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बच्चों में फ्लैट पैरों की पहचान कैसे करें – (Flat Foot Problem in Children in Hindi )

बच्चों में फ्लैट पैरों की पहचान कैसे करें – (Flat Foot Problem in Children in Hindi )

14 May 2019 | 1 min Read

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अपने बच्चों का सही विकास, प्रत्येक माता-पिता चाहते हैं। इसी क्रम में ये जानना सभी अभिभावकों के लिए जरूरी है कि बच्चे कैसे बढ़ते हैं और उनमें असामान्यताओं की जांच कैसे की जा सकती हैं। बेबीचक्रा के इस लेख में हम बच्चों के विकास में बाधा बनने वाले फ़्लैट फुट डिसऑर्डर के बारे बात करेंगें। 1 से 5 साल के बीच के बच्चों में यह काफी आम समस्या है, जो समय के साथ खुद से ठीक हो जाती है । जानेंगें कि बच्चों में फ्लैट पैरों की पहचान कैसे करें और ये सपाट तलवे की समस्या आखिर होती क्यों है?

फ्लैट फुट (सपाट तलवे) किसे कहते हैं (What is Flat Foot in Children in Hindi) –

अगर हम एक सामान्य पैर को देखें तो पंजे और एड़ी के बीच वाला भाग जमीन से उठा हुआ होता है, जिसे आर्च कहते हैं। जब किसी के तलवे का ये आर्च वाला हिस्सा सपाट होता है, तो उसे फ्लैट फुट यानी सपाट पैर के नाम से जाना जाता है। फ़्लैट फुट की प्रॉब्लम एक या दोनों पैरों में नजर आ सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जन्म के समय हर शिशु का तलवा फ्लैट होता है, लेकिन जैसे-जैसे शिशु का बढ़ता है, उनकी एड़ी और पंजे के बीच का गैप ऊपर की ओर उठने लगता है, यानि आर्च बन जाता है। 5 से 6 साल की आयु तक पैरों में आर्च बन जाता है। कुछ बच्चों के तलवे सपाट ही रहते हैं, इसके प्रकार और कारण हम आगे जानने का प्रयास करेंगें।

बच्चों में सपाट तलवे के प्रकार Types of Flat foot in Hindi)

वैसे तो सपाट तलवे के कई प्रकार माने गए हैं, लेकिन यहां हम इनमें से मुख्य प्रकारों के बारे में बता रहे हैं-

1. फ्लेक्सिबल फ्लैट फुट (Flexible Flat Foot in Hindi) 

यह सबसे आम प्रकार का फ़्लैट फुट माना जाता है। इस स्थिति में पैर के तलवों में आर्च तभी दिखाई देता है, जब पैर को जमीन से उठाया जाता है। जमीन पर पैर रखने से आर्च पूरी तरह गायब हो जाता है और पैर जमीन से सटने लगते हैं।

2. टाइट एक्लीस टेंडन (Achilles Tendinitis in Hindi) 

पैर में एक्लीस टेंडन नाम के टिश्यू होते हैं जो पैर और टांगों की मांस पेशियों में पाए जाते हैं। इनके सख्त हो जाने पर या सूज जाने पर पैर फ़्लैट हो सकता है।

3. पोस्टीरियर टिबियल टेंडन डिसफंक्शन (Posterior Tibial Tendon Dysfunction in Hindi)

बड़े बच्चों में इस तरह की समस्या देखने को मिलती हैं, जब एड़ी को पिंडलियों से जोड़ने वाले टिश्यु टूट जाते हैं या सूज जाते हैं। इस स्थिति में तलवों और टांगों में दर्द भी हो सकता है।

4. कंजेनिटल वर्टिकल टेलस (Congenital Vertical Talus in Hindi)

यह एक जन्मजात विकार है जिसमें टेलस नाम की हड्डी पैर में गलत दिशा में विकसित होने लगती है और यह आर्च बनने से रोकती है। इसे रॉकर बॉटम फुट (Rocker Bottom Foot in Hindi) भी कहते हैं।

