24 Jun 2022 | 1 min Read
Vinita Pangeni
Author | 549 Articles
डॉक्टर निशा ओझा पेशे से एक डेंटिस्ट हैं। डेस्टिस्ट होने के साथ ही डॉक्टर निशा डिजिटल क्रिएटर भी हैं। इनकी वीडियो को ऑनलाइन खूब पसंद किया जाता है। स्वभाव से डॉक्टर निशा चुलबुली हैं। इन्होंने अपनी लाइफ, मदरहुड की चुनौतियों को लेकर बेबीचक्रा से खास बातचीत की। साथ ही डेंटिस्ट होने के नाते सभी मांओं को ओरल हेल्थ से जुड़े बड़े काम के टिप्स भी दिए हैं।
चलिए, साथ में पढ़ते हैं डॉक्टर निशा ओझा का इंटरव्यू और इनकी लाइफ से कुछ बहुमुल्य टिप्स भी लेते हैं।
डेंटिस्ट होने के अलावा आप डिजिटल क्रिएटर भी हैं। आपने अपनी यह जर्नी कैसे और क्यों शुरू की। इसका जवाब देते हुए डॉक्टर निशा ने बताया, “यह सब तब शुरू हुआ जब मैं गर्भवती हुई। प्रेग्नेंसी के लास्ट ट्राइमेस्टर में मुझे काम की टेंशन नहीं थी और मैं अपनी माँ के यहां थी। मतलब मैं शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह आराम की स्थिति में थी।”
“इस समय मैंने अपने शरीर में हो रहे बदलाव और गर्भ में पल रहे बच्चे से जुड़ी बातें पढ़ना शुरू किया। यह सब मुझे अच्छा लगने लगा, क्योंकि मुझे गर्भावस्था और शिशु विकास के विज्ञान का ज्यादा अंदाजा नहीं था। बस इसी तरह से मेरी दिलचस्पी जगी और मैं पेरेंटिंग संबंधित कंटेंट शेयर करने लगी। कबीर जैसे-जैसे बड़ा होगा मैं अपनी सीख सबके साथ शेयर करूंगी।”
टचवुड…
इन्हीं बातों के बीच हमने डॉक्टर निशा से उनकी प्रेगनेंसी जर्नी शेयर करने के लिए कहा। मुस्कुराते हुए डॉक्टर निशा बोलीं, “मैं कह सकती हूं कि मेरी गर्भावस्था एक आसान यात्रा थी। हां, गर्भावस्था में जी-मिचलाने वाला एहसास पूरे समय तक था, लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं। गर्भावस्था में सबसे जरूरी होता है परिवार और साथी का साथ। टचवुड मुझे दोनों मिला, जिससे मेरी गर्भावस्था काफी सुखद रही।”
पुराने दिनों को याद करते हुए डॉक्टर निशा ने आगे कहा, “उस समय मुझे अच्छी क्रेविंग्स हो रही थीं, मुझमें अपने अंदर एक बच्चे को महसूस करने का उत्साह था, हर कोई बहुत प्यार दे रहा था और क्या नहीं! मैं वास्तव में फिर से उस फेज को जीना चाहती हूं!”
“पैरेंटिंग जर्नी ने किया मुझे अपग्रेड”
पैरेंटिंग जर्नी पर किए गए कुछ सवालों का जवाब देते हुए डॉक्टर निशा ने बताया, “अबतक मेरी पालन-पोषण की यात्रा का अनुभव माइंड ब्लोइंग रहा है। मैंने जो बुनियादी बातें सीखी वह है कोई भी परफेक्ट पैरेंट नहीं होता। सब अपनी गलतियों से सिखते हैं। मेरा लक्ष्य कबीर को परफेक्ट बनाना नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनाना है।“
“ईमानदारी से कहूं, तो मेरी मातृत्व यात्रा ने मुझे पूरी तरह से एक अलग इंसान बना दिया है। मैं अपने विकल्पों और निर्णयों को लेकर ज्यादा कॉन्फिडेंट हूं। मैं अब खुद की ज्यादा सुनती हूं। पहले मैं अपनी गट फीलिंग को इग्नोर कर दिया करती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। मातृत्व के सफर ने मेरे व्यक्तित्व को हर संभव तरीके से अपग्रेड किया और मुझे खुशी है कि ऐसा हुआ।”
सभी करते हैं ये गलती
आगे बेबीचक्रा ने डॉक्टर निशा से उनके अनुभव के आधार पर वीनिंग से जुड़ी कौन-सी गलतियां नहीं करनी चाहिए पूछा। इसपर मॉम निशा ने बताया, “मैं कबीर के साथ चीजें सीख रही हूं और मुझे महसूस हुआ कि हर माता-पिता यही गलती कर रहे हैं। वो गलती है खाने व दूध की मात्रा पर बहुत जोर देना।”
मॉम निशा ने आगे कहा, “मेरा विश्वास कीजिए बच्चा जानता है कि उसे कितना खाना है। बच्चे ने कम दूध पिया है सोचकर उसे जबरदस्ती फीड न करें। बच्चा अपनी भूख जानता है, वो अपनी भूख के हिसाब से ही दूध पीता है। बच्चे को बस हेल्दी चीजें खाने को दें। वो इसकी कितनी मात्रा लेते हैं, यह उनपर छोड़ दें। ओवरफीडिंग एकदम नहीं करनी चाहिए।”
