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कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन

2 Aug 2022 | 1 min Read

Vinita Pangeni

Author | 549 Articles

गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में आते-आते घर के लोगों के मन में सवाल आता है कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन। इस सवाल का जवाब हम इस लेख में लेकर आए हैं। हम यहां नॉर्मल डिलीवरी के संकेत बताएंगे और इन दोनों डिलीवरी के बीच का अंतर भी। चलिए तो शुरू करते है लेख को और जानते हैं नार्मल डिलीवरी के लक्षण और सिजेरियन डिलीवरी के लक्षण।

क्या होती है नार्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी – Normal and C- Section Delivery in Hindi

नार्मल डिलीवरी को वजाइनल डिलीवरी भी कहा जाता है। नार्मल डिलीवरी में बच्चे का जन्म वजाइना / योनि से होता है। नार्मल डिलीवरी में किसी तरह की सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती है।  योनि मार्ग से बच्चे का जन्म होने के चलते महिला जल्दी प्रसव से रिकवर हो जाती है। 

सिजेरियन डिलीवरी एक बड़ी सर्जरी है। इसमें पेट पर चीरा लगाकर बच्चे को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है। कुछ जटिल मामलों में ही सी-सेक्शन करने की सलाह डॉक्टर देते हैं।

लेख को आगे पढ़ते हुए जानें कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन। 

नॉर्मल डिलीवरी के संकेत – Symptoms Of Normal Delivery in Hindi

वैसे तो नॉर्मल डिलीवरी पूरी तरह महिला के स्वास्थ्य, आखिरी समय में बच्चे का नीचे आना और प्रेगनेंसी के महीनों पर निर्भर करता है। फिर भी आप नार्मल डिलीवरी के लक्षण से समझ सकते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी होगी या नहीं। नॉर्मल तरीके से 9 महीने में डिलीवरी होने के लक्षण कुछ इस प्रकार हैं –

  • निचली पीठ में खिंचाव, ऐंठन, दर्द, आदि होना
  • पेल्विक एरिया के जोड़ों का ढीला और रिलैक्स महसूस होना
  • गर्भाशय ग्रीवा की चौड़ाई का बढ़ना, इसके बारे में डॉक्टर बताते हैं
  • शिशु का पेल्विक हिस्‍से की ओर आने से उसकी हलचल का कम होना
  • पतला मल आना, क्योंकि गुदा क्षेत्र की मांसपेशियां भी रिलैक्स होने लगती हैं
  • बच्चे का सिर नीचे आने से पड़ने वाले दबाव के चलते बार-बार पेशाब आना 
  • ब्रैक्‍सटन हिक्‍स कॉन्‍ट्रैक्‍शन मतलब डिलीवरी से पहले प्रसव जैसा तेज दर्द व संकुचन होना

आगे बढ़ते हुए समझें कि प्रेगनेंसी के लक्षणों से कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन।

प्रेगनेंसी के आखिरी महीने में दिखते हैं ये 6 संकेत तो हो सकती है नॉर्मल डिलीवरी – 6 Symptoms on Normal Delivery in Hindi

प्रेगनेंसी के आखिरी महीने, हफ्ते व दिनों में नार्मल डिलीवरी के लक्षण (9 महीने में डिलीवरी होने के लक्षण) कुछ इस तरह के दिख सकते हैं। 

  1. पानी की थैली टूटना या फटना
  2. संकुचन का बार-बार तेज होना 
  3. संकुचन की समयावधि में बढ़ोत्तरी होना
  4. योनि से खून बहने लगना और पेट में गर्म एहसास होना
  5. योनि से निकलने वाला डिस्चार्ज का गाढ़ा होना और मात्रा में भी वृद्धि होना
  6. गुलाबी रंग का म्यूकस प्लग का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा पेशाब करते वक्त हर समय निकलना 

डॉक्टर कैसे निर्धरित करेंगे कि सिजेरियन डिलीवरी होगी – How Doctor Decides about Delivery Type in Hindi

डॉक्टर गर्भवती महिला की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर सिजेरियन डिलीवरी करने का फैसला लेते हैं। महिला के स्वास्थ्य के साथ ही गर्भस्थ शिशु की पोजीशन भी बहुत मायने रखती है। बच्चे की पोजीशन का डिलीवरी का तरीका प्लान करने में बहुत बड़ा योगदान है। अगर बच्चे की पोजीशन सामान्य नहीं है, तो सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह दी जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा को बचाया जा सके।

‘कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन,’ इस विषय पर और चर्चा करते हैं।

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन
कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन, इस सवाल का जवाब बच्चे की पोजीशनन में भी छुपा है।

बच्चे की पोजीशन से पता करें डिलीवरी नॉर्मल होगी कि सिजेरियन – Role of Baby’s Position in Deciding about Delivery Type in Hindi

सामान्य स्थिति – Normal Position in Hindi

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन सोच रहे हैं, तो इसका एक जवाब बच्चे की पोजीशन है। अगर बच्चा सामान्य पोजीशन में गर्भाशय में है, तो डिलीवरी नॉर्मल ही होगी। इस पोजीशन में शिशु का सिर यूट्रस की ओर होता है। बस इसके लिए ऑस का खुलना (गर्भाशय का मुँह खुलना) आवश्यक है, तभी नॉर्मल डिलीवरी संभव हो पाएगी।