आइए, अब जानते हैं कि बच्चे में फ़्लैट फुट के क्या लक्षण दिखाई देते हैं।

बच्चों में सपाट तलवे के लक्षण (Flat Feet and Fallen Arches Symptoms in Hindi)

अगर आपके बच्चे के पैर लचीले है और जब बच्चा अपने पैर पर खडा होता है और आप आर्च को देख पा रहे है तो घबराने की जरुरत नही है। वहीं अगर आपके बच्चे के पैर कड़े हैं और आर्च नहीं दिखाई देता है तो आपको ध्यान देने की जरुरत है यह मामला फ्लैट पैरो का हो सकता है। फ़्लैट फुट के अन्य लक्षण हैं- 

  • एडी बाहर की ओर झुकना
  • चलने मे परेशानी आना
  • घुटने और पैर मे दर्द और अति कोमलता 
  • पैरो का कमजोर विकास
  • शारीरिक गतिविधियों को करने मे परेशानी आना

बच्चों में फ्लैट फुट होने के कारण (Causes of Flat Feet in Children in Hindi)

वैसे तो जन्म से ही सभी बच्चों के तलवे सपाट होते हैं, लेकिन बढ़ती उम्र के साथ ये आकार में आने लगते हैं। अगर उम्र बढ़ने के साथ भी तलवे सपाट रहें, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। बच्चों में फ्लैट पैरो के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं – 

बच्चों में फ्लैट फुट की समस्या निम्न कारणों से हो सकती है-

  1. अगर किसी बच्चे का वजन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो उन्हें फ्लैट फुट की समस्या हो सकती है।
  2. कभी-कभी दो या ज्यादा हड्डियां पैरों में एक साथ विकसित होने लगती हैं, और आपस में जुड़ जाती हैं।
  3. पैरों के टिश्यु जब ढीले पड़ने लगते हैं तो उससे आर्च नहीं बन पाता जिससे फ़्लैट फुट की समस्या पैदा हो जाती है।
  4. एहलर्स-डानलोस सिंड्रोम(Ehlers-Danlos Syndrome) व मार्फन सिंड्रोम(Marfan Syndrome) की समस्या होने पर भी बच्चों में फ्लैट फुट की समस्या हो सकती है।

सपाट तलवे के चलते बच्चे को किस तरह की समस्याएं हो सकती हैं (Flat Foot Problem in Children in Hindi)

बच्चे में फ़्लैट फुट की समस्या का समाधान बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे भविष्य में उसे काफी परेशानियाँ उठानी पड़ सकती हैं जैसे –

  • फ़्लैट फुट की वजह से बच्चे की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, और दर्द शुरू हो सकता है।
  • बच्चे को इस समस्या के कारण सही तरह से चलने में परेशानी हो सकती है।
  • लम्बे समय तक फ़्लैट फुट होने पर बच्चे के शरीर का पोश्चर बिगड़ सकता है।
  • फ़्लैट फुट के चलते बच्चे को भविष्य में जोड़ों में दर्द की शिकायत हो सकती है।
  • बच्चे का संतुलन बिगड़ने की वजह से हमेशा चोट लगने की आशंका बनी रह सकती है।

बच्चों में फ्लैट फीट का निदान (Diagnosis of Flat Feet in Children in Hindi)

डॉक्टर कई तरीकों से फ़्लैट फीट की समस्या को समझते हैं कुछ पारम्परिक तरीके तो कुछ साईंटिफिक तरीके भी शामिल हैं

1. पारम्परिक तरीके से फ़्लैट फीट की जांच या विजुअल एग्जामिनेशन

  • अगर किसी बच्चे को फ़्लैट फुट की प्रॉब्लम होती है तो उसके पैर जूतों के तलवे बीच में ज्यादा घिसे होते हैं। बच्चे के जूते और चप्पल देखकर डॉक्टर अंदाजा लगा लेते हैं कि बच्चे के पैर सपाट हैं।
  • कई बार डॉक्टर बच्चे के पीछे खड़े होकर उनकी पैर की ऊँगली देखने की कोशिश करते हैं जिन बच्चों के पैर सामान्य होते हैं उनकी सिर्फ सबसे छोटी ऊँगली दिखाई देती है, वहीं फ्लैट फुट वाले बच्चों की करीब 3 उंगलियां दिखाई दे सकती हैं।

