बच्चों में बुखार आना आम बात है, लेकिन नवजात शिशु में बुखार होना खतरनाक संक्रमण का संकेत हो सकता है। यही वजह है नवजात शिशुओं को शुरुआती कुछ महीनों में खास देखभाल की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही शिशु को बीमार कर सकती है।
सबसे ज्यादा उन्हें वायरल इंफेक्शन का जोखिम होता है और कमजोर इम्यूनिटी के कारण उनका शरीर इंफेक्शन से लड़ भी नहीं पाता है। यही वजह है इस लेख में शिशुओं में वायरल इंफेक्शन के कारण और बचाव से जुड़ी जानकारी लेकर हाजिर हुए हैं। तो चलिए जानते हैं शिशुओं में वायरल फीवर के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है।
शिशुओं में फीवर के कारण (Causes Of Viral Fever in Hindi)
शिशुओं में वायरल फीवर के क्या कारण हैं/चित्र स्रोत: फ्रीपिक
फीवर कोई रोग नहीं है, इसे लक्षण माना जाता है। नवजात शिशुओं में बुखार को आमतौर पर किसी समस्या का संकेत माना जाता है। यह दर्शाता है कि इम्यून सिस्टम किसी इंफेक्शन से लड़ रहा है। यह इंफेक्शन बैक्टीरियल या वायरल हो सकता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में इसका कारण वायरल इंफेक्शन को माना जाता है। नीचे नवजात शिशु में बुखार के संभावित कारण बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
निमोनिया की वजह से भी शिशु को बुखार हो सकता है। यह वायरल या बैक्टीरियल दोनों में से किसी भी इंफेक्शन के कारण हो सकता है।
मेनिनजाइटिस यानी दिमागी बुखार, जो बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है।
कानों में संक्रमण भी शिशु के बुखार होने के कारणों में से एक है।
वैक्सीन लगवाने के बाद प्रतिक्रिया के रूप में नवजात शिशु को बुखार होना कॉमन है।
ज्यादा देर तक बच्चे को धूप में बिठाने से भी उन्हें बुखार हो सकता है। क्योंकि बच्चों का शरीर गर्म तापमान को नहीं झेल पाता है। इसलिए बच्चों को गर्मी में लाइट कपड़े पहनाएं और उन्हें सुबह और शाम की धूप में ही निकालें। दोपहर के समय बच्चों को घर के अंदर ही रखें।
कुछ मामलों में यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की वजह से बच्चे को बुखार हो सकता है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है।
नवजात शिशु में बुखार के लक्षण (Symptoms Of Fever in Babies In Hindi)
वैसे तो बुखार अपने आप में एक लक्षण है। लेकिन, नवजात शिशु को बुखार हुआ है उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है या रो सकता है। नीचे शिशु में बुखार के कुछ अन्य लक्षण बता रहे हैं:
ठीक से नहीं सोना, नींद में बार-बार उठना और रोते रहना
नवजात शिशु में बुखार कैसे चेक करें? (How To Check Newborn Baby Temperature In Hindi)
नवजात शिशु में बुखार के लक्षण/चित्र स्रोत: फ्रीपिक
बच्चों का बुखार रेक्टल एरिया, मुंह, आर्मपिट या कान का टेंपरेचर आदि तरीकों से मापा जाता है। इसके लिए सबसे पहले सही थर्मामीटर का चुनाव करना जरूरी होता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, बच्चों का बुखार डिजीटल थर्मामीटर से चेक करना चाहिए। कई लोग बच्चों के शरीर का तापमान मापने के लिए मर्करी वाले थर्मामीटर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे परहेज करने की सलाह दी जाती है।
बच्चों के लिए रेक्टल थर्मामीटर का इस्तेमाल करना सबसे आसान होता है और यह सटीक परिणाम देता है। नवजात शिशु के शरीर का तापमान चेक करने के लिए सबसे पहले थर्मामीटर कोअच्छे से रबिंग अल्कोहल या साबुन और पानी से साफ करना न भूलें। इसके बाद बच्चे के थर्मामीटर लगाएं और सही रीडिंग के लिए एक मिनट का इंतजार करें। अगर बच्चे का बॉडी टेंपरेचर 100.4 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक है, तो बिना देरी करे बाल रोग विशेषज्ञ से कंसल्ट करें।
नवजात शिशु को फीवर है तो उसकी देखभाल कैसे करें?
बच्चे को बुखार हुआ है तो पेरेंट्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, नीचे इससे संबंधित जानकारी साझा कर रहे हैं:
बेबी कितना एक्टिव है उसकी गतिविधियों को मोनिटर करें। अगर बच्चा खेल रहा है, आपसे बातें कर रहा है, हंस रहा है, तो पेरेंट्स को घबराने की जरूरत नहीं है।
शिशु को हाइड्रेट रखें। उन्हें भूख लगने पर ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला मिल्क दें। जूस देने से परहेज करें। कुछ मामलों में डॉक्टर इलेक्ट्रोलाइट ड्रिंक देने के लिए कह सकते हैं।
डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई खुराक से अधिक दवा बच्चे को न खिलाएं।
बच्चा अगर सो रहा है और उसकी दवा का समय हो गया है तो उसे नींद से उठाने की बजाय थोड़ी देर से दवा खिलाएं।
बच्चे को लाइट कपड़े पहनाएं। भारी भरकम कपड़ों से बच्चे के शरीर का तापमान प्राकृतिक रूप से नीचे नहीं आ पाता है।
बच्चे को नहलाने के लिए हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।
नवजात शिशुओं को वायरल फीवर से बचाव के लिए जरूरी टिप्स (Tips To Keep Your New Baby Safe From Viral Fever)
नीचे बच्चे को वायरल फीवर से बचाव के लिए कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
बच्चे के साथ खेलने व उसे उठाने के लिए जो भी आए उसे पहले हाथों को हैंडवॉश से अच्छी तरह साफ करने के लिए कहें। इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए हाथों का धोना बहुत जरूरी होता है। आप स्वयं भी बच्चे को लेते समय अपने हाथों की साफ-सफाई का ध्यान रखें।
यदि घर में किसी को कोल्ड, फ्लू या फीवर है, तो उनसे बच्चे को दूर रखें।
शिशु को फॉर्मूला मिल्क देने की बजाय ब्रेस्टफीडिंग कराएं। इससे बच्चे के इम्यून सिस्टम का विकास होता है।
बच्चे को भीड़भाड़ वाली जगहों पर ले जाने से परहेज करें।
बच्चे की सारी वैक्सीन समय पर लगवाएं। इससे बच्चे को जानलेवा इंफेक्शन की चपेट में आने से से बचाव किया जा सकता है।
तो ये थी कुछ ऐसी टिप्स, जिन्हें ध्यान में रखकर नवजात शिशु का वायरल फीवर से बचाव किया जा सकता है। अगर बच्चे का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट से अधिक है, तो पेरेंट्स बिना देरी किए बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में उनका इलाज जल्दी से जल्दी कराना जरूरी होता है।