ट्रांसवर्स पोजीशन – Transverse Position in Hindi

ट्रांसवर्स पोजीशन का मतलब होता है कि बच्चा गर्भ में आड़ा है। इस स्थिति में नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो पाती, इसलिए डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी करवाने की सलाह देते हैं। इसलिए मन में सवाल हो कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन, तो आप इस पोजीशन से पता लगा सकते हैं कि डिलीवरी सर्जरी से ही होगी।

ब्रीच पोजीशन – Breech Position in Hindi

गर्भाशय में शिशु की मूवमेंट के चलते कई बार उसका सिर ऊपर की ओर और पैर नीचे की ओर आ जाता है। यह सामान्य स्थिति के एकदम विपरित पोजीशन है, इसलिए इस ब्रीच पोजीशन में नॉर्मल डिलीवरी नहीं की जाती है।

यह टिप्स आपकी डिलीवरी के समय काम आएंगे – Tips for Delivery In Hindi

  • खुद को जितना हो सके उतना हाइड्रेट रखें
  • लेबर पेन शुरू होने पर हल्की एक्सरसाइज जैसे कि स्ट्रेचिंग करें
  • कपालभाति प्राणायाम भी अच्छा है, इसलिए लेबर के नजदीक आते ही यह करें
  • अपना हॉस्पिटल बैग तैयार रखें और उसमें जरूरी कागजात डाल दें
  • हॉस्पिटल के लिए दोस्त, साथी, घर-परिवार के व्यक्ति को तैयार रखें 
  • कौन-सी गाड़ी में जाना है यह सुनिश्चत कर लें

कौन-सी डिलीवरी करना सुरक्षित होता है नॉर्मल या सिजेरियन – Which Delivery Type is Better in Hindi

स्वस्थ गर्भावस्था के लिए नॉर्मल डिलीवरी को ही सबसे सुरक्षित तरीका माना जाता है। रिसर्च भी बताते हैं कि सी-सेक्शन से तत्काल और दीर्घकालिक दोनों ही तरह की जटिलताओं का जोखिम बना रहता है। हां, कुछ जटिल मामलों में सी-सेक्शन ही एकमात्र प्रसव का तरीका होता है।

रिसर्च के अनुसार, साल दर साल सी-सेक्शन का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है, वो भी बिना किसी स्पष्ट प्रमाण के। जैसे कि महिला का किस रोग या शिशु संबंधी जटिलता के कारण सी-सेक्शन किया गया है। ये सब स्पष्ट नहीं होता।

डिलीवरी के बाद आपकी सेक्स लाइफ पर क्या असर आएगा ?

डिलीवरी के बाद कुछ हफ्तों तक सेक्स के बारे में नहीं सोचना चाहिए। आगे समझिए डिलीवरी के बाद सेक्स लाइफ में क्या बदलाव आ सकता है व असर पड़ता है।

  • महिला की सेक्स ड्राइव कम हो सकती है, इसलिए हो सकता है कि वह सहवास से बचने की कोशिश करे
  • योनि का नैचुरल लुब्रिकेंट कम हो जाता है, जिससे वजाइना ड्राई हो जाती है।
  • नॉर्मल डिलीवरी के कुछ हफ्तों बाद पार्टनर सभी सेक्स पोजीशन को ट्राई कर सकते हैं।
  • सिजेरियन डिलीवरी के बाद सहवास के लिए ज्यादा समय तक रुकना पड़ सकता है।
  • सिजेरियन डिलीवरी करने के बाद पेट के टांकों पर असर न पड़े ऐसी सेक्स पोजीशन का चुनाव किया जाना चाहिए। 

सारांश – Conclusion

लेख को यहां तक पढ़ने के बाद आप समझ ही गए होंगे कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगी कि सिजेरियन। सबसे जरूरी है महिला का गर्भावस्था के समय सुरक्षित रहना, जिससे नॉर्मल डिलीवरी की संभावना काफी हद तक बढ़ाई जा सकती है। साथ ही डॉक्टर से समय-समय पर चेकअप करवाते रहें, ताकि पता चल सके कि प्रसव नॉर्मल होगा या सिजेरियन तरीके से।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – FAQs

प्रेगनेंसी के लास्ट वीक में क्या होता है?

गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में महिला के पेट में ऐंठन तेज होने लगती है, निचले कमर में दर्द होता है, शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स होने लगती हैं और वाटर ब्रेक हो सकता है।

प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में डिलीवरी कब हो सकती है?

प्रेगनेंसी के नौवें महीने में डिलीवरी डॉक्टर द्वारा दी गई ड्यू डेट के आसपास होती है। अंदाजन कहें, तो प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में डिलीवरी उस महीने के आखिरी सप्ताह में हो सकती है।

डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करें?

डिलीवरी डेट निकल जाए, तो आप अपने डॉक्टर से बात करें। वो आपको प्रसव पीड़ा शुरू करने वाली दवाई लेने की सलाह दे सकते हैं।

नार्मल डिलीवरी टिप्स हिंदी में बताएं 

नार्मल डिलीवरी टिप्स में पर्याप्त पानी पीना, शारीरिक गतिविधियां करते रहना, चेकअप करवाना, डॉक्टर से खुलकर बात करना, आदि शामिल है। बस अब सवाल आए कि नॉर्मल डिलीवरी में क्या करें (normal delivery ke liye kya kare) तो इन बातों को याद रखें।

चित्र स्रोत – Pexels

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