4 Apr 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
नए पेरेंट्स की सबसे बड़ी मुश्किल होती है नवजात शिशु को सुलाना। अक्सर नवजात शिशु दिन में अधिक सोते हैं और रात के समय जागते और रोते हैं। ऐसे में न्यू पेरेंट्स के रातों की नींद न उड़े, इसके लिए उन्हें शिशु को सुरक्षित तरीके से सुलाने के टिप्स पता होने चाहिए। इस लेख में आप शिशु को सुलाने का सही तरीका पढ़ सकते हैं। इन तरीकों को जानने के बाद आप अपने नवजात शिशु को अच्छी नींद देने में कामयाब भी हो सकते हैं। तो चलिए शुरू करें पढ़ना और सीखें छोटे बच्चों को सुलाने का आसान तरीका।
छोटे बच्चों को सुलाने का आसान तरीका कई सावधानियों व बातों पर निर्भर करता है, इसलिए जब भी शिशु को सुरक्षित तरीके से सुलाने के टिप्स आजमाएं, तो इन बातों का ध्यान रखें।
सबसे पहले अपने बच्चे के सोने का समय तय करें। शुरू-शुरू में अपने बच्चे के सोने व जागने के समय को एक डायरी में नोट करें। फिर उसी समय के अनुसार, बच्चे के खेलने, दूध पीने, मालिश करने व अन्य गतिविधियों का समय भी तय करें। ऐसा करने से पेरेंट्स आसनी से बच्चे को नियमित रूप से सुला सकते हैं। कुछ दिनों में बच्चे को उसी समय पर सोने व जागने की आदत भी लग सकती है। इससे पेरेंट्स की चिंता भी कुछ हद तक अपने आप दूर हो सकती है।
यह सुनिश्चित करें कि बच्चा रात में सोते समय भूख की वजह से न जागे। इसके लिए सुलाने से पहले बच्चे को स्तनपान कराएं। अगर बच्चे का पेट भरा रहेगा, तो इसकी संभावना कम होगी कि बच्चा रात में नींद से उठकर रोए।
शिशु को सुरक्षित तरीके से सुलाने के टिप्स में अगली जानकारी बच्चे के सोने के कमरे से जुड़ी है। बिना किसी शोर-शराबे वाले शांत कमरे में नींद जल्दी आ सकती है और उसके टूटने की संभावनाएं भी कम हो सकती है। इसलिए, छोटे बच्चों को सुलाने का आसान तरीका है कि उन्हें ऐसे कमरे में सुलाएं जहां पर कोई अन्य व्यक्ति न हो और न ही वहां पर किसी टीवी, रेडियो व मोबाइल फोन का शोर हो।
नवजात शिशु को सुलाने के तरीके में नरम और मुलायम बिस्तर को भी शामिल किया जा सकता है। मुलायम बिस्तर होने से बच्चे को सोने में सुविधा हो सकती है। बस इस दौरान ध्यान रखें कि बच्चे के मुंह पर कोई मोटा, भारी या खुरदरा कपड़ा या चादर न रखें। इससे बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
कुछ पेरेंट्स शिशुओं को सुलाते समय दो-तीन कपड़े व मोजे-जूते भी पहना देते हैं। जो कि नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधिक कपड़े से बच्चे को गर्मी महसूस हो सकती है, जिस वजह से उसे सोने में भी परेशानी हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि शिशु को सुलाने का सही तरीका है कि उसे सुलाने समय कम से कम व हल्के कपड़े ही पहनाएं।
पेरेंट्स इस बात से वाकिफ रहते हैं कि अक्सर आधी रात में उनका बच्चा नींद से सिर्फ भूख की वजह से ही जाग सकता है। ऐसे में वो बच्चे के जागते ही उसे पेसिफायर या दूध की बोतल से दूध पिलाने का प्रयास करने लगते हैं, ताकि बच्चा बिना जागे ही अपना पेट भर ले और सो जाए। पर ऐसा करने से सावधान रहे। कभी भी बच्चे को आधी नींद में पेसिफायर न दें। अगर रात में बच्चा भूख की वजह से जागता है, तो उसके उठने के बाद ही उसे स्तनपान कराएं या दूध पिलाएं।
