4 Feb 2019 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
कोलोस्ट्रम किसी भी नए पेरेंट्स के लिए एक नया शब्द हो सकता है। हालांकि, एक से अधिक बच्चे की माताएं कोलोस्ट्रम से अच्छी तरह वाकिफ हो सकती हैं। अगर आप भी इस शब्द को पहली बार सुन रही हैं, तो यह लेख खासकर आपके लिए ही है। इस लेख में हम कोलोस्ट्रम क्या है, इसकी जानकारी से लेकर बच्चों के लिए कोलोस्ट्रम के फायदे भी बता रहे हैं। साथ ही, न्यूबॉर्न बच्चे कोलोस्ट्रम के फायदे कैसे सही तरीके से पा सकें, इसकी भी जानकारी यहां देंगे।
कोलोस्ट्रम क्या है (Colostrum Meaning In Hindi) इसकी विस्तार से परिभाषा देते हुए बताएं, तो यह माँ के स्तनों में बनने वाला पहला दूध होता है। यानी शिशु के जन्म के तुरंत बाद माँ के स्तनों में बनने वाला दूध ही कोलोस्ट्रम दूध होता है। कोलोस्ट्रम दूध माँ के स्तनों में शिशु के जन्म से लेकर अगले 2 से 4 दिनों तक बनता है।
ऐसी कई वजहें हैं जिनके कारण कोलोस्ट्रम यानी माँ के पहले दूध को शिशु का पहला पोषक आहार माना जाता है। कोलोस्ट्रम एंटिबॉडीज व इम्युनोग्लोबुलिन से समृद्ध होता है। इसके अलावा, इसमें अन्य पौष्टिक तत्वों के रूप में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड, एनर्जी, आवश्यक फैटी एसिड, अमीनो एसिड, विटामिन व मिनरल की भी मात्रा होती है।
इसके अलावा, कोलोस्ट्रम लो फैट मिल्क का भी स्रोत माना जाता है। बता दें कि नवजात बच्चों में पाचन क्रिया पूरी तरह से विकसित नहीं होती है। वह धीरे-धीरे शारीरिक विकास के साथ विकसित होती है। वहीं, लो फैट मिल्क होने की वजह से कोलोस्ट्रम कम समय में हजम भी हो जाता है और नवजात शिशु अपच व पेट फूलने जैसी समस्या से भी सुरक्षित रह सकता है।
शायद यही वजह है कि कोलोस्ट्रम नवजात बच्चों के लिए एनर्जी व हेल्दी ड्रिंक का सबसे उच्चतम आहार माना जा सकता है।
आमतौर पर कोलोस्ट्रम दूध सामान्य ब्रेस्टमिल्क से बहुत अलग दिखाई देता है। सामान्य ब्रेस्टमिल्क जहां सफेद रंग व पानी की तरह तरल रूप में होता है, वहीं कोलोस्ट्रम दूध दिखने में दूधिया, पीला व नारंगी रंग का होता है। यह काफी चिपचिपा और गाढ़ा भी होता है।
इसके साथ ही, यह भी बता दें कि कोलोस्ट्रम दूध का निर्माण गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से ही शुरू हो जाता है। जो गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के आखिरी दिनों में गर्भवती महिला के स्तनों से डिस्चार्ज के रूप में भी देखा जा सकता है।
माँ का पहला दूध (Colostrum: First Milk) कई रूपों में शिशु के लिए फायदेमंद माना गया है। नीचे नवजात बच्चों के लिए कोलोस्ट्रम दूध के फायदे विस्तार से पढ़ें।
कोलोस्ट्रम दूध में एंटीबॉडीज व इम्युनोग्लोबुलिन की समृद्ध मात्रा होती है, जिस वजह से नवजात बच्चों के लिए कोलोस्ट्रम के फायदे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं।
कोलोस्ट्रम के फायदे नवजात शिशुओं में अपच की समस्या दूर कर सकते हैं। इसके लिए कोलोस्ट्रम दूध का लो फैट गुण प्रभावकारी माना जा सकता है।
कोलोस्ट्रम दूध नवजात शिशु के आंतों की सफाई कर सकते हैं। इसमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो शिशु के आंतों में मौजूज अच्छे सूक्ष्म जीवाणुओं को बढ़ा सकते हैं। ये जीवाणु न सिर्फ शिशु की आंतों की सफाई करने में मददगार होते हैं, बल्कि उसे डायरिया और आंत से जुड़ी अन्य संक्रमण से भी सुरक्षित रख सकते हैं।
