20 Jun 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज होना सामान्य माना जा सकता है। खासकर अगर गर्भवती महिला ओवरवेट हैं, तो उन्हें गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज यानी मधुमेह होने का जोखिम अधिक हो सकता है। ऐसी स्थिति में क्या जेस्टेशनल डायबिटीज से परेशान गर्भवती महिलाओं को उपवास रखना चाहिए या नहीं, यह एक बड़ी चिंता हो सकती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना कितना सुरक्षित है या जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना है, तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसी विषय की जानकारी इस लेख में दी गई है। स्क्रॉल करें और पढ़ें गर्भावस्था में मधुमेह में उपवास रखते समय ध्यान रखने योग्य बातें।
प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज को गर्भकालीन मधुमेह कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है, जब गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाए। इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज या गर्भावधि मधुमेह होने का जोखिम भी अधिक देखा जा सकता है।
दरअसल, प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलाव होते हैं। वहीं, इन्हीं बदलावों के कारण गर्भवती महिला के शरीर में इंसुलिन नामक हार्मोन के उत्पादन में कमी हो सकती है और इंसुलिन की मात्रा कम हो सकती है, जो गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज को जन्म दे सकता है।
वैसे तो स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं व डायबिटीज के मरीजों को लंबे समय तक उपवास रखने या अंधिक घंटों तक भूखा न रहने की सलाह देते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य के लिहाज से प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना हानिकारक माना जा सकता है।
हालांकि, अगर कोई गर्भवती महिला जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना चाहती हैं, तो वे अपने स्वास्थ्य की परिस्थिति व डॉक्टर की सलाह पर उपवास रख सकती हैं। साथ ही, इस दौरान उन्हें अपने आहार का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि उपवास के कारण उनका शुगर लेवल अनियंत्रति न हो और न ही बच्चे के स्वास्थ्य को किसी तरह की हानि हो।
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना है, तो गर्भवती महिलाएं निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकती हैं, जैसेः
जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना है, तो गर्भवती महिला को लंबे घंटों तक भूखा या प्यासा नहीं रखना चाहिए। उन्हें थोड़ी-थोड़ी देर पर फलाहार या फलों के जूस का सेवन करते रहना चाहिए। इससे ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है।
गर्भवती महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना चाहती हैं, तो उन्हें निर्जला व्रत नहीं रखना चाहिए। बल्कि उपवास के दौरान उन्हें भरपूर मात्रा में पानी व अन्य तरल पेय पीते रहना चाहिए। इससे शरीर हाइड्रेट रहेगा और ब्लड शुगर लेवल भी सामान्य बना रह सकता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान उपवास रखना सुरक्षित बनाने के लिए चाय के सेवन से परहेज करें। अन्य फलाहार के साथ दिनभर में 1 से 2 कप की मात्रा में ही चाय का सेवन करना सुरक्षित हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान व्रत रखना मुश्किल हो सकता है। वहीं, इस दौरान ब्लड शुगर का स्तर न बढ़े इसके लिए फलाहार में सेंधा नमक का सेवन शामिल करें।
गर्भावस्था में मधुमेह में उपवास रखना चाहती हैं, तो किसी बात का तनाव न लें। मन को शांत रखें।
जेस्टेशनल डायबिटीज में व्रत करने के दौरान शारीरिक तौर पर अधिक काम न करें। न ही ऐसी गतिविधियां करें जिसे करने में शरीर की अधिक ऊर्जा की खपत हो।
जेस्टेशनल डायबिटीज में व्रत के दौरान घर में ही रहें। इस दौरान घर से दूर मंदिर या अन्य धार्मिक स्थलों पर जाने से बचें। खासकार गर्मी व उमस भरे मौसम में।
जेस्टेशनल डायबिटीज में व्रत करने से पहले, व्रत के दौरान और उपवास खोलने के बाद भी अपना ब्लड शुगर लेवल जरूर चेक करें। अगर ब्लड शुगर लेवल सामान्य से अधिक होता है या अन्य तरह से अनियंत्रित होता है, तो तुरंत उपवास को बंद करें और डॉक्टर से परामर्श करें।
गर्भावस्था में मधुमेह में उपवास रखा है और उसे तोड़ना चाहती हैं, तो इन तरीकों से अपना उपवास पूरा कर सकती हैं।
अगर लंबी अवधि तक जेस्टेशनल डायबिटीज में व्रत रखा जाए, तो इससे गर्भवती महिला को निम्नलिखित परेशानियां हो सकती हैं, जैसेः
प्रेग्नेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज में उपवास रखना पूरी तरह से गर्भवती महिला के स्वास्थ्य स्थिति, गर्भावस्था के चरण व उसके डॉक्टर के परामर्श पर निर्भर कर सकता है। अगर जेस्टेशनल डायबिटीज में व्रत रख रही हैं, तो अपने स्वास्थ्य में महसूस होने वाले सभी लक्षणों की निगरानी करें। अगर गर्भावस्था में मधुमेह में उपवास के दौरान किसी तरह के असामान्य लक्षण महसूस होते हैं, तो तुंरत उपवास को बंद करें और डॉक्टर से परामर्श करें।
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