8 Nov 2022 | 1 min Read
Mousumi Dutta
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माँ बनने के बाद बच्चे को पाल-पोसकर बड़ा कारण एक चुनौती भरा काम होता है। इस मामले में हर दिन छोटी-बड़ी बहुत तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें बच्चों का हर दिन पॉटी करना भी शामिल होता है। शायद आप सोच रहे होंगे कि यह कौन-सी बड़ी समस्या है, पर सच तो यह है कि बच्चों के दस्त न जाने की आदत बहुत ही कठिन समस्या है।
जब तक बच्चे 4-5 साल के नहीं हो जाते हैं, तब तक बच्चों के दस्त जाने की जिम्मेदारी वह खुद उठा नहीं पाते हैं। कुछ बच्चों को आसानी से पॉटी ट्रेनिंग दिया जा सकता है तो कुछ बच्चे नेचुरल तरीके से समय पर दस्त करना शुरू कर देते हैं। लेकिन मुश्किल उन बच्चों को लेकर शुरू होती है जो बच्चे दस्त करने जाना नहीं चाहते हैं। वे दस्त करने से कतराते हैं।
बच्चों के दस्त न जाने की आदत को संभालने के लिए माँ को शैशव अवस्था से ही एक निश्चित समय पर दस्त करवाने की आदत डालना शुरू कर देना चाहिए। इससे बच्चे का रूटीन समय पर दस्त करने के लिए सेट अप हो जाता है। आज हम बच्चों के दस्त न जाने की आदत के बारे में चर्चा करेंगे, लेकिन इसके पहले एक बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि शिशु अक्सर डायपर में ही दस्त कर देते हैं, अगर समय पर डायपर नहीं निकाला गया तो डायपर रैशेज होने की संभावना हो जाती है, इसलिए हमेशा नेचुरल चीजों से बना वाटर बेबी वाइप्स का इस्तेमाल करना बच्चों के स्किन के लिए सेफ होता है।
इसके अलावा अगर बच्चों को लंबे समय तक डायपर पहने रहने के कारण या दस्त या पेशाब हो जाने के बाद भी लंबे समय तक डायपर नहीं बदलने के कारण डायपर रैशेज हो गए हो तो डायपर रैश क्रीम लगाना कभी न भूलें।
यह तो उन बच्चों की बात हो गई जिनको रोजाना दस्त होता है, लेकिन मुश्किल की बात उन बच्चों को लेकर है जो दस्त करने नहीं जाते हैं।
इसके पहले कि आप बच्चे के दस्त न जाने की आदत को लेकर टेंशन करें, हम आपको बता दें कि अक्सर इसके पीछे का कारण बहुत ही नॉर्मल होता है-
-अगर बच्चे को कब्ज है और उनको इसे बाहर निकालने में बहुत दर्द का सामना करना पड़ता है तो इसके कारण ही वह दस्त करने जाने से बचना चाहते हैं।
– कभी-कभी वह किसी डर के कारण भी दस्त करने नहीं जाना चाहते हैं, जैसे कि टॉयलेट के फ्लश की आवाज से उसको बहुत डर लगता हो।
– कई बच्चों को डायपर में ही पॉटी करना आसान लगता है। पॉटी ट्रेनिंग देने के बावजूद वह वहाँ पेशाब तो कर लेते हैं लेकिन दस्त नहीं करना चाहते हैं। वह कोशिश करते हैं कि डायपर पहनने की आदत न छूटें।
– शायद आप नहीं समझ रहे हैं लेकिन बच्चों के पास मल त्याग करने से भी बेहतर काम करने के लिए है, जैसे कि खेलने का काम। इसलिए पेशाब करने में ज्यादा समय नहीं लगता, इसलिए वह यह तो कर लेते हैं पर दस्त के मामले में कतराते हैं।
-कभी-कभी कोई संवेदना या चिंता इस समस्या के पीछे का कारण होता है। हो सकता है बच्चे को शौच करने की आदत ही पसंद न हो। उसको इसकी महक से परहेज हो या जिस बाथरूम में जाता है वह अंधेरा हो या किसी कारण से उसको पंसद न हो।
कभी-कभी कोई चिकित्सीय स्थिति बच्चों के दस्त न जाने के पीछे का कारण होता है, जैसे कि-
-गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Gastrointestinal /GI) कंडिशन, जो पुरानी कब्ज के कारण बनती है। यह सीलिएक रोग (Celiac disease), हिर्शस्प्रंग रोग (Hirschsprung disease), इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome), या लैक्टोज असहिष्णुता (Lactose intolerance) भी हो सकता है।
-फेकल इंफेक्शन (Fecal impaction)- यदि आपके बच्चे को अक्सर कब्ज होता है, तो उनके मलाशय में कठोर मल हो सकता है, जिससे उनका जाना असंभव हो जाता है।
-थायरॉयड समस्याएं। कब्ज हाइपोथायरायडिज्म का एक सामान्य लक्षण है, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आप पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बना पाते हैं।
बच्चों के दस्त न जाने की आदत बहुत ही कॉमन आदत है, इसलिए आपको इसके लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप नीचे दिए गए कुछ ट्रिक्स को आजमा सकते हैं-
-कई बार पैरेंट्स बच्चों को दस्त करने के लिए इतना जोर देते हैं कि बच्चे स्ट्रेस में आ जाते हैं। इसलिए स्ट्रेस में आ जाने के कारण वह दस्त करने से कतराने लगते हैं। इसलिए पैरेंट्स को इस मामले में धैर्य से काम करने की जरूरत होती है।
-पॉटी के सीट बनावट पर ध्यान देने की भी जरूरत होती है। यदि आपके बच्चे की पॉटी सीट बहुत छोटी या बड़ी है, उनके पैर फर्श या सीढ़ीदार स्टूल के सर को नहीं छू पा रहे हों, या शौचालय की सीट ढीली या टेढ़ी भी हो सकती है। इसलिए पॉटी के सीट की संरचना बच्चे के बैठने के लिए आरामदायक होनी चाहिए।
-बच्चों को दस्त करना क्यों चाहिए, इसकी जरूरत का सही ज्ञान दें। ताकि उसको दस्त करने की अहमियत समझ में आए। इसके लिए किताब का सहारा ले सकते हैं।
-बच्चों के दस्त न करने की आदत के पीछे एक बड़ा कारण फाइबर की कमी भी होती है। इसके लिए आपको उनके आहार में पत्तेदार हरी सब्जियां, कच्चे फल और साबुत अनाज शामिल करने की कोशिश करें।
-आप बच्चे के डायट में फाइबर तो शामिल कर रहे हैं, लेकिन वे पर्याप्त पानी नहीं पी रहे हैं, तो इससे बहुत मदद नहीं मिलेगी और इससे चीजें और भी खराब हो सकती हैं। इसलिए उनको ज्यादा से ज्यादा हाइड्रेटेड रखने की जरूरत है। इसलिए बच्चों को पानी पिलाने के साथ ज्यादा से ज्यादा खीरा और तरबूजा जैसे फल खिलाने की कोशिश करें।
अब तक के चर्चा से आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों के दस्त नहीं जाने की आदत के पीछे क्या कारण है और इसको कैसे मैनेज किया जा सकता है।
चित्र स्रोत: गुगल
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