23 May 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
प्रेगनेंसी में महिलाओं को काफी तरह की दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। इस दौरान नजर आ रहे कुछ लक्षण का कारण सिर्फ प्रेग्नेंसी होती है। फिर गर्भावस्था के बाद सबकुछ सामान्य हो जाता है। लेकिन इस दौरान नजर आने वाले कुछ बदलाव का कारण थायराइड भी हो सकता है। क्या है थायराइड और प्रेग्नेंसी में थायराइड होने से गर्भावस्था कैसे प्रभावित होती है, यह हम इस लेख में बताएंगे।
गले के आगे एक तितली के आकार की ग्रंथि होती है। यह ग्रंथि थायराइड कहती है। थायराइड ग्रंथि हमारे द्वारा खाए जाने वाले फूड्स को एनर्जी में बदलकर टी3 और टी4 हार्मोन बनाती है।
इन हार्मोंस की मदद से हार्ट रेट, शरीर के तापमान, सांस, पाचन तंत्र, कोलेस्ट्रॉल आदि को नियंत्रित होते हैं। अगर ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते है, तो उसे थायराइड होना कहा जाता है।
इन दोनों हार्मोन्स को नियंत्रित थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH) करता है। इस टीएसएच को मस्तिष्क में मौजूद पिट्यूरी ग्लैंड से बनता है।
थायराइड बीमारी तब बनती है, जब थायराइड ग्रंथि टी3 और टी4 हार्मोन जरूरत से ज्यादा या जरूरत से कम बनाते हैं। ज्यादा थायराइड बनाने वाली स्थिति को हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है और कम थायराइड बनने को हाइपोथायरायडिज्म।
कम्यूनिटी एक्सपर्ट, लैक्टेशन एंड न्यूट्रिशन, पूजा मराठे बताती हैं कि गर्भस्थ शिशु का विकास सुनिश्चित करने के लिए थायराइड का स्तर सही होना जरूरी है। यह मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र विकास के लिए भी अहम है।
गर्भावस्था के पहले 3 महीने तक गर्भस्थ शिशु अपनी माँ के थायराइड हार्मोन पर निर्भर करता है। यह प्लेसेंटा के माध्यम से उस तक पहुंचता है।
लगभग 12वों हफ्ते में बच्चे की थायराइड ग्रंथि अपना काम करना शुरू कर देती है। लेकिन यह ग्रंथि गर्भावस्था के 18 से 20वें सप्ताह तक पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बना पाती। यही वजह है कि बच्चा माँ के थायराइड पर निर्भर रहता है।
हम दोनों तरह के थायराइड के कारण गर्भवास्था पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में आगे बिंदुवार बता रहे हैं।
हाइपोथायरायडिज्म होने पर अगर सही तरह से इसका इलाज नहीं करवाया जाए, तो यह गंभीर हो सकता है। इसके चलते इस तरह के प्रभाव दिख सकते हैं।
हाइपरथायरायडिज्म का इलाज नहीं हो, तो इस तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसा अधिकतर गंभीर मामलों में होता है।
सामान्य समय हो या प्रेगनेंसी थायराइड होने के कारण अधिकतर एक समान ही होते हैं। हम यह हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म दोनों के कारण बताएंगे। साथ ही कुछ आम कारण भी बताएंगे, जिससे थायराइड को समझने में मदद मिलेगी।
गर्भावस्था में थायराइड के लक्षण सही से समझाने के लिए हमने नीचे हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म दोनों के लक्षण अलग-अलग बताए हैं।
प्रेगनेंसी में थायराइड का पता लगाने के लिए टीएसएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) के स्तर की जांच की जाती है। इसलिए गर्भावस्था में टीएसएच के सामान्य से ही थायराइड का पता लगाया जा सकता है। आगे हम थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (TSH) का सामान्य स्तर बता रहे हैं।
टीएसएच (MIU/L) | कम | अधिक |
पहली तिमाही | 0.1 | 2.5 |
दूसरी तिमाही | 0.2 | 3.0 |
तीसरी तिमाही | 0.3 | 3.0 |
आप समझ ही गए होंगे कि थायराइड क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है। थायराइड का पता लगते ही सही तरीके से इसका इलाज करवाना चाहिए। डॉक्टर कुछ दवाएं लेने का सुझाव देते हैं, जिनकी मदद से हार्मोन्स को बैलेंस करने में मदद मिलती है।
गर्भावस्था में थायराइड का नियंत्रित न रहना गर्भस्थ शिशु और माँ दोनों के लिए खतरनाक है, इसलिए समय-समय चेकअप करवाते रहें और खुद को व अपने शिशु को सुरक्षित रहें।
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