29 Mar 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
स्तनपान शिशु का न सिर्फ पहला आहार होता है, बल्कि उसके जीवन के साथ ही माँ के लिए भी यह सबसे सुखद अनुभव होता है। हालांकि, स्तनपान की प्रक्रिया हर माँ व शिशु के लिए आसान नहीं हो सकता है। कुछ शिशु जहां सोते हुए स्तनपान करते हैं, वहीं, स्तनपान के दौरान शिशु का रोना भी जारी रह सकता है। ऐसे में अगर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का रोना लगातार जारी रहे, तो यह माँ के लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है।
यही वजह है कि इस लेख में हम स्तनपान के समय रोते हुए बच्चे को कैसे चुप कराएं, इसके लिए टिप्स व उपाय भी बता रहे हैं। यहां पर आप स्तनपान के दौरान शिशुओं के रोने की वजह व स्तनपान के दौरान रोते बच्चों को शांत कराने के उपाय विस्तार से पढ़ेंगे।
स्तनपान करते हुए बच्चों के रोने का कारण विभिन्न स्थितियों पर निर्भर कर सकता है। यहां पर बिंदुओं के माध्यम स्तनपान के दौरान शिशु के रोने के कारण को समझ सकते हैं, जो निम्नलिखित हैंः
यह पेट से जुड़ी शारीरिक समस्या है, जिस वजह से भी स्तनपान के दौरान शिशु का रोना जारी रह सकता है। कॉलिक होने पर शिशु को पेट दर्द, गैस, पेट फूलना, कब्ज होना, पेट में ऐंठन जैसी आदि समस्याएं हो सकती हैं। इस वजह से शिशु दिनभर में 3 घंटे से अधिक रोता रह सकता है।
स्तनपान के दौरान शिशुओं के रोने की वजह असहजता भी हो सकती है। दरअसल, स्तनपान के शुरुआती कुछ दिन माँ व शिशु के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं। जब तक माँ बच्चे को स्तनपान कराने की सही पोजीशन नहीं ज्ञात कर पाती है, हो सकता है कि तब तक स्तनपान के दौरान शिशु का रोना भी जारी रहे।
स्तनपान के दौरान शिशु के रोने के कारण उसका भरा हुआ पेट भी हो सकता है। ऐसे में अगर माँ शिशु को जबरन ब्रेस्टफीड कराए, तो वह रो सकता है।
दांत आने के कारण भी स्तनपान के दौरान शिशु का रोना देखा जा सकता है।
मिल्क एलर्जी के कारण भी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का रोना जारी रह सकता है।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का रोना माँ के स्तनों में दूध का कम उत्पादन होना या दूध का प्रवाह धीमा होने पर भी स्तनपान करते हुए बच्चों के रोने का कारण बन सकता है। दरअसल, ऐसा होने पर बच्चों को दूध पीने के लिए अधिक जोर देना पड़ सकता है, इससे कठिनाई होने पर वह रो सकता है।
शिशु भूख महसूस करने पर ही स्तनपान के लिए रोते हैं, लेकिन अगर किसी कारण शिशु को कम भूख लगती है या उसे भूख न लगे, तो इस वजह से भी वह स्तनपान के दौरान रो सकते हैं।
अगर स्तनपान के दौरान माँ किसी तरह के खास परफ्यूम, साबुन या लोशन का इस्तेमाल करती है, तो इससे आने वाली गंध के कारण भी शिशु स्तनपान करते हुए रो सकता है। इस तरह की गंध से शिशु को असहजता हो सकती है।
अक्सर देखा जाता है कि कुछ माएँ सोते हुए शिशु को जगाकर स्तनपान कराने लगती हैं। ऐसा न करें। ध्यान रखें कि जब तक शिशु खुद से सोकर उठे, तब तक उसे जगाने या नींद में स्तनपान कराने का प्रयास न करें, क्योंकि ऐसा करने पर शिशु की नींद अधूरी रह सकती है, जो स्तनपान के दौरान शिशुओं के रोने की वजह बन सकती है।
शिशु को स्तनपान कराते समय अगर उसे पूरी तरह से कवर किया जाए, तो इससे उसे घुटन महसूस हो सकती है। यही आदत स्तनपान के दौरान शिशुओं के रोने की वजह भी बन सकती है।
