुरोध किया जाता है कि डायपर रैश क्रीम खरीदने से पहले #LablePadhoMom।
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