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World Global Day of Parents: त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।-बच्चों को इसकी महत्ता कैसे सिखाएंगे

World Global Day of Parents: त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।-बच्चों को इसकी महत्ता कैसे सिखाएंगे

31 May 2022 | 1 min Read

Ankita Mishra

Author | 409 Articles

हर साल 1 जून का दिन ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स (World Global Day of Parents) यानी विश्व माता-पिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। हमारे जीवन में माता-पिता की क्या अहमियत है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है, न ही इस रिश्ते को किसी शब्द से परिभाषित किया जा सकता है। विश्व माता-पिता दिवस (World Global Day of Parents) क्यों मनाया जाता है, इसकी शुरुआत कैसे हुई, इन सभी सवालों के साथ आज हम यहां पर “ त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव” इस मशहूर श्लोक का अर्थ भी बता रहे हैं। 

तो चलिए सबसे पहले जानते हैं कि ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स (World Global Day of Parents) की शुरुआत कैसे हुई और इसे क्यों माना जाता है। 

विश्व माता-पिता दिवस की शुरुआत कब, कैसे और क्यों हुई? 

विश्व माता-पिता दिवस ((World Global Day of Parents) की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया गया। साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र ने 1 जून को वैश्विक तौर पर  पेरेंट्स डे मनाने का ऐलान किया था। वैश्विक माता-पिता दिवस को मनाने का उद्देश्य सिर्फ माता-पिता को उनके हिस्से का सम्मान देने के लिए किया जाता है। 

साथ ही, ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स की शुरुआत की एक और वजह है और वह है पेरेंट्स और बच्चों के बीच प्रेम को बढ़ाने का। ध्यान रखें किसी भी रिश्ते की नींव हमेशा दो डोर से बंधी होती है। इसलिए, दोनों तरफ से अपने-अपने रिश्ते के प्रति सम्मान, विश्वास और प्रेम का होना बहुत जरूरी है। 

विश्व माता-पिता दिवस पर बच्चों को “त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव” श्लोक की महत्ता कैसे सिखाएं?

विश्व माता-पिता दिवस
पिता का हाथ पकड़े हुए बच्ची/ चित्र स्रोत: फ्रीपिक

“त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव” यह एक ऐसा श्लोक है, जिसे हम बचपन से सुनते आए हैं। यहां तक की भले की आज के स्कूल बहुत मार्डन हो गए हैं, लेकिन फिर भी आज के सभी स्तरों के स्कूलों में दिन की शुरुआती इसी श्लोक के प्रेयर से शुरू की जाती है। 

पर इस बात के इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि आज के आधे से अधिक स्कूलों में बच्चों को न तो इस श्लोक का अर्थ बताया जाता है और न उन्हें इस अनमोल श्लोक की महत्ता सिखाई जाती है। तो चलिए सबसे पहले इस श्लोक का अर्थ पढ़ते हैं फिर इसकी महत्ता बच्चों के जीवन में कैसे घोलें इसके भी तरीके जानते हैं।  

‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव, 

त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।

त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,

त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।।’

इस श्लोक का अर्थ है- ‘हे भगवान! तुम्हीं मेरी माता हो, तुम्हीं मेरे पिता हो, तुम्हीं मेरे भाई हो, तुम्हीं मेरे दोस्त हो। तुम्हीं मेरी विद्या (शिक्षा, ज्ञान) हो, तुम्हीं मेरी धन-दौलत हो, तुम्हीं मेरा सब कुछ हो, तुम ही मेरे ईश्वर हो।’

विश्व माता-पिता दिवस बच्चो को “त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव” श्लोक की महत्ता सिखाने के टिप्स

1. बच्चे से प्रेम से पेश आना

हर पेरेंट्स अपने बच्चों को सबसे अधिक प्रेम करते हैं। इनका प्रेम सभी बच्चों के लिए एक समान होता है। हालांकि, कभी-कभी कुछ परिस्थितियों या बच्चों की गलतियों की वजह से पेरेंट्स को सख्त होना पड़ जाता है। ऐसी परिस्थिति में बच्चों के मन में पेरेंट्स के लिए नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकते हैं। 