कोलोस्ट्रम के फायदे नवजात शिशु में पीलिया का जोखिम कम कर सकते हैं। दरअसल, कोलोस्ट्रम दूध रक्त में बिलीरुबिन का निर्माण कम कर सकता है। यह एक प्रकार का द्रव होता है, जो पीलिया का कारण बन सकता है। इसके अलावा, कोलोस्ट्रम दूध में रेचक (लैग्जेटिव) प्रभाव भी होते हैं, जिससे कोलोस्ट्रम के सेवन से शिशु के शरीर से बिलीरुबिन की सफाई करने में भी मदद मिल सकती है और इस तरह नवजात शिशु को पीलिया से सुरक्षित भी रखा जा सकता है।
कोलोस्ट्रम दूध में मौजूद विभिन्न पोषक तत्व इसे नवजात बच्चों के लिए सुपरफूड की लिस्ट में भी शामिल करते हैं। दरअसल, शरीर के उचित विकास के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों की मात्रा कोलोस्ट्रम दूध में पाई जा सकती है। यही वजह है कि कोलोस्ट्रम पिलाने के फायदे नवजात शिशु के शरीर को संपूर्ण पोषण भी प्रदान कर सकता है।
नवजात शिशुओं में निम्न रक्त शर्करा यानी हाइपोग्लाइसीमिया से बचाव करने के लिए कोलोस्ट्रम दूध फायदेमंद माना जा सकता है।
जैसा कि जन्म के समय नवजात शिशु के पेट का आकार बड़े बादाम के जितना होता है, इस आधार पर जन्म के दौरान नवजात शिशु को 3 से 4 बड़े चम्मच की मात्रा में कोलोस्ट्रम दूध की खुराक दी जा सकती है। वहीं, अगर माँ के स्तनों में कोलोस्ट्रम दूध का उत्पादन नहीं होता है और डॉक्टरी सलाह पर नवजात शिशु को कोलोस्ट्रम दूध पाउडर दे रही हैं, तो दिन में दो बार 4 चम्मच पानी में आधा चम्मच कोलोस्ट्रम पाउडर घोल कर बच्चे को पिला सकती हैं।
यह भी ध्यान रखें कि नवजात शिशुओं को जन्म के बाद दिन में 10 से 12 बार तक स्तनपान कराना चाहिए। एक बार में नवजात शिशु को 3 से 4 चम्मच की मात्रा में ही स्तनपान कराएं और हर बार स्तनपान के बीच में 1 से ढेड़ घंटे का गैप रखें। धीरे-धीरे बच्चे को स्तानपान कराने की मात्रा व समय के गैप को बढ़ाया भी जा सकता है।
यह तो जाहिर है कि नवजात शिशु के लिए कोलोस्ट्रम के फायदे कई हैं। वहीं, अगर किसी कारणवश नवजात शिशु कोलोस्ट्रम के फायदे से वंचित रह जाए, तो इसकी वजह से शिशु को कई परेशानियां हो सकती हैं, जैसेः
बेबीचक्रा के इस लेख में न सिर्फ आपने कोलोस्ट्रम परिभाषा (Colostrum In Hindi) को समझा, बल्कि नवजात शिशुओं के लिए कोलोस्ट्रम के फायदे भी पढ़ें। उम्मीद है यह लेख आपको पसंद आया होगा। इसके अलावा, अगर किसी नई माँ को प्रसव के बाद स्तनों में कोलोस्ट्रम दूध का उत्पादन नहीं होता है, तो वे डॉक्टरी सलाह पर अपने नवजात शिशु को कोलोस्ट्रम दूध पाउडर भी पिला सकती हैं। यह आसानी से मार्केट में उपलब्ध है।
शिशु की डिलीवरी होने के बाद अगले 3 से 4 दिनों तक माँ के स्तनों में कोलोस्ट्रम दूध का उत्पादन जारी रह सकता है। इसके बाद स्तनों में सामान्य ब्रेस्टमिल्क का उत्पादन शुरू हो जाता है।
प्रथम दूध या माँ के पहले दूध को कोलोस्ट्रम (Colostrum) कहते हैं। यह दिखने में सामान्य ब्रेस्टमिल्क से गाढ़ा, पीले रंग का और चिपचिपा होता है।
शिशु का जन्म भले ही सामान्य प्रसव से हुआ हो या सी-सेक्शन से हुआ हो, कोलोस्ट्रम मिल्क शिशु के जन्म के तुरंत बाद से नई माँ के स्तनों में प्रवाहित होने लगता है। हालांकि, कुछ महिलाओं के स्तनों में दूध की आपूर्ति हो सकती है, ऐसी स्थिति में उन महिलाओं के स्तनों में कोलोस्ट्रम दूध के उत्पादन की आपूर्ति हो सकती है।
ये भी पढ़ें :
नवजात शिशु को सुलाने का सही तरीका क्या है
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.