अगर किसी कारण शिशु को तनाव हो, तो वह इस वजह से भी स्तनपान के समय रो सकता है।
अगर माँ के स्तनों में सूजन हो, तो इसके कारण स्तनों के दूध का स्वाद बदल सकता है, जिस वजह से भी स्तनपान के दौरान शिशु का रोना जारी रह सकती है।
सर्दी-खांसी, जुकाम, फ्लू या बुखार के कारण शिशु को भरी नाक या बंद नाक की समस्या हो सकती है, जो स्तनपान के दौरान शिशु के रोने के कारण बन सकती है।
अधूरी नींद या बहुत ज्यादा खेलने के कारण शिशु को अधिक थकान महसूस हो सकती है। ऐसे में उसे नींद पूरी करने की आवश्यकता हो सकती है। वहीं, अगर ऐसी स्थिति में माँ शिशु को दूध पिलाने का प्रयास करती है, तो बच्चा दूध पीते समय रो सकता है।
शिशुओं का ध्यान तेजी से भटक सकता है। ऐसे में अगर स्तनपान के दौरान कोई खिलौना या शोर बच्चे का ध्यान भटका रहा है, तो इस कारण भी बच्चे को दूध पीने में परेशानी हो सकती है और वह स्तनपान करते समय रो सकता है।
जिस तरह शिशु के सोने, जागने व खेलने का एक समय बन जाता है, उसी तरह बच्चे के स्तनपान करके का भी एक समय निर्धारित हो सकता है। ऐसे में अगर शिशु के स्तनपान करने के निर्धारित समय के अनुकूल दूध पिलाया, तो इससे उसे परेशानी हो सकती है और वह स्तनपान कराने के दौरान रो सकता है।
जैसे-जैसे शिशु का विकास होने लगता है, उसकी रुचियों में बदलाव भी आने लगते हैं। वहीं, बच्चा जब ठोस खाद्यों को खाना शुरू कर देता है, तो इस वजह से शिशु में स्तनपान करने की इच्छा कम हो सकती है। ऐसे में जब उसे दूध पिलाया जाए, तो वह अधिक नखरे दिखा सकता है और रो भी सकता है।
रिफ्लक्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें भोजन करने पर खाद्य भोजन नली से वापस आने लगता है। ऐसे में अगर बच्चे को इसकी समस्या हो जाए, तो वह स्तनपान के दौरान रोना शुरू कर सकता है।
कुछ शिशुओं में जन्म से ही उनकी जीभ का निचला हिस्सा मुंह के तल से चिपका हुआ हो सकता है, जिसे मेडिकल टर्म में टंग टाई कहा जाता है। इसके कारण शिशु को दूध पीने से लेकर बोलने में भी परेशानी हो सकती है।
डॉक्टर सलाह देते हैं कि माँ को शिशु को बारी-बारी दोनों ही स्तनों से दूध पिलाना चाहिए। ऐसा करने से शिशु को भरपेट दूध पिलाया जा सकता है। हालांकि, कुछ बच्चे ही एक स्तन से ही फीड करना अधिक पसंद कर सकते हैं। ऐसे में जब शिशु को दूसरे स्तन से स्तनपान कराने की कोशिश की जाती है, तो वह रो सकता है।
ओरल थ्रश (Oral Thrush) मुंह से संबंधित एक संक्रमण है। इसमे मुंह के अंदर, गले में व जीभ में छाले व दाने हो सकते हैं। इसके कारण कुछ भी निगलते समय गले में तेज दर्द हो सकता है। ऐसे में यह भी स्तनपान के दौरान शिशुओं के रोने की वजह हो सकती है।
बच्चे स्तनपान करते हुए क्यों रोते हैं, इसके कई कारण हम ऊपर बता चुके हैं। अब हम स्तनपान के दौरान रोते बच्चों को शांत कराने के उपाय बता रहे हैं।
स्तनपान के दौरान शिशुओं के रोने की वजह अक्सर सामान्य स्थितियां ही हो सकती हैं। ऐसे में बच्चे को दूध पिलाने का सही तरीका जरूर सीखें। इसे काम में दादी-नानी या दाई की मदद भी ले सकती हैं। ध्यान रखें कि स्तनपान के दौरान रोते बच्चों को शांत कराने के उपाय तभी कारगर होंगे, जब उसकी परेशानी को समझकर उसका दूर करने के लिए तरीकों को अपनाया जाए।
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