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16 साल के शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा ने चेस के वर्ल्ड चैम्पियन को हराया

16 साल के शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा ने चेस के वर्ल्ड चैम्पियन को हराया

25 Feb 2022 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

आज के दौर में जहां बच्चों में डिजिटल वीडियो व मोबाइल गेम्स का क्रेज बढ़ रहा है, वहीं भारत के 16 साल के शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा (Rameshbabu Praggnanandhaa) ने एक अलग इतिहास रचा है। शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा (Praggnanandhaa Chess) ने वर्ल्ड के नंबर 1 शतरंज चैम्पियन मैग्नस कार्लसन को हरा दिया है। 

तभी से भारत अपने नए युवा चेस ग्रैंडमास्टर की तारीफ करते हुए नहीं थक रहा है। मात्र 16 साल की उम्र में शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा ने कैसे यह मुकाम हासिल किया, इसी की चर्चा हम यहां पर कर रहे हैं। साथ ही आपको शतरंज खेलने के फायदे कितने होते हैं, इसके बारे में भी विस्तार से बताएंगे। 

शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा (Rameshbabu Praggnanandhaa) कौन हैं?

शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा या रमेशबाबू प्रागनानंदा एक भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर हैं। प्रागनानंदा का जन्म 10 अगस्त, 2005 को चेन्नई में हुआ। खास बात यह है कि प्रागनानंदा का नाम भारतीय शतरंज ग्रैंडमास्टर प्लेयर अभिमन्यु मिश्रा, सर्गेई कर्जाकिन, गुकेश डी और जवोखिर सिंदरोव के साथ शामिल हो गया है। वे देश में   ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल करने वाले पांचवें सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। 

इतना ही नहीं, भारतीय महिला चेस ग्रैंडमास्टर की किताब में इनकी बड़ी बहन वैशाली रमेशबाबू (Vaishali Rameshbabu) का नाम पहले से ही शामिल है। 

वर्ल्ड के नंबर 1 शतरंज चैम्पियन मैग्नस कार्लसन को कैसे हराया?

शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा ने मात्र 16 वर्ष की उम्र में 31 वर्ष के वर्ल्ड के नंबर 1 शतरंज चैम्पियन मैग्नस कार्लसन को मात दी। एक तरफ जहां लोग वर्ल्ड चैम्पियन का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं, वहीं शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा का कहना है कि “वे दुनिया के नंबर 1 शतरंज प्लेयर मैग्नस कार्लसन के साथ चेस खेलने के लिए बहुत उत्साहित थे। उन्हें वर्ल्ड चैम्पियन मैग्नस कार्लसन के खिलाफ मुकाबले को जीत कर बेहद खुशी हो रही है। उनकी इस बुलंदी ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ा दिया है”।

बच्चों के लिए इंडडोर गेम्स में शतरंज खेलने के फायदे

शतरंज का इतिहास व शतरंज का खेल गणित और विज्ञान के विषयों से सीधे तौर पर जोड़कर देखा जा सकता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा मेंटली स्मार्ट बनें, तो अपने बच्चों के लिए इंडोर गेम्स में शतरंज खेलने के फायदे शामिल कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैंः

  1. एकाग्रता बढ़ाए – शतरंज का खेल खेलने के लिए दिमाग को पूरी तरह से शांत करके खेल की चाल में लगाना होता है। ऐसे में शतरंज खेलने से मन शांत बना रह सकता है और दिमाग की एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।
  1. आत्मविश्वास बढ़ाए – शतरंज खेलने के दौरान हर चाल को बेहद ही सोच-विचार के साथ सतर्कता से चलने की आवश्यकता है। ऐसे में शतरंज खेलने से व्यक्ति के सोचने की क्षमता बढ़ सकती है। यह उसमें स्वंय के लिए निर्णय करने की क्षमता का विकास कर सकता है। इससे शतरंज प्लेयर का आत्मविश्वास भी काफी हद तक बढ़ सकता है।
  1. अनुशासन सिखाए – चेस खेलने के लिए शतरंज के नियम मानने होते हैं। ऐसे में बच्चे चेस खेलने से अनुशासन सीख सकते हैं। शतरंज के नियम बच्चे को यह सिखा सकते हैं कि जीवन में किसी भी कार्य के लिए अनुशासित होना कितना अहम हो सकता है।
  1. गणित पर बनें अच्छी पकड़ – चेस खेलने के दौरान हर प्लेयर की चाल के लिए एक तरह की कैल्कुलेशन की जरुरत होती है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि शतरंज के खिलाड़ियों का गणित विषय भी मजबूत हो सकता है।
  1. दबाव में शांत रहना – चेस खेल रहे दोनों ही प्लेयर अपने-अपने स्तर पर अच्छे प्लेयर हो सकते हैं। ऐसे में दोनों ही प्लेयर पर एक-दूसरे से बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बनता रहता है। वहीं, शतरंज का खेल ऐसी स्थिति में खिलाड़ियों को शांत बने रहकर दांव को खेलना सिखाता है, क्योंकि मानसिक दबाव लेना उन्हें खेल में हरा सकता है। इसलिए सकारात्मक मन से खेल जीतने के लिए हमेशा खुद को उत्साहित रखना पड़ता है।
  1. मेहनती बनना – आजकल के बच्चे हर काम में शार्टकट तरीका इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। वहीं, शतरंज के खेल में किसी तरह का शार्टकट नहीं अपनाया जा सकता है। इसके लिए सही रणनीति, कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता है, जिनका सख्ती से पालन करना होता है। ऐसे में शतरंज का खेल बच्चों को मेहनती बना सकता है।
  1. सम्मान का व्यवहार करना – शतरंज के खेल में खिलाड़ी किसी तरह की चिटिंग नहीं कर सकते। इस खेल को सिर्फ पूरी ईमानदारी के साथ ही जीता जा सकता है। ऐसे में शतरंज बच्चों को सच्चाई की राह पर चलने और सामने वाले प्रतिद्वंदी के प्रति मन में सम्मान की भावना को विकसित करने में मदद कर सकता है।
  1. गलतियों से सीखना – शतरंज के खेल को कोई भी एक या दो बार की तैयारी में नहीं जीत सकता है। इस खेल में अपनी हार को जीत में बदलने के लिए खिलाड़ियों को हजारों बार हार का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में उनकी हार उनके जीतने के जज्बे को बढ़ा सकती है। यानी एक तरह से शतरंज का खेल बच्चे को अपनी गलतियों को सुधारने की सीख भी दे सकता है।
  1. योजना बनाना सिखाए – शतरंज खेलते समय खिलाड़ी को हमेशा अगले कदम को सोच-समझकर ही हर कदम आगे बढ़ाना होता है। ऐसे में शतरंज के खेल से बच्चे में सोचने व योजना बनाने की अच्छी रणनीति का विकास हो सकता है।
  1. अवसाद और चिंता से बचाए – शतरंज के खेल स्ट्रेस बूस्टर का भी काम कर सकता है। दरअसल, शतरंज खेलते समय जहां मन को शांत रखना होता है, वहीं दिमाग को पूरी तरह से एक ही केंद्र पर स्थित करना होता है। ऐसे में बच्चे के मस्तिष्क से अन्य नकारात्मक व निराशाजनक विचार खत्म हो सकते है, जो अवसाद और चिंता जैसे लक्षणों के जोखिम को भी कम कर सकता है।

शतरंज खिलाड़ी आर. प्रागनानंदा की तरह आप भी अपने बच्चों के लिए इंडोर गेम्स में शतरंज का खेल शामिल कर सकते हैं। यहां हमने शतरंज खेलने के फायदे सिर्फ 10 बिंदुओं में ही बताएं है, लेकिन बता दें कि शतरंज खेलने के फायदे बच्चे की मानासिक स्थिति से लेकर, उसके सामाजिक व कुछ नया सीखने की क्षमता को भी कई तरह से बेहतर बना सकता है।

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