29 Nov 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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रोना तो बच्चों के लिए अपनी खुशी, अपनी तकलीफ, अपनी परेशानी, अपनी भूख वैगरह वैगरह सब कुछ समझाने का एकमात्र जरिया होता है। लेकिन न्यू पैरेंट्स के लिए रोते हुए बच्चे की हर बात को समझना मुश्किल होता है, वह भी विशेष रूप से पिता के लिए। डिलीवरी के बाद माँ के लिए सब कुछ संभालना मुश्किल होता है, उस समय पिता को बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
वैसे आजकल पिता भी आगे बढ़कर बच्चे को संभालने की जिम्मेदारी ले रहे हैं। लेकिन उनके लिए रोते हुए बच्चे की बात को समझना मुश्किल हो जाता है। आज हम पिता की इसी परेशानी को कम करने के लिए बच्चे के रोने के कुछ तरीकों पर गौर करेंगे जिससे कि वह समझ पाएं कि बच्चा क्यों रो रहा है या रोने पर उसको शांत कराने के लिए क्या करना चाहिए।
वैसे तो जन्म लेने के बाद के तीन महिनों तक बच्चे रोते ही रहते हैं, क्योंकि उनके लिए अपनी बात को समझाने का एकमात्र जरिया रोना ही होता है। अनुसंधान भी यही बताता है कि रोने से बच्चों की लंग्स की कैपेसिटी बढ़ जाती है। बच्चे को संभालते हुए उसके रोने के तरीके पर कुछ बातों का अंदाज लगाया जा सकता है।
बच्चे को जब भूख लगती है- यह तो आपको पता ही है कि गर्भ में पल रहे शिशु को उसका पोषण उसकी मां से मिलता है। लेकिन बच्चे को कब भूख लगती है कब नहीं यह माँ या पिता को समझने में देर लगती है। बच्चे को जब भी भूख लगने का एहसास होता है तब वह रोकर अपनी बात बताता है। वैसे तो नवजात बच्चे को हर 2-3 घंटे के अंतराल में दूध पिलाने की जरूरत होती है। इसलिए बच्चे के रोने के पैटर्न और दूध पीने के समय को ध्यान में रखने से रोते हुए बच्चे को संभालना पिता के लिए आसान हो जाता है।
बच्चे को जब नींद आती है- यह तो आपको पता ही है कि नवजात शिशु दिन के ज्यादातर समय सोते रहते हैं। उनका सोना उनके विकास के लिए अच्छा होता है। लेकिन उनके स्लीप का कोई सटिक पैटर्न नहीं होता है, इसलिए तीन महिनों तक उनको कभी भी नींद आ जाता है और उनको सोना है यह बताने के लिए वह आँखों को मलते हुए रोना शुरू कर देते हैं। पिता को रोने के पैटर्न और संकेतों को समझना होगा।
बच्चे का डायपर बदलने का समय आ जाने पर- अक्सर पैरेंट्स भूल जाते हैं समय पर डायपर बदलना। इसलिए डायपर मल-मूत्र से भर जाने पर बेबी को जब बेचैनी महसूस होती है तो उसको समझाने के लिए रोना लाजमी हो जाता है। रोते हुए बच्चे को इस मामले में शांत करने के लिए डायपर बदलना जरूरी होता है। पिता को सबसे पहले गंदे डायपर को निकालने के बाद बेबी बैंबू वाइप्स से प्राइवेट पार्ट्स को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
पापा को रोते हुए बच्चे को प्यार से शांत करते हुए यह भी देखना चाहिए कि उसको डायपर रैशेज तो नहीं है। अगर है तो डायपर पहनाने के पहले डायपर रैश क्रीम जरूर लगाएं। इससे बच्चा तुरन्त रोना भूलकर मुस्कुरा देगा और पापा को दिल ही दिल में शाबाशी देगा।
खुद से खेलते हुए थक गए और अब गोद में उठना है– अक्सर बच्चे पापा या मम्मी के गोद में जाने के लिए रोना शुरू कर देते हैं क्योंकि उनको गोद में सोने या खेलने का मूड होता है। शायद आपको पता नहीं, बच्चे भी मूडी होते हैं।
पेट में दर्द होने पर रोते हैं– बच्चों को पेट दर्द की परेशानी होना बहुत आम बात है। दूध पिलाने के बाद डकार नहीं दिलाने पर या गैस होने पर बच्चे अपने पैरों को पेट के पास बार-बार ले जाते हैं और रोते हैं। पिता को बच्चे के इस संकेत को समझकर बेबीचक्रा का टमी रिलीफ रोल ऑन का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे मिनटों में बच्चे को पेट दर्द से आराम मिल जाएगा।
ऊपर बताए गए कारणों और संकेतों के आधार पर आशा करते हैं नए पिता रोते हुए बच्चे के रोने के कारण को कुछ हद तक जरूर समझ पाएंगें। इसके अलावा पापा को बेबी के साथ समय बिताने की जरूरत होती है, इससे दोनों के बीच बॉन्डिंग भी बनेगा और बेबी के रोने के कारणों को भी आसानी से समझ पाएंगें।
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