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प्रेग्नेंसी में ऑफिस में कब-तक काम करना चाहिए? यहां जानें सबकुछ

प्रेग्नेंसी में ऑफिस में कब-तक काम करना चाहिए? यहां जानें सबकुछ

28 Apr 2022 | 1 min Read

Mona Narang

Author | 163 Articles

प्रेग्नेंसी के दौरान माँ के ऊपर अपने और होने वाले बच्चे की देखभाल की खास जिम्मेदारी होती है।  गर्भवती की जिंदगी का यह बहुत नाजुक दौर होता है। इस दौरान की गई छोटी-सी लापरवाही उनके लिए भारी पड़ सकती है। ऐसे में अगर महिला वर्किंग है तो प्रेग्नेंसी में ऑफिस जाते समय उन्हें ओर भी ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत होती है। 

दफ्तर के साथ खुद की सेहत का ध्यान रखना कामकाजी गर्भवती महिला के लिए आसान नहीं होता है। मैटरनिटी लीव भी इसलिए दी जाती है, ताकि वो अपना ध्यान रख सकें। लेकिन मैटरनिटी लीव का भी एक समय होता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए यह भी एक बड़ा सवाल है कि उन्हें प्रेग्नेंसी में कब तक काम करना चाहिए। इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को कब तक काम करना चाहिए?

प्रेग्नेंसी में ऑफिस
प्रेग्नेंसी में ऑफिस/ चित्र स्रोत: फ्रीपिक

गर्भावस्था में कब तक काम करना चाहिए, इसका कोई सटीक जवाब देना मुश्किल होगा। हर प्रेग्नेंसी अलग होती है। कुछ महिलाएं ड्यू डेट तक दफ्तर जाती रहती हैं। वहीं, कुछ ड्यू डेट से एक महीने पहले मैटरनिटी लीव पर चली जाती हैं। इसलिए अपने शरीर के संकेतों को समझें और समय रहते काम से छुट्टी लें।

सीडीसी के अनुसार, ज्यादातर महिलाएं गर्भावस्था के दौरान काम करने में सक्षम होती हैं। हालांकि यह पूरी तरह से गर्भवती की स्थिति व उसकी जॉब किस तरह की है, इस पर निर्भर करता है। इसके बारे में एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। अगर डॉक्टर प्रेग्नेंसी में आपकी कंडीशन देख काम छोड़ने की सलाह नहीं देते हैं, तो कोई समस्या नहीं है। 

जिन महिलाओं की लंबे समय तक खड़े रहने की जॉब होती है, उन्हें गर्भावस्था के आखिरी महीनों में काम से ब्रेक लेना चाहिए। इस समय महिला का वजन काफी बढ़ जाता है और लंबे समय तक खड़े रहने से उन्हें कमर व पैरों में दर्द की समस्या हो सकती है। यही नहीं लंबे समय तक खड़े रहने का प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को भी प्रभावित कर सकता है।

इन संकेत के नजर आने पर लें मैटरनिटी लीव

यदि गर्भवती को कमर में दर्द की शिकायत है व हाथों और पैरों में सूजन आ रही है या रात को सही से नींद नहीं आती है, तो यह इस बात का इशारा है कि गर्भवती को आराम करने की जरूरत है। इन लक्षणों के नजर आने पर मैटरनिटी लीव ले लेनी चाहिए। यदि आपके दफ्तर में वर्क फ्रॉम होम पॉलिसी है, तो आप घर से काम के लिए भी अप्लाई कर सकती हैं। 

किन परिस्थितियों में डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह देते हैं?

नीचे कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बता रहे हैं, जिसमें डॉक्टर शारीरिक गतिविधि न करने व बेड रेस्ट की सलाह दे सकते हैं:

  • पहले प्रीमैच्योर बर्थ की हिस्ट्री
  • स्टिलबर्थ की हिस्‍ट्री हो
  • गर्भाशय ग्रीवा का कमजोर या पतला होना
  • प्रीक्लेम्पसिया यानी उच्च रक्तचाप
  • वजाइनल ब्लीडिंग होने पर
  • गर्भ में शिशु का सही से विकास न होना
  • प्लेसेंटा प्रिविया की स्थिति में डॉक्टर बेड रेस्ट के लिए बोल सकते हैं। इसमें प्लेसेंटा यानी गर्भनाल गर्भाशय के नीचे की तरफ बढ़ने लगता है।
  • कई दफा गर्भाशय ग्रीवा समय से पहले खुलना शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में भी चिकित्सक पूरी तरह से आराम करने के लिए कहते हैं।
  • अगर आपके जुड़वा बच्‍चों के साथ हाई रिस्‍क प्रेग्नेंसी है या डॉक्‍टर ने प्रीटर्म लेबर जैसी किसी कॉम्प्लिकेशन के बारे में बताया है तो आपको जल्‍दी काम से छुट्टी ले लेनी चाहिए। 