शिशु को सुलाने का सही तरीका अपना रहे हैं, तो उसे पालने में सुलाना शुरू कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, शिशुओं को वयस्कों के बिस्तर पर उनके साथ नहीं सुलाना चाहिए। खासतौर पर तब अगर वयस्क को धुम्रपान व एल्कोहल की आदत हो। इससे बच्चे में अचानक मृत्यु का जोखिम बढ़ सकता है। वहीं, वयस्क के किसी तरह की गतिविधि करने से बच्चे की नींद भी खुल सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि शिशु को अकेले ही पालने में सुलाया जाए।
बच्चे के सोने का बेड या उसका पालना माँ के बेड के पास ही रखें। ताकि, बच्चा जब भी नींद से जागे, तो वह अपनी माँ को देख सके और खुद को सुरक्षित महसूस कर सके। साथ ही, यह आदत बच्चे के आधी रात में उठकर स्तनपान कराना भी अधिक सुविधाजनक बना सकता है।
नवजात शिशु को सुलाने के तरीके में अगली जानकारी है बच्चे को कपड़े में लपेटना। दरअसल, सोते समय नींद में बच्चे करवट ले सकते हैं या पेट के बल सो सकते हैं, जो उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है। वहीं, अगर बच्चे को सुलाने से पहले किसी सूती के कपड़े में लपेटा जाए, तो उसके करवट लेने या रोल होने की संभावना काफी हद तक कम हो सकती है। साथ ही, पेरेंट्स को बच्चे को पेट के बल सोने के फायदे और नुकसान भी पता होने चाहिए।
जब भी शिशु को सुलाएं, तो साफ सूती के कपड़े से उसका मुंह ढंक दें। ऐसा करने से शिशु को मच्छर या मक्खी के काटने का जोखिम कम हो सकता है और उसकी नींद भी टूटने से बची रह सकती है।
बच्चे को सुरक्षित रखने और उसकी अच्छी नींद के लिए यह सलाह दी जाती है कि कमरे का तापमान कम ही रखें। कमरा न ही ज्यादा ठंडा होना चाहिए और न ही ज्यादा गर्म।
बच्चों को सुलाने के लिए लोरी भी सुना सकते हैं। अगर पेरेंट्स को लोरी नहीं आती है, तो वे बच्चे को कोई कविता, कहानी या सॉफ्ट म्युजिक का गाना भी सुना सकते हैं। अध्ययन भी यह बताते हैं कि शास्त्रीय संगीत भी बच्चों को जल्दी सुलाने का तरीका बन सकता है। दरअसल, इस तरह का संगीत ब्रेन मसल्स को रिलेक्स करने में मदद कर सकता है और इससे जल्द ही अच्छी व गहरी नींद भी आ सकती है।
बच्चों को जल्दी सुलाने का तरीका यह भी कहता है कि बच्चे के कमरे में किसी भी तेज सुगंधित उत्पाद का इस्तेमाल न करें। उदाहरण के लिए, बच्चे के सोने के कमरे में रूम फ्रेशनर या मच्छर मारने वाली दवा का इस्तेमाल न करें। अगर बच्चे के कमरे में मच्छर हैं, तो इसके लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना सबसे सुरक्षित हो सकता है।
अगर चाहते हैं कि बच्चा पूरी नींद सोए, तो पेरेंट्स को बच्चों को नींद से जगाने का तरीका भी सीखना चाहिए। दरअसल, आधी-अधूरी नींद होने की वजह से बच्चा जागने के बाद अधिक चिड़चिड़ा हो सकता है। इसलिए, अगर बच्चे को नींद से जगा कर दूध पिलाना है या उसका डायपर बदलना है, तो ऐसा करते समय बच्चों को नींद से जगाने का सही तरीका ध्यान में जरूर रखें।
उम्मीद है कि इस लेख में बताए गए शिशु को सुरक्षित तरीके से सुलाने के टिप्स पेरेंट्स के लिए लिए कारगर साबित होगें। नवजात शिशु को सुलाने के तरीके के साथ ही, यह भी ध्यान में रखें कि वयस्क लोगों के मुकाबले बच्चों की नींद कम गहरी हो सकती है। इसलिए जब बच्चा सो जाए, तो उसके आस-पास किसी भी तरह की गतिविधि या बातचीत करने से बचें। बच्चे को सोने के लिए शांत, हवादार व कम रोशनी वाली जगह का चुनाव करें।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.