ऐसी स्थिति से बचने के लिए पेरेंट्स को हमेशा अपने बच्चों की गलतियों पर उन्हें अच्छी शिक्षा देनी चाहिए। वे किस तरह अपनी गलती को सुधार सकते हैं, इसमें उनकी मदद करनी चाहिए। इससे बच्चे के मन में गंभीर परिस्थितियों में पेरेंट्स के प्रति रिश्ते में नकारात्मक विचार नहीं आएंगे और वे खुद ही धीरे-धीरे ये श्लोक अपने माता-पिता को समर्पित कर सकते हैं। 

2. माँ के रिश्ते की अहमियत बताना

इस श्लोक में सबसे पहले माँ का अभिवादन किया गया है, क्योंकि माँ का रिश्ता सबसे बड़ा रिश्ता होता है। जिसके पास माँ है उसे इस संसार में किसी भी वस्तु की कमी नहीं हो सकती है। बच्चे के सामने हर दिन उसकी माँ की मेहनत की तारीफ करें। घर से लेकर ऑफिस तक माँ किस तरह अपनी भूमिकाएं निभाती हैं, इसका जिक्र करें। 

इससे बच्चे की नजरें खुद से ही अपनी माँ की कड़ी मेहनत को देख सकती हैं और वे खुद ही इसे समझ सकते हैं कि इस श्लोक में सबसे पहले माँ का वर्णन क्यों किया गया है। 

3. पिता और भाई के रिश्ते को मजबूत बनाना

विश्व माता-पिता दिवस
पेरेंट्स संग बच्चे/ चित्र स्रोत: फ्रीपिक

भारत में अभिभावक दिवस को मनाने की एक और वजह है और वह पिता और भाई-बहनों के साथ का रिश्ता। न सिर्फ माँ, बल्कि पिता और भाई भी अपने बच्चों और सगे रिश्तों को मुसीबत में नहीं देख सकते हैं। पिता जहां पहला कदम चलना सिखाने में मदद करते हैं, तो वहीं खून के सगे रिश्ते दूसरा कदम संभालने और डगमगाने पर सहारा देने के लिए खड़े रहते हैं। 

4. मुश्किल घड़ी में बच्चे का हौंसला बढ़ाना

हर बच्चा अपने आप में अलग होता है। इसलिए कभी भी किसी दूसरे बच्चे से अपने बच्चों की तुलना न करें और न ही उनके भाई-बहनों से ही उनकी तुलना करें। अगर बच्चा किसी काम, खेल-कूद, पढ़ाई या किसी अन्य गतिविधि में कमजोर है, तो उसे उसके लिए अच्छा बनने का दबाव न दें। 

अपने बच्चे की काबिलियत और कमजोरी का पता लगाएं। बच्चे की काबिलियत पर उसे उस काम को और भी बेहतर करने के लिए उत्साहित करें। साथ ही, बच्चे की कमजोरी को दूर करने के लिए उसकी हिम्मत बढ़ाएं, उसकी भरपूर मदद करें। 

5. अच्छे दोस्तों की पहचान करना सिखाएं

जीवन में एक सच्चे मित्र का होना बहुत जरूरी है। माता-पिता व भाई-बहन के बाद दोस्त ही एक ऐसा रिश्ता होता है और सगे रिश्ते की तरह पेश आता है। सच्चा मित्र न सिर्फ गलत और सही रास्ते के बीच फर्क करना सिखा सकता है, बल्कि जीवन को बेहतर बनाने के लिए हर संभव मदद भी कर सकता है। 

ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ ही उसके दोस्तों को भी समय देना चाहिए। समय मिलने पर बच्चे व उसके दोस्तों के साथ मिलना-जुलना और घूमने जाना चाहिए। ऐसा करने से पेरेंट्स आसानी से अपने बच्चे के लिए सच्चे मित्र की पहचान कर सकते हैं और वे अपने बच्चे के भविष्य को अच्छे रास्ते पर ला सकते हैं। 

 वैश्विक माता-पिता दिवस (ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स) की शुरुआती अभी एक दशक पहले ही हुई है। ऐसे में हो सकता है कि बहुत से पेरेंट्स व बच्चे वैश्विक माता-पिता दिवस के बारे में न जानते हो। पर याद रखें कि यह श्लोक इस दिन यानी पेरेंट्स डे की महत्ता के लिए एक सटीक उदाहरण माना जा सकता है। यहां बताए गए उपाय पेरेंट्स और बच्चे के बीच एक पारर्दशी रिश्ता बनाने में मदद कर सकते हैं और बच्चों को जीवन में पेरेंट्स डे को सम्मान से मनाने के लिए प्रेरणा दे सकते हैं। 

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