21 Jun 2018 | 1 min Read
Medically reviewed by
Author | Articles
ज़्यादातर पेरेंट्स को ये लगता है कि प्रीस्कूल में बच्चे को पढ़ाई की बुनियादी शिक्षा दी जानी चाहिए। जबकि सच्चाई ये है कि रट्टा मारने से बेहतर बच्चे इस दौरान ऐसी लाइफ़ स्किल्स सीखते हैं, जो उनके व्यक्तित्त्व का हिस्सा बनती है. वो ये चीज़ें स्कूल में नहीं बल्कि अपने पेरेंट्स से सीखते हैं. सही निर्णय लेना, अपने इमोशंस पर कंट्रोल रखना, आत्मनिर्भरता, सेल्फ़ डिसिप्लिन, जगह के हिसाब से ख़ुद में बदलाव लेकर आना, ख़ुद को रोकना आदि. ये वो सभी चीज़ें हैं, जो माँ-बाप को कच्ची उम्र से बच्चे को सिखानी चाहिए।
समय की इम्पोर्टेंस सिखानी बेहद ज़रूरी है. इसलिए उसके रूटीन काम, जैसे टॉयज़ से खेलना, खाना फिनिश करना, किताब पढ़ना वगैरह के लिए समय निर्धारित करें। इसके लिए आप सैंड टाइमर का इस्तेमाल कर सकती हैं. टाइम ख़त्म होने पर उसे दूसरी एक्टिविटी करने को कहें ताकि उसे पता हो कि वो एक काम निर्धारित समय तक ही कर सकता है. ये आदत उसे टाइम सेट करना सिखाएगी और वो ‘लेट’ होने की आदत से बचेगा।
बच्चों के लिए थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि ज़्यादातर वो अपने हिसाब से सोचते हैं. इसलिए उन्हें डॉक्टर, फायरमैन, घर-घर जैसे खेल देकर अलग परिस्थिति में डालने की कोशिश करें। ये उनकी सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाएगा।
उन्हें फ़ोकस सिखाने के लिए ज़मीन पर अलग-अलग आकार बनाएँ और उनसे कोई घंटी लेकर उस पर चलने को कहें, साथ ही घंटी में आवाज़ नहीं होनी चाहिए। दो अलग चीज़ों को बैलेंस करना उन्हें फोकस और आत्मनियंत्रण सिखाएगा। इस तरह की एक्टिविटी मोंटेसरी स्कूल ऑफ़ थॉट में सिखाई जाती हैं.
डायलॉग ज़रूरी है. बच्चे को 3-4 स्टेप वाली एक्टिविटी दें. जैसे, स्टेप एक, एक रेड बॉल लेकर आओ. स्टेप दो, उसे लेकर दो बार जम्प करो. स्टेप तीन, बॉल को वापस जगह पर रख कर आओ. इससे वो संवाद के महत्व को समझेगा और समाज में अपनी बात रख पाएगा। ये ध्यान रखें, कि एक साल के बच्चे को एक ही स्टेप की एक्टिविटी दें और दो साल के बच्चे को दो स्टेप की. ऐसे ही आगे बढ़ें।
स्कूल में बच्चे को एक सब्जेक्ट से दूसरे सब्जेक्ट में जाना होगा। अभी उसका मैथ का पीरियड होगा, तो थोड़ी देर में उसे इंग्लिश पढ़नी होगी। बच्चे को ऐसा स्विच सिखाने के लिए ज़रूरी है कि आप उसे एक काम से दूसरे में जम्प करने की आदत डलवाएं। जैसे अगर वो अभी टॉयज़ के साथ खेल रहा है, तो एक निर्धारित समय बाद उसे दूसरी तरह के टॉयज़ दें और दोनों को अलग रखने को कहें। उसे दो अलग चीज़ों में फ़र्क करना और फ़ैसला लनभी आएगा।
ख़ुद पर नियंत्रण रखना बच्चों के लिए सबसे मुश्किल काम है, इसलिए उन्हें आगे के लिए करने में इस आदत को डेवेलप करना ज़रूरी है. उन्हें स्कूल में देर तक एक पीरियड में बैठना होगा और शुरू में ये उनके लिए मुश्किल होगा। उन्हें आप रेड लाइट, ग्रीन लाइट, ऑरेंज लाइट के माध्यम से रुकना, देखना और चलना सिखाएँ। इससे वो ख़ुद पर कंट्रोल करने की एबिलिटी डेवेलप करेंगे।
स्कूल का टिफ़िन रिसेस से पहले ही ख़तम कर लेने की आदत को ठीक करने के लिए उसे चीज़ों के लिए वेट करना सिखाएं। उसे ये बताएँ कि इसका सही वक़्त है. इसमें आपकी मदद म्यूजिकल चेयर गेम कर सकता है. इस गेम में कुर्सी खाली होने के बाद भी बच्चा तब तक है बैठ सकता, जब तक म्यूजिक बंद न हो.
बच्चे को छोटे से ही रट्टा मारना या बेफिज़ूल की एक्टिविटी सिखाने से बेहतर ऐसी चीज़ें सिखाएं जो उनकी ब्रेन स्किल्स को बेहतर करेंगी। उन्हें ये सिंपल गेम्स खिलाएं, फिर देखें वो कैसे बढ़ते हैं. बचपन में ही उनके व्यक्तित्त्व का निर्माण शुरू हो जाता है, इस बात का ध्यान रखकर ही अपने बच्चों का लालन-पालन करें।
Related Articles
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.