प्रेग्नेंसी में ऑफिस जा रही हैं तो ध्यान रखें ये जरूरी बातें

प्रेग्नेंसी अपने साथ कई परेशानियां लेकर आती है। ऐसे में माँ को अपने और बच्चे के स्वास्थ्य का खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। प्रेग्नेंसी में ऑफिस जाने वाली महिलाओं को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, नीचे इससे जुड़ी जानकारी साझा कर रहे हैं:

1. हेल्दी खाना

प्रेग्नेंसी में ऑफिस
प्रेग्नेंसी में आहार/ चित्र स्रोत: फ्रीपिक

कई बार महिलाएं दफ्तर में काम के प्रेशर में खाना खाना भूल जाती हैं। ऐसा करने से बचें। इसका माँ और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। गर्भवती के लिए सही खाने का चयन करने के साथ सही समय पर खाना खाना भी जरूरी होता है। 

खाने में डॉक्टर द्वारा जारी किए गए डाइट चार्ट के अनुसार चीजों का ही सेवन करें। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन और आयरन युक्त खाद्यों का सेवन करना अच्छा माना जाता है। एक बार में ज्यादा खाना खाने की बजाय तीन से चार बार थोड़ा-थोड़ा खाने का सेवन करें। दफ्तर के लिए आप सलाद, फल, दही, पनीर, दाल आदि से 4-5 छोटे-छोटे लंच बना सकती हैं।

2. दफ्तर के काम का ज्यादा स्ट्रेस न लें

प्रेग्नेंसी अपने साथ कई परेशानियां लेकर आती है। ऐसे में उन्हें अपने स्वास्थ्य के साथ दफ्तर के काम के बीच संतुलन बनाकर रखना जरूरी होता है। दफ्तर में काम की टेंशन तो होती ही है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे गर्भवती के शरीर में हार्मोन का स्तर बढ़ सकता है, जिस वजह से उनमें प्रीक्लेम्सिया का जोखिम अधिक हो सकता है। 

अपने और शिशु का ध्यान रखते हुए दफ्तर के काम की ज्यादा टेंशन न लें। अपनी वर्कलाइफ बैलेंस रखने का प्रयास करें। अगर आप अपना पूरा काम अकेले नहीं कर पा रही हैं, तो अपने काम को दूसरे टीममेट्स के साथ बांट लें। 

3. सूची तैयार करें

दफ्तर के काम के चलते आप डॉक्टर से अपॉइंटमेंट न भूल जाएं। इसके लिए डॉक्टर से किस दिन मिलना है से लेकर किस दिन आपका कौन-सा टेस्ट व कब कौन-सा टीका लगना है। इसकी एक सूची तैयार करें। ऐसा करने से आप दफ्तर और अपनी प्रेग्नेंसी को अच्छे से मैनेज कर पाएंगी।

4. दिनभर पानी पिएं

खुद को हाइड्रेट रखने के लिए दिनभर पानी लेती रहें। काम में बहुत ज्यादा व्यस्त रहती हैं, तो हर आधे घंटे पर पानी पीने का अलार्म सेट कर लीजिए। इससे शरीर को एनर्जी मिलती है। साथ ही शरीर का तापमान संतुलित रहता है।

5. इन बातों का भी रखें खास ख्याल

गर्भावस्था में न तो एक जगह पर ज्यादा देर बैठना अच्छा होता है और न ही लंबे समय तक खड़ा होना। इसलिए, यदि आपकी पूरे समय बैठे या खड़े रहने की जॉब है तो बीच-बीच में ब्रेक लें। दफ्तर में ज्यादा सीढ़ियां चढ़ने से परहेज करें। 

आरामदायक कुर्सी पर बैठें। जहां ज्यादा शोर हो वहां से दूरी बनाकर रखें। रसायनों वाली जगहों से अपने वर्कस्टेशन को दूर रखें। दफ्तर में ऐसे कपड़े व जूते पहनकर जाएं जिनमें आप दिनभर आरामदायक महसूस करें।

इस लेख में आपने जाना कि कामकाजी गर्भवती महिला किस प्रकार ऑफिस के साथ-साथ अपना ख्याल रख सकती हैं। उम्मीद करते हैं लेख में दी गई जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित होगी। इस लेख को अपनी गर्भवती फ्रेंड्स के साथ शेयर करना न भूलें। 

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