इक्वल पैरेंटिंग है प्यार का एक रूप
इंटरव्यू के दौरान इक्वल पैरेंटिंग पर डॉक्टर निशा की हमने राय जाननी चाही। इसपर उन्होंने बेहतरीन जवाब देते हुए कहा, “मुझे लगता है कि इक्वल पैरेंटिंग अपने साथी को अपना प्यार दिखाने का रूप है।”
फिर डॉक्टर निशा आगे बोलीं, “मेरे पति ने प्रेगनेंसी के हर चरण में और अब पैरेंटिंग में भी, मेरा खूब साथ दिया। मेरे मूड स्विंग को संभालना, बच्चे का डायपर बदलना, उसे दूध पिलाना, उन्होंने हर कार्यभार संभाला। यहां तक कि आधी रात को जागना और उसकी जरूरत का ध्यान देना, ताकि मुझे थोड़ा आराम मिल सके। मैं अपने बेटे कबीर को लेकर पूरी तरह अपने पति पर भरोसा कर सकती हूं। वह मेरे जीवन का सबसे बड़ा स्तंभ हैं।”
गलतियां करो, लेकिन उससे सीखना बंद मत करो
पैरेंटिंग की बात के दौरान डॉक्टर निशा से पूछा गया कि वो अपने बच्चे को जीवन के बारे में क्या सीखाना चाहती हैं। इसपर उन्होंने कहा, “कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं है और न ही उसका जीवन। हर क्षेत्र में सब गलतियां करते हैं। चाहे वो पेशेवर गलतियां हों या व्यक्तिगत। हम गलतियां करते हैं और इससे निपटने के तरीके खोजते हैं, यही जीवन है। अपने जीवन में आगे बढ़ते रहो, गलतियां करते रहो और कभी भी सीखना बंद मत करो। यही बात मैं अपने बच्चे को सिखाना चाहूंगी”
आगे मॉम निशा कहने लगीं, “मैं अपने बेटे कबीर को सहानुभूति और दूसरों का धन्यवाद करके कृतज्ञता व्यक्त करना सीखा रही हूं। सिर्फ बड़ों का धन्यवाद नहीं, बल्कि अपने साथ के बच्चे और खुद से छोटे लोगों का भी। जब भी जरूरी हो – थैंक्यू और सॉरी कहने में उसे झिझक नहीं होनी चाहिए। साथ ही लीविंग और नॉन लीविंग सभी चीजों के प्रति जेंटल होना जीवन की हर प्रक्रिया को आसान कर देता है, यह भी मैं उसे बता रही हूं।”
मदरहुड के स्पीड ब्रेकर
कामकाजी माँ को जीवन में ढेरों चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसी से जुड़ा सवाल डॉक्टर निशा से किया गया। इसपर अपनी चुनौतियों को साझा करते हुए वह बोलीं, “मेरा मातृत्व सफर अबतक अच्छा रहा है, लेकिन उसमें कुछ स्पीड ब्रेकर भी थे। इसमें से एक कबीर का सेपरेशन एंग्जाइटी फेज है। वो मुझे खुद से दूर जाने ही नहीं देता था, यहां तक कि बाथरूम भी नहीं। काम के लिए घर से निकलते हुए बच्चे का सिर्फ आपके साथ रहने के लिए रोना, इससे बहुत गिल्ट होता है।”
“मैं कई बार ऑफिस के लिए निकलने के बाद इस गिल्ट के चलते घर वापस आई हूं। आखिर में मुझे अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेना पड़ा। करीब तीन महीने की छुट्टी लेकर मैं 24*7 अपने बच्चे कबीर के साथ रही।”
“इस दौरान मैंने सेपरेशन एंग्जाइटी से डील करने के तरीकों के बारे में बहुत रिसर्च की। मैंने कुछ रणनीतियां अपनाईं। जैसे उसका पसंदीदा स्टफ्ड टॉय उसके साथ रखना। ताकि जब मैं उसके आसपास न रहूं, तब भी वो अकेला महसूस न करे। इसके अलावा, मैंने माथे को किस करके जल्दी गुड बाय बोलकर कहा कि मम्मा जल्दी वापस आकर आपसे प्यार करेंगी।”
“इसके अलावा, साथ की मांओं से भी सलाह ली और धीरे-धीरे कबीर भी मेरी दिनचर्या को समझने लगा। अब आखिरकार मैं काम पर जाती हूं। कबीर भी हमारे घर आने का धैर्यपूर्वक इंतजार करता है।”
सबसे बड़ी चुनौती…
“एक दूसरी चुनौती, जिससे हर माँ गुजरती है, वो है “सोसाइटी की उम्मीदें।” मेरा मतलब है कि यह कैसे संभव है अगर एक माँ काम पर 9 से 5 जा रही है, तो उसका घर एकदम व्यवस्था रहे। आपके टेबल पर खाना लगे, घर के बाकी सारे काम भी अप टू डेट रहें। फिर वो बेबी के लिए कुक करे, उसके पीछे-पीछे भाग के खाना खिलाए! यह सब संभव ही कैसे है?”
“हर माँ अपने घर, परिवार और प्रोफेशन को मैनेज करने की पूरी कोशिश करती है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि माँ भी एक इंसान है, जो थक जाती है। वह कभी-कभी देर से उठना चाहती है, बिस्तर पर चाय चाहती है या कुछ जिम्मेदारियां साझा करना चाहती है। मुझे नहीं लगता कि इसमें से कुछ भी ऐसा नहीं है, जो संभव न हो सके। हमें वास्तव में इस पितृतंत्र की सामाजिक व्यवस्था से बाहर निकलने की जरूरत है ,जो केवल महिलाओं पर ही शुरू और खत्म होती है। मेरी मातृत्व यात्रा में सबसे कठिन यही रहा, जिससे मुझे निपटना पड़ा।”
प्रेगनेंसी में डेंटल हेल्थ
गर्भावस्था के दौरान दांतों का स्वास्थ्य कितना महत्वपूर्ण है, इसपर भी बेबीचक्रा ने डॉक्टर निशा से चर्चा की। उन्होंने बताया, “ डेंटल हेल्थ महत्वपूर्ण है। इसे गर्भावस्था के दौरान नहीं भूलना चाहिए। कई गर्भवती महिलाओं को मसूड़े की सूजन (gingivitis) होती है, जो पीरियडोंटल बीमारी का एक प्रारंभिक चरण होता है।”
“यह तब होता है जब इंफ्लेमेशन के कारण मसूड़े लाल हो जाते हैं और सूज जाते हैं, यह परेशानी गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव से बढ़ सकती है। पेरियोडोंटाइटिस (Periodontitis) को गर्भावस्था के खराब परिणामों से भी जोड़ा गया है, जिसमें समय से पहले जन्म और जन्म के समय शिशु का कम वजन शामिल है। तो डेंटल हेल्थ प्रेगनेंसी जर्नी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।”
इसी दौरान गर्भवती महिलाओं को ओरल हेल्थ से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स देते हुए डॉक्टर निशा ने कहा, “गर्भावस्था में भी फ्लोराइड टूथपेस्ट से दिन में दो बार अच्छी तरह ब्रश करें। साथ ही रोजाना अपने दांतों के बीच फ्लॉस करें।”
डेंटिस्ट निशा के अनुसार, “प्रेगनेंसी में भी दांत की पेशेवर सफाई और जांच के लिए नियमित रूप से चेकअप करवाना चाहिए। प्रसव से पहले डेंटिस्ट द्वारा ओरल हेल्थ का मुख्य ट्रीटमेंट करवाना का सबसे सुरक्षित समय दूसरी तिमाही है। यदि डेंटिस्ट से 6 महीने तक चेकअप नहीं करवाया है, तो तुरंत सभी माँ को अपॉइंटमेंट बुक करना चाहिए।”
बेशकीमती सलाह
आखिर में मॉम इंफ्लुएंसर और डॉक्टर निशा ने कहा, ” मैं बेबीचक्रा के माध्यम से सभी माँ को अपनी खुद की और अंतर्मन की बातों को सुनने के लिए कहूंगी। दूसरों की सलाह से अपने जीवन को बर्बाद नहीं करना चाहिए।”
“आप घर और ऑफिस के काम में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करें। साथ ही जरूरी है कि आप खुद को तनाव न दें। बस अपने बच्चे के लिए थोड़ा अविभाजित समय निकालना न भूलें।
उन सभी सलाहों को ना कहना सीखें जिनका आप स्वागत नहीं करती हैं। हर माँ जानती है उसके बच्चे के लिए क्या बेस्ट है। मातृत्व आसान नहीं है लेकिन अगर हम अपनी मानसिकता को सकारात्मक रखें तो चीजें सुखद हो सकती हैं।”
“अपने जीवन का आनंद लेते हुए मदर गिल्ट को बीच में न आने दें। एक दिन आपको खुद पर गर्व होगा :)।”
डॉक्टर निशा ओझा की प्रेगनेंसी और पैरेंटिंग की जर्नी बेहतरीन रही है। उनकी सलाह भी एकदम प्रेक्टिकल है। इससे हर
चित्र स्रोत: Nisha Ojha
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