4 Jul 2022 | 1 min Read
Mona Narang
Author | 171 Articles
हर साल 6 जुलाई का दिन विश्व जूनोसिस दिवस (World Zoonoses Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन जूनोसिस बीमारियों के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। परंतु, क्या आप जानते हैं कि जूनोसिस बीमारी क्या है? इस लेख में हम इसी विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे। तो चलिए लेख में सबसे जूनोसिस बीमारी क्या है, यह जान लेते हैं।
हर साल दुनियाभर में 6 जुलाई को विश्व जूनोसिस दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1885 में इस दिन फ्रांस बॉयोलॉजिस्ट डॉ. लुई पॉश्चर ने जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाली वायरल बीमारियों के लिए रेबीज नामक पहली वैक्सीन को तैयार किया था। उनकी इस खोज ने इंसान को जानवरों से होने वाले कई संक्रमण रोगों से बचाया।
जूनोसिस एक ग्रीक शब्द है। यह दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया है, जून और नोसोस। यहां जून का मतलब किसी जानवर व पशु है और नोसोस का अर्थ बीमारी है। इसे जूनोटिक बीमारियों (zoonotic diseases) के नाम से भी जाना जाता है।
जूनोटिक बीमारियों की श्रेणी में वो बीमारियां आती हैं, जो वायरस, बैक्टीरिया और फंगस की वजह से जानवरों के माध्यम से इंसानों में फैलती हैं। ये एक प्रकार के संक्रामक रोग होते हैं। इसका ताजा उदाहरण कोरोना वायरस है, जो चमगादड़ से इंसानों में फैला था।
इससे पहले इबोला, सार्स, चेचक, मर्स, एचआईवी, मंकीपॉक्स, बर्ड फ्लू आदि जानवरों व पक्षियों के माध्यम से मनुष्यों में फैले थे। दुनिया में 150 से अधिक जूनोटिक बीमारियां हैं, जो जानवरों के माध्यम से इंसान तक पहुंचती हैं। यही रोग जब मनुष्यों से वापस जानवरों में फैलता है, तो इसे रिवर्स जूनोसिस के नाम से जाना जाता है।
एक अंतर्राष्ट्रिय अनुसंधान संस्थान द्वारा किए गए एक शोध में जिक्र मिलता है कि हर साल लगभग 2.2 मिलियन लोगों की जूनोसिस ह्यूमन डिजीज के कारण मौत हो जाती है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा जूनोसिस बीमारियां इथोयोपिया, नाइजीरिया, तंजानिया और भारत में होती हैं।
जानकारों की मानें तो इंसान तेजी से आधुनिक युग की तरफ बढ़ रहा है। जंगलों में कटाई कर मैन-मेड स्ट्रक्चर बन रहे हैं। प्रोटीन की बढ़ती डिमांड के चलते लोग जानवरों को मारकर उनका मांस खाते हैं, नेचर के साथ हो रही छेड़-छाड़, इन सबसे इकोसिस्टम का स्तर बिगड़ रहा है। इससे इंसानों, जानवरों और माइक्रो ओर्गेनिज्म के बीच की रुकावट की दीवार नष्ट होती जा रही है। इंसानों में फैल रही बीमारियों के फैलने का यह मुख्य कारण माना जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन भी इसका एक कारण हो सकता है। पहले जानवरों में बैक्टीरिया और वायरस का जो स्तर था वो इतना मजबूत नहीं था। परंतु, ग्लोबल वार्मिंग के चलते ये काफी स्ट्रांग हो गया है और आसानी से इंसानों में ट्रांसफर हो रहा है।
जैसा कि लेख में आपने ऊपर जाना कि दुनिया में 150 से अधिक जूनोटिक बीमारियां हैं। नीचे हम कुछ कॉम्न जूनोटिक बीमारियों के बारे में बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
1. रेबीज
रेबीज इंसानों में होने वाली सबसे कॉमन जूनोटिक बीमारी है। वैसे तो यह किसी भी जानवर से हो सकती है। लेकिन, इसके ज्यादातर मामले कुत्ते के काटने व नाखून लगने पर देखे जाते हैं। रेबीज से बचाव के लिए कुत्ते के काटने व नाखून मारने पर रेबीज की वैक्सीन लगाई जाती है।
2. बर्ड फ्लू
यह संक्रमण पक्षियों के जरिए मनुष्यों में फैलता है। कुछ दिनों पहले इस बीमरी की वजह से कई सारी मुर्गियों व पक्षियों को मारना पड़ा था।
3. ब्रुसेलोसिस
यह जूनोटिक बीमारी सुअर, घोड़ा, कुत्ता, गाय भेड़ में बुरसेला संक्रमण से फैलता है। मनुष्य के इस वायरस की चपेट में आने से शुरुआती लक्षण के रूप में सिरदर्द, अत्यधिक पसीना और बॉडी पेन आदि की शिकायत हो सकती है। इससे बचाव के लिए दवाएं उपलब्ध हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक निम्न बातों को ध्यान में रखकर जूनोसिस बीमारियों के फैलने के जोखिम को कम किया जा सकता है।
उम्मीद करते हैं इस लेख के माध्यम से जूनोसिस बीमारी क्या है, यह आप समझ गए होंगे। जूनोटिक बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए जितना हो सके इंसान को प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। प्रकृति के चक्र को संतुलित बनाए रखने के लिए वन्यजीव का शिकार व व्यापार न करें। ये इकोसिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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