7 Jul 2022 | 1 min Read
Mona Narang
Author | 163 Articles
बच्चों में बुखार आना आम बात है, लेकिन नवजात शिशु में बुखार होना खतरनाक संक्रमण का संकेत हो सकता है। यही वजह है नवजात शिशुओं को शुरुआती कुछ महीनों में खास देखभाल की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही शिशु को बीमार कर सकती है।
सबसे ज्यादा उन्हें वायरल इंफेक्शन का जोखिम होता है और कमजोर इम्यूनिटी के कारण उनका शरीर इंफेक्शन से लड़ भी नहीं पाता है। यही वजह है इस लेख में शिशुओं में वायरल इंफेक्शन के कारण और बचाव से जुड़ी जानकारी लेकर हाजिर हुए हैं। तो चलिए जानते हैं शिशुओं में वायरल फीवर के जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है।
फीवर कोई रोग नहीं है, इसे लक्षण माना जाता है। नवजात शिशुओं में बुखार को आमतौर पर किसी समस्या का संकेत माना जाता है। यह दर्शाता है कि इम्यून सिस्टम किसी इंफेक्शन से लड़ रहा है। यह इंफेक्शन बैक्टीरियल या वायरल हो सकता है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में इसका कारण वायरल इंफेक्शन को माना जाता है। नीचे नवजात शिशु में बुखार के संभावित कारण बता रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
वैसे तो बुखार अपने आप में एक लक्षण है। लेकिन, नवजात शिशु को बुखार हुआ है उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो सकता है या रो सकता है। नीचे शिशु में बुखार के कुछ अन्य लक्षण बता रहे हैं:
बच्चों का बुखार रेक्टल एरिया, मुंह, आर्मपिट या कान का टेंपरेचर आदि तरीकों से मापा जाता है। इसके लिए सबसे पहले सही थर्मामीटर का चुनाव करना जरूरी होता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, बच्चों का बुखार डिजीटल थर्मामीटर से चेक करना चाहिए। कई लोग बच्चों के शरीर का तापमान मापने के लिए मर्करी वाले थर्मामीटर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे परहेज करने की सलाह दी जाती है।
बच्चों के लिए रेक्टल थर्मामीटर का इस्तेमाल करना सबसे आसान होता है और यह सटीक परिणाम देता है। नवजात शिशु के शरीर का तापमान चेक करने के लिए सबसे पहले थर्मामीटर कोअच्छे से रबिंग अल्कोहल या साबुन और पानी से साफ करना न भूलें। इसके बाद बच्चे के थर्मामीटर लगाएं और सही रीडिंग के लिए एक मिनट का इंतजार करें। अगर बच्चे का बॉडी टेंपरेचर 100.4 डिग्री फारेनहाइट या इससे अधिक है, तो बिना देरी करे बाल रोग विशेषज्ञ से कंसल्ट करें।
बच्चे को बुखार हुआ है तो पेरेंट्स को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, नीचे इससे संबंधित जानकारी साझा कर रहे हैं:
नीचे बच्चे को वायरल फीवर से बचाव के लिए कुछ टिप्स शेयर कर रहे हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
तो ये थी कुछ ऐसी टिप्स, जिन्हें ध्यान में रखकर नवजात शिशु का वायरल फीवर से बचाव किया जा सकता है। अगर बच्चे का तापमान 100 डिग्री फारेनहाइट से अधिक है, तो पेरेंट्स बिना देरी किए बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। ऐसी स्थिति में उनका इलाज जल्दी से जल्दी कराना जरूरी होता है।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.