2. फ़्लैट फीट की मेडिकल एग्जामिनेशन

अगर बच्चे को पैरों में ज्यादा दर्द होता है, तो डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवा सकते हैं:

  1. एंथ्रोपोमेट्रिक असेसमेंट : इस पद्धति के जरिए आर्च की ऊंचाई, एंगल व रियरफुट कोण का माप करके बीमारी का पता लगाया जाता है।
  2. एक्स रे और सीटी स्कैन : इस तकनीक का उपयोग कर पैर की हड्डियों की तस्वीर ली जाती है। फिर तस्वीरों के जरिए डिफेक्ट पता किया जाता है। फिर उसी के अनुसार इलाज शुरू किया जाता है।
  3. एमआरआई टेस्ट : इसके जरिए हड्डियों और टिशू की साफ-साफ इमेज मिल सकती है, जिससे डॉक्टर को पता चल सकता है कि समस्या कहां है।

फ्लैट फुट की जांच घर में भी की जा सकती है। आइए, इसका तरीका जानते हैं।

फ्लैट फुट पता करने के लिए खुद से कैसे जांच करें?

फ्लैट फुट का खुद से भी पता लगाया जा सकता है, जो इस प्रकार है:

इसके लिए बस बच्चे को पैरों को गीला करें और उसे समतल सतह पर खड़ा करवा दें। इसके बाद उसे वहां से हटा लें।अगर उसके पैर का निचला हिस्सा पूरा दिखाई देता है, तो यह फ्लैट फुट की और इशारा हो सकता है। वहीं, जिनके पैर में आर्च होता है, उनके सिर्फ पंजे और एड़ी का हिस्सा ही दिखाई देता है।

बच्चों में फ्लैट फीट का इलाज | Flat Feet Treatment In Kids In Hindi

फ्लैट फीट के इलाज के लिए 2 तरह के ट्रीटमेंट इस्तेमाल किए जाते हैं। सर्जिकल और नॉन सर्जिकल। यहां हम पहले जानते हैं कि नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट में क्या-क्या ऑप्शन हैं।

1. नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट

  • दवाइयां और यंत्र : डॉक्टर बच्चों में दर्द को कम करने के लिए दवा दे सकते हैं। साथ ही पैरों की स्थिति के हिसाब से जूते पहनने की सलाह दे सकते हैं। यहां ध्यान देने की जरूरत है कि बच्चों में यह परेशानी धीरे-धीरे खत्म होती है। ऐसे में संयम के साथ बच्चे की प्रैक्टिस कराएं।

  • फिजिकल थेरेपी : स्ट्रेचिंग ऐसे बच्चों के लिए अच्छी एक्सरसाइज होती है, जिससे काफी हद तक दर्द से राहत मिलती है। डॉक्टर फिजिकल थेरेपी का सेशन रखकर बच्चों की एक्सरसाइज कराते हैं। पैरंट्स को ध्यान देना होगा कि उनकी प्रैक्टिस न रुके। इस दौरान उन्हें सपोर्ट और प्यार दें।

  • ऑर्थोटिक डिवाइस : कुछ ऐसे डिवाइस जो पैरों की बनावट और आर्च को सपोर्ट करने में मदद करते हैं, ऐसे ऑर्थोटिक डिवाइस उपयोग करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, ऐसे डिवाइस स्थायी इलाज नहीं होते, लेकिन दर्द को कम करने में मदद जरूर कर सकते हैं।

2. सर्जिकल ट्रीटमेंट : अगर समस्या गंभीर है, तो डॉक्टर सर्जरी कराने की सलाह देते हैं। सर्जरी के दौरान डॉक्टर टखने में एक या एक से अधिक हड्डियों को जोड़ते हैं। साथ ही टेंडन को लंबा या बदलना हो, तो कर सकते हैं। ध्यान रहे कि डॉक्टर सर्जरी को हमेशा आखिरी विकल्प के रूप में अपनाते हैं। इससे पहले नॉन सर्जिकल तरीकों के जरिए ही इलाज करने का प्रयास किया जाता है।

सपाट पैरों के लिए घरेलू उपचार

कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनकी मदद से इस समस्या को कुछ हद तक खुद से ठीक किया जा सकता है। बस ध्यान रहे कि कोई भी घरेलू उपचार करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

1. जूता : बच्चे के पैर के साइज के अनुसार ही जूता पहनें।

2. सिकाई : सपाट तलवे वाले बच्चे को दर्द की समस्या ज्यादा होती है, जिसकी वजह से वो चल और खेल नहीं पाते। ऐसे में जब भी दर्द हो वहां बर्फ की सिकाई करें।

3. एक्सरसाइज : कुछ स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज हैं, जिन्हें अपनाकर फ्लैट फुट की समस्या को दूर किया जा सकता है। यहां जानते हैं कि ये एक्सरसाइज कौन-कौन सी हैं (11):

4. पैर के अंगूठे का व्यायाम : इसमें एक कपड़ा जमीन पर फैलाकर अंगूठे की मदद से कपड़े को पकड़ा और छोड़ा जाता है।

5. टेनिस बॉल या केन रोलिंग : केन या टेनिस बॉल रोलिंग की प्रक्रिया 1 मिनट में 3 बार करें। फ्लैट पैर वालों में प्लांटार फासिसाइटिस होने की आशंका अधिक हो सकती है। ऐसे में यह एक्सरसाइज फायदेमंद हो सकती है। पैर के निचले हिस्से में बैंड की तरह मोटा टिशू होता है, जिसे प्लांटर फेसियस कहा जाता है। इस टिशू में सूजन आने को प्लांटार फासिसाइटिस कहा जाता है।

6. टॉवेल कर्ल : तौलिये को पैर में लपेट कर आर्च को अपनी ओर खींचें। 30 सेकंड तक इसी अवस्था में रहें और कुछ देर आराम करके ऐसा फिर से करें।

7. आर्च लिफ्टिंग : इस व्यायाम में बच्चे को चेयर पर बैठने को बोलें। दाएं पैर को बाईं जांघ पर रखें। दाएं पैर पर बैंड बांधें और उसका दूसरा सिरा बाएं पैर के नीचे दबा दें। अब हाथ की मदद से दाएं पैर को ऊपर की ओर खींचें। कुछ देर ऐसा करने के बाद यही प्रक्रिया दूसरे पैर से करें। ऐसा एक दिन में 3-4 बार किया जा सकता है।

8. योगासन : बच्चों के लिए योगासन भी सपाट तलवे के दर्द को कुछ कम कर सकते हैं। इसमें उत्कटासन, त्रिकोणासन, वीरभद्रासन और ताड़ासन से फायदा हो सकता है। बस ध्यान रहे कि शुरुआत में ये योगासन अच्छे ट्रेनर की देखरेख में ही किए जाएं।

9. संतुलित वजन: जिन बच्चों में मोटापे की समस्या होती है, उनके पैरों में ज्यादा दर्द होता है। ऐसे में मोटापा कम कर फ्लैट फुट की समस्या से राहत मिल सकती है।

इस लेख से ये तो स्पष्ट होता है कि बच्चों में सपाट पैर आम समस्या है, जो वक्त के साथ अपने आप ठीक हो सकती है। अगर ऐसा न हो, तो इसका इलाज सही समय पर करवाना चाहिए। बस माता-पिता को अपने बच्चे के शारीरिक बदलाव पर पैनी नजर रखनी चाहिए। जागरूकता से फ्लैट फुट की समस्या से समय रहते छुटकारा पाया जा सकता है। उम्मीद है कि इस लेख को पढ़कर आपके मन में उठ रहे सवाल और भ्रम को दूर करने में सहायता मिली होगी।

नोट- इस बारे में डॅाक्टर से सलाह अवश्य लें।

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