9 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
प्रेग्नेंसी में पानी की थैली फटना क्या है, यह हर गर्भवती और कंसीव करने की कोशिश कर रही महिला को पता होना चाहिए। इससे वक्त रहते डॉक्टर के पास जाने और सही कदम उठाने में मदद मिलती है। कई बार पानी की थैली फटने की दिक्कत को महिला सामान्य डिसचार्ज समझ लेती हैं। इसके चलते उनकी और होने वाले शिशु की जान जोखिम में पड़ सकती है।
तो चलिए जानते हैं पानी की थैली फटने से जुड़ी सभी जरूरी बातें।
इसे पानी की थैली टूटना, पानी टूटना, पानी छूटना, पानी गिरना जैसे कई नामों से जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे ही वाटर ब्रेकिंग भी कहा जाता है। मेडिकल भाषा में यह मेम्ब्रेन का फटना (ruptured membranes) कहलाता है।
इसका मतलब है कि आपके बच्चे के चारों ओर मौजूद एमनियोटिक थैली का कोई हिस्सा फट गया है। इसके चलते एमनियोटिक द्रव पेशाब मार्ग से निकलने लगता है।
गर्भावस्था में पेशाब का रिसाव होना सामान्य है। इसलिए, महिलाएं कई बार यह नहीं समझ पाती हैं कि उनके पानी की थैली टूटने से रिसाव हो रहा है या यह पेशाब का रिसाव है। अगर रिसाव से अमोनिया यानी सामान्य पेशाब या पसीने जैसी गंध आ रही है, तो यह पेशाब हो सकता है। अगर रिसाव से किसी तरह की गंध न आए या हल्की मीठी महक आने पर समझ जाए कि यह एम्नियोटिक द्रव हो सकता है।
एमनियोटिक द्रव पीले रंग का तरल होता है। इसके रंग से भूसे का रंग काफी मिलता है। अगर हम बात करें प्रेग्नेंसी में होने वाले व्हाइट डिस्चार्ज की तो ये दिखने में बलगम जैसा होता है।
व्हाइट डिस्चार्ज दूधिया सफेद रंग का चिपचिपा व क्रीमी पदार्थ जैसा लगेगा। लेकिन, एमनियोटिक द्रव पूरी तरह से पानी जैसा होता है। इसकी गंध भी थोड़ी मीठी सी लगती है।
प्रेग्नेंसी की अवधि पूर्ण होने के बाद जब आप प्रसव पीड़ा में हो, तो ही पानी की थैली टूटती है। कई बार लेबर से 24 घंटे पहले यह टूटती है। बताया जाता है कम-से-कम 39वें सप्ताह के बाद पानी की थैली टूटना सामान्य है। इसके बाद डिलीवरी होती है और आपका बच्चा आपकी बाहों में।
आपका पानी यदि गर्भावस्था के 37वें सप्ताह के बाद, लेकिन प्रसव पीड़ा से पहले टूटता है, तो ज्यादा घबराने न घबराएं। प्रसव से पहले पानी टूटने को प्रीलेबर रप्चर कहा जाता है। इस स्थिति के 12 घंटे के अंदर लेबर शुरू हो सकता है। ऐसा न होने पर डॉक्टर संक्रमण से गर्भस्थ शिशु को बचाने के लिए दवाइयों से प्रसव पीड़ा शुरू करते हैं।
यदि गर्भावस्था के 37वें सप्ताह से पहले पानी फट जाता है, तो इसे समय से पहले झिल्ली का फटना (PPROM) कहा जाता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आपको अस्पताल में भर्ती होने या प्रसव की आवश्यकता हो सकती है।
इसके कारण समय से पहले प्रसव, एमनियोटिक द्रव में संक्रमण, समय से पहले प्लेसेंटा का यूट्रस से अलग होना, गर्भनाल की पोजीशन बिगड़ सकती है। इनके चलते सही से विकसित न हुए शिशु का जन्म, गर्भस्थ शिशु को इंफेक्शन, गर्भ में शिशु को सांस लेने में दिक्कत, गर्भ में ही शिशु की मौत और प्रसव के बाद मौत का खतरा रहता है।
इन सबके बाद भी समझ नहीं आ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। वो डिस्चार्ज टेस्ट करके पता लगा सकते हैं कि यह एमनियोटिक द्रव है या नहीं।
पानी की थैली टूटने के बाद बच्चा कितने समय तक जीवित रहेगा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है। इसलिए इस बात का कोई सीधा जवाब नहीं है।
अगर बच्चा प्रीमैच्योर है, तो डॉक्टर की उचित रेखदेख और उपचार के साथ कुछ हफ्तों तक गर्भ में जीवित रह सकता है। इससे उसे विकसित होने के लिए समय मिलेगा।
अगर बच्चा 37 हफ्ते का है, तो पानी की थैली टूटने के 24 से 48 घंटे तक इंतजार कर सकते हैं। लेकिन डॉक्टर से बात जरूर करें।
वाटर ब्रेक होने के बाद बच्चे को सुरक्षित रखने की कुंजी उचित देखरेख और निगरानी है। अगर समय पर चिकित्सकीय सहायता नहीं ली जाती, तो गंभीर जोखिम हो सकते हैं। इसमें गर्भ में ही शिशु की मृत्यु और गंभीर इंफेक्शन शामिल है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि पानी की थैली को टूटने से बचाने के तरीके नहीं हैं। यह गर्भवती की शारीरिक स्थिति के हिसाब से कभी भी टूट सकती है। इसलिए सतर्कता ही सुरक्षा है।
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