प्रेग्नेंसी हार्मोन्स के चलते महिला गर्भावस्था में बहुत ज्यादा भावुक हो जाती है। छोटी-छोटी बात पर रोना, चिढ़ना, एकदम दुखी होना, थोड़ी ही देर में खुशी का एहसास, ये सब प्रेग्नेंसी में नॉर्मल है। मजेदार बात यह है कि महिला को खुद समझ नहीं आता कि उसके साथ आखिर हो क्या रहा है। ऐसे में प्रेग्नेंसी इमोशंस से निपटने और इन्हें नियंत्रित रखने में ये टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं।
प्रेग्नेंसी इमोशंस को संभालने के तरीके
- सुबह-शाम टहलें – इस समय सैर करने से भी भावनाओं को संभालने में मदद मिल सकती है। ताजी हवा में निकलने से दिमाग और दिल दोनों को अच्छा महसूस होगा। इससे एनर्जी लेवल भी थोड़ा बढ़ेगा और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा होगा। डॉक्टर से पूछकर हल्की एक्सरसाइज भी कर सकती हैं।
- गर्भवती महिलाओं से बात करें – अधिकतर महिलाओं को लगता है कि वो प्रेग्नेंसी के समय अजीब-सा महसूस कर रही हैं, तो शायद उनकी प्रेग्नेंसी में दिक्कत है। इस भ्रम को दूर करने और दूसरी महिलाओं के प्रेग्नेंसी संबंधी एक्सपीरियंस समझने के लिए कुछ माँ और गर्भवती महिलाओं से बात करें।
ऐसा करने से इमोशनल सपोर्ट मिलता है। इस दौरान उनसे आप कुछ प्रेग्नेंसी के रियल टिप्स भी ले सकती हैं। आप खुद अपनी कुछ स्टोरी सुनाएं और उनकी कुछ स्टोरी सुनें। इससे इन भावनाओं को समझने में भी मदद मिलेगी।
- भरपूर नींद लें – प्रेग्नेंसी में नींद पूरी लेने से भी इमोशंस को संभालने में मदद मिलती है। दरअसल, नींद कम लेने से स्ट्रेस लेवल बढ़ता है। स्ट्रेस इंसान को और चिढ़चिढ़ा बनाता है। ऐसे में रोज 8 से 9 घंटे की नींद लेकर चिढ़चिढ़ापन और गुस्से के इमोशन को थोड़ा संभालने में मदद मिलेगी।
- कुकिंग करें – भावनाओं के समंदर में जब मन डूब रहा हो, तो मन को दूसरे कामों पर लगा लेना चाहिए। इसके लिए खाना बनाना बेस्ट ऑप्शन है। खाना बनाते समय अन्य बातों से ध्यान हटेगा और दिमाग पूरी तरह से खाने पर रहेगा। इस तरह किसी बात को लेकर जरूर से ज्यादा सोचने के कारण होने वाले दुख और स्ट्रेस दोनों से बचा जा सकता है।
पार्क में अकेली बैठी गर्भवती महिला – पिक्साबे
- वर्तमान में जिएं – प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की भावनाएं अनियंत्रित इसलिए भी हो जाती हैं, क्योंकि वो हर समय होने वाले बच्चे, अपने शरीर और अन्य चीजों के बारे में सोचती रहती हैं। गर्भवती महिला को भविष्य के बारे में सोचने की जगह वर्तमान में जिएं और वर्तमान की खुशियों को महसूस करें। इससे प्रेग्नेंसी मूड स्विंग्स (mood swings in pregnancy) से बचने में भी मदद मिलेगी।
- पार्टनर से बात करें – प्रेग्नेंसी इमोशन्स को संभालने का सबसे बेहतर तरीका उसके बारे में बात करना है। गर्भवती महिलाओं के अलावा अपने पार्टनर से भी इस बारे में खुलकर बात करें। बताएं कि आपको कैसा अनुभव हो रहा है। क्या-क्या बदलाव महसूस हो रहे हैं। इसके बारे में बात करने से मन हल्का लगेगा।
अगर रोना का मन हो, तो जी भरकर रो लें। बस ध्यान दें कि बार-बार प्रेग्नेंसी में रोने के नुकसान हो सकते हैं। इससे डिप्रेशन में जाने का खतरा भी रहता है। इसलिए खुलकर बात करने से काफी मदद मिलती है।
- गार्डनिंग – फूल-पौधे, पेड़-पक्षी, इन सबके पास रहकर भी प्रेग्नेंसी की भावनाओं को संभाला जा सकता है। प्रकृति के पास हर चीज का उपाय है। चिड़ियों की चहचहाहट हरे-भरे पेड़-पौधे, मिट्टी की सुगंध, ये प्रेग्नेंसी में सब मूड को अच्छा बनाने (Dealing with Emotions during Pregnancy in Hindi) में मदद करेंगी।
- गाने सुनना और गाना – म्यूजिक इमोशन को बेहतर तरीके से संभाल सकता है। आप अपने पसंद के गाने सुनें और साथ में उन्हें गुनगुनाएं। बस उदासी भरे गीत सुनने से बचें।
- डाइट – भरपूर नींद की तरह ही मूड और इमोशन को संभालने का प्रकृतिक तरीका (Dealing with Emotions during Pregnancy in Hindi) डाइट भी है। अच्छी डाइट लेने से भावनात्मक स्थिरता आती है।
हर महिला को अपनी गर्भावस्था में भावनाओं के रोलर कोस्टर से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान रोना, हंसना, गुस्सा आना, सब कुछ एकदम सामान्य है। इसको लेकर फिक्रमंद होने की जरूरत नहीं। ये सब प्रेग्नेंसी हार्मोन्स की देन हैं। आप सिर्फ अपने इस पल को जिएं और भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए लेख में बताए गए आसान उपायों को अपनाएं।