2 Jun 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था के दौरान कई तरह के संक्रमित बीमारियों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, गर्भावस्था में होने वाले हार्मोनल बदलाव के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है। यही एक कारण है कि प्रेग्नेंसी में सिफलिस (Syphilis in Pregnancy) की समस्या भी बढ़ सकती है। बता दें कि गर्भवती को सिफलिस होना गंभीर माना जा सकता है। यहां आप प्रेग्नेंसी में सिफलिस क्या है, इसके कारण व लक्षण से लेकर इससे बचाव के तरीके और इलाज के बारे में पढ़ेंगे।
प्रेग्नेंसी में सिफलिस रोग (Syphilis in Pregnancy) होना एक बैक्टीरियल संक्रमण माना जाता है। यह आमतौर पर किसी सिफलिस रोग से संक्रमित व्यक्ति या अन्य प्रकार के संक्रमित रोग वाले व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण हो सकता है। सिफलिस रोग को अन्य सामान्य भाषा में सूजाक व उपदंश रोग भी कहते हैं।
प्रेग्नेंसी में सिफलिस के लक्षण मुख्य तौर वजाइना, एनस, गुदा, जीभ और होंठ के साथ ही अन्य हिस्सों पर भी दिखाई दे सकते हैं, जो तीन चरणों में बांटे गए हैं, जिनमें शामिल हैंः
आमतौरर पर टरशरी सिफलिस (Tertiary Syphilis) के लक्षण शुरू होने में 10 साल तक का समय लग सकता है, यह गंभीर और जानलेवा भी माना जा सकता है। इस चरण में इसके लक्षण शारीर के अंगों को न सिर्फ बाहर से खराब कर सकते हैं, बल्कि नसों, मांसपेशियों, हड्डियों और खून को भी संक्रमित कर सकते हैं, जिसके कारण कुछ गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं, जैसेः
गर्भवती को सिफलिस की रोकथाम के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिएः
गर्भावस्था में सिफलिस का इलाज किया जा सकता है। बेहतर होगा कि प्राथमिक और सेकेंडरी सिफलिस के लक्षणों की पहचान समय पर किए जाए और इसका उचित इलाज किया जाए। कुछ स्थितियों में गर्भावस्था में सिफलिस का इलाज करने के लिए डॉक्टर प्रसव तक का इंतजार करने की भी सलाह दे सकते हैं। दरअसल, सिफलिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं गर्भवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।
इसके बाद शिशु के जन्म के तुरंत बाद डॉक्टर पेनिसिलिन व एंटीबायोटिक टैबलेट के जरिए सिफलिस का इलाज कर सकते हैं।
वहीं, टरशरी सिफलिस का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ महीनों तक की नियमित खुराक की सलाह दे सकते हैं। इस दौरान महिला को अस्पताल में भर्ती भी किया जा सकता है।
हां, प्रेग्नेंसी में सिफलिस का संक्रमण या सिफलिस का खतरा गर्भस्थ शिशु को हानि पहुंचा सकता है। इसके कारण समय से पहले शिशु का जन्म हो सकता है या जन्म के दौरान शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।
इसके साथ ही, मैटरनल केयर और चाइल्ड न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर पूजा मराठे की भी सलाह है कि अगर गर्भवती महिला को सिफलिस का संक्रमण होता है, उसे कुछ भी खाने-पीने या कोई परहेज करने से पहले अपने डॉक्टर की उचित सलाह लेनी चाहिए और तत्काल प्रभाव से इलाज कराना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में सिफलिस (Syphilis in Pregnancy) होने से रोका जा सकता है। इसके लिए बस गर्भवती महिलाओं को इससे जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे असुरक्षित सेक्स करने से बचाव, संक्रमित व्यक्ति से दूर बनाए रखना आदि। पर अगर किसी कारणवश गर्भवती को सिफलिस, सूजाक या उपदंश के लक्षण नजर आते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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