2 Nov 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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लिप लिकर डर्मेटाइटिस नाम से ही आप समझ ही गए होंगे कि यह होंठो के आस-पास की त्वचा में होता है। वैसे तो यह सर्दी के मौसम में बहुत ज्यादा ठंड पड़ने पर या होंठो पर ऐसे किसी चीज का इस्तेमाल करने पर जिसके कारण होंठ की त्वचा में एलर्जी हो जाता है, यह बीमारी होती है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जिन बच्चों को होंठ चाटने की आदत ज्यादा होती है उनको भी लिप लिकर डर्मेटाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है।
वैसे तो आप जानते ही हैं कि बच्चों की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है। ऊपर से होंठ की त्वचा तो और भी संवेदनशील होती है। इसलिए होंठ की त्वचा बाहरी फैक्टर्स, जैसे कि बहुत ज्यादा ठंड का मौसम और शुष्क मौसम या त्वचा के साथ प्रतिक्रिया करने वाले केमिकल्स आदि के प्रति बहुत ज्यादा सेंसिटिव होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खुद की लार यानि कि सैलाइवा त्वचा में जलन पैदा कर सकती है।
लिप लिकर डर्मेटाइटिस, जो लिप लिक चीलाइटिस (Lip Lick Cheilitis) और लिप लिकिंग एक्जिमा (Lip Licking Eczema) के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा कंडिशन है, जहां मुँह के आस-पास की त्वचा सूखी और लाल हो जाती है। उसके बाद के लक्षणों में होंठ की त्वचा फटकर सूज जाती है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द और खुजली भी होती है।
कुछ अन्य कंडिशन्स भी हैं जो लिप लिकर डर्मेटाइटिस के लक्षणों से मिलता-जुलता है, जैसे- एलर्जिक कॉन्टैक्ट चिलाइटिस और पेरिओरल डर्मेटाइटिस।
एलर्जिक कॉन्टैक्ट चिलाइटिस– एलर्जिक कॉन्टैक्ट चिलाइटिस होठों का एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस होता है। एलर्जी के संपर्क में आने के बाद होठों पर एक्जिमा जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। यह आम तौर पर होंठो के कॉज्मेटिक्स, टूथपेस्ट, दवाईयों, किसी विशेष प्रकार के खाना आदि के कारण होता है। इसको पैच टेस्ट करके डायग्नोसिस किया जाता है।
पेरिओरल डर्मेटाइटिस– लिप लिकर डर्मेटाइटिस और एलर्जिक कॉन्टैक्ट चिलाइटिस के विपरीत, पेरिओरल डर्मेटाइटिस जरूरी नहीं कि होंठो के आस-पास की त्वचा में ही दिखाई दे बल्कि ये चेहरे के निचले आधे हिस्से के आसपास लाल-लाल गुच्छों के रूप में दिखाई देने लगते हैं। यह सनस्क्रीन, बैक्टीरियल इंफेक्शन, त्वचा पर स्टेरॉयड का इस्तेमाल आदि कारणों से होता है।
लिप लिकर डर्मेटाइटिस मुंह के आसपास के क्षेत्र को अत्यधिक चाटने और गीला करने के कारण होता है। यह अक्सर ड्राई लिप्स के लक्षण होते हैं। निम्नलिखित कारणों से यह बीमारी ट्रिगर होता है-
रूखे-सूखे होंठ- अक्सर जिन बच्चों के होंठ रूखे होते हैं, वो अनजाने में ही जीभ से उसको गीला करते रहते हैं। ड्राई लिप्स, त्वचा के ड्राई होने का संकेत होता है।
ठंडा, शुष्क मौसम– यह तो आप जानते ही हैं कि मौसम का सीधा असर त्वचा की नमी के स्तर पर पड़ता है। ठंडा, शुष्क मौसम होंठों के फटने की उपयुक्त स्थितियाँ पैदा करता है। इस वजह से सर्दियों के महीनों में लिप लिकर डर्मेटाइटिस होना आम बात होता है।
दवाईयां– कुछ दवाईंयां होंठों की नमी के स्तर को प्रभावित कर उसको ड्राई बना देती है, जिसके कारण इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।
बुरी आदतें– कभी-कभी बच्चे पढ़ाई के चिंता के कारण, घबराहट की वजह से अपने होंठो को चाटते रहते हैं, फलस्वरूप होंठ रूखे होकर इस बीमारी को न्यौता दे बैठते हैं।
लिप लिकर डर्मेटाइटिस को रोकने का एकमात्र रास्ता है, जितना संभव हो सके होंठ चाटने की आदत को कंट्रोल करवाएं। होठों के आसपास की फटी हुई त्वचा को ठीक करने के लिए, सूजन को कम करने के लिए आप पेट्रोलियम जेली भी लगा सकती हैं।
होठों को हाइड्रेट रखने से इस बीमारी को कुछ हद तक रोका जा सकता है। होठों को नमीयुक्त रखने के लिए यहां कुछ ईजी टिप्स दिए गए हैं:
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों के लिए कोई भी प्रोडक्ट्स खरीदने से पहले #LablePadhoMom। इससे आप होंठो की नमी को बरकरार रखने के साथ लिप लिकर डर्मेटाइटिस से भी बच्चों की कुछ हद तक सुरक्षा कर सकते